देश के बैंकिंग रेगुलेटर, भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई), ने हाल ही में एक बड़ा कदम उठाया है, जिससे करोड़ों भारतीयों को लोन की ईएमआई में राहत मिलेगी. आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ने लगातार दूसरी बार रेपो रेट में 0.25 प्रतिशत की कमी की घोषणा की है. अब यह दर 6.25 प्रतिशत से घटकर 6 प्रतिशत हो गई है. इस फैसले से न केवल आम लोगों को फायदा होगा, बल्कि यह आर्थिक स्थिति को बेहतर बनाने में भी मदद कर सकता है.
वैश्विक मंदी के बीच आरबीआई का कदम
यह कदम ऐसे समय में लिया गया है जब अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा लगाए गए टैरिफ के कारण वैश्विक आर्थिक संकट के संकेत मिल रहे हैं. दुनिया भर में मंदी और महंगाई के खतरे को देखते हुए, यह निर्णय काफी सकारात्मक माना जा रहा है. आरबीआई के इस फैसले से भारत में आर्थिक मंदी का असर कम हो सकता है, और यह कदम भारतीय अर्थव्यवस्था को एक मजबूत दिशा में ले जाने में मदद करेगा.
रेपो रेट में कटौती का असर
रेपो रेट वह दर होती है जिस पर वाणिज्यिक बैंक अपनी तात्कालिक जरूरतों के लिए केंद्रीय बैंक से कर्ज लेते हैं. जब आरबीआई इस दर में कटौती करता है, तो इसका सीधा असर होम लोन, कार लोन और अन्य रिटेल लोन की ईएमआई पर पड़ता है. ऐसे में लोन पर मासिक किस्तों में कमी आने की संभावना है, जिससे आम जनता को वित्तीय राहत मिलेगी. इसके अलावा, यह फैसला रियल एस्टेट सेक्टर को भी फायदा पहुंचा सकता है, क्योंकि इससे घरों की डिमांड बढ़ सकती है, खासतौर से उन लोगों के लिए जो मंदी के बावजूद घर खरीदने के इच्छुक हैं.
नीतिगत दर पर बदलाव
आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा ने भी इस बात की घोषणा की है कि एमपीसी ने अपना रुख तटस्थ से उदार कर दिया है. इसका मतलब यह है कि भविष्य में यदि आवश्यकता पड़ी, तो नीतिगत दर में और कटौती की जा सकती है, ताकि भारतीय अर्थव्यवस्था को मजबूती दी जा सके.
आरबीआई की जीडीपी ग्रोथ रेट में कटौती
इसके साथ ही, आरबीआई ने देश की आर्थिक वृद्धि दर (जीडीपी) के अनुमान में भी बदलाव किया है. वित्त वर्ष 2025-26 के लिए जीडीपी ग्रोथ रेट का अनुमान 6.7 प्रतिशत से घटाकर 6.5 प्रतिशत कर दिया गया है. इसके अलावा, आरबीआई ने प्रत्येक तिमाही के लिए अनुमान भी बदले हैं. पहली तिमाही में जीडीपी ग्रोथ 6.5 प्रतिशत रहने का अनुमान है, जबकि चौथी तिमाही में यह सबसे कम 6.3 प्रतिशत तक गिर सकता है.
महंगाई का अनुमान
महंगाई दर के अनुमान में भी बदलाव किया गया है. आरबीआई का कहना है कि वित्त वर्ष 2026 में महंगाई दर 4 प्रतिशत के आसपास रह सकती है. तिमाही आधार पर बात करें तो पहली तिमाही में महंगाई दर 3.6 प्रतिशत, दूसरी तिमाही में 3.9 प्रतिशत, तीसरी तिमाही में 3.8 प्रतिशत और चौथी तिमाही में महंगाई दर 4.4 प्रतिशत रहने का अनुमान है. यह कटौती उपभोक्ताओं के लिए राहतकारी हो सकती है, क्योंकि इससे उनके खर्चे कम हो सकते हैं.
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