Bakrid 2025: त्योहारों का मौसम दस्तक दे चुका है और मुस्लिम समुदाय का पवित्र पर्व ईद-उल-अजहा (बकरीद) इस बार 7 जून को मनाया जाएगा. इसके साथ ही मंडियों, मुस्लिम बस्तियों और गली-मोहल्लों में बकरों की चहल-पहल और रौनकें दिखाई देने लगी हैं. खास बात यह है कि इस बार बाजार में सजे बकरे केवल देसी नस्लों तक सीमित नहीं, बल्कि कुछ ‘स्टार’ बकरे भी चर्चा में हैं, जिनकी कीमतें आसमान छू रही हैं. कुछ बकरे तो इतने महंगे बिक रहे हैं कि उन्होंने महंगे स्मार्टफोन की कीमतों को भी पीछे छोड़ दिया है. खास बात ये है कि महंगे बकरे ड्राइफ्रूट खाते हैं.
लोगों ने खरीदे इतने महंगे बकरे
आगरा के मंटोला के हाजी अंसार ने 1.30 लाख रुपये में एक बकरा खरीदा है, जिसका नाम शाहरुख रखा गया है. यह बकरा सूखे मेवे खाता है और लोग उसे देखने के लिए दूर-दूर से आ रहे हैं. इसी तरह शाहगंज के राजू ने 1.25 लाख का बकरा खरीदा है, जबकि नदीम नूर ने 35 हजार रुपये में ‘रहमान’ नाम का बकरा खरीदा है.
इन नस्लों के बकरे बिक रहे सबसे महंगे
बाजारों में तोतापरी और देसी नस्लों के बकरों की मांग सबसे अधिक है. राजस्थान, मध्य प्रदेश, हरियाणा और धौलपुर से व्यापारी बकरे लेकर आ रहे हैं. मंटोला, नाई की मंडी, शहीद नगर, सदर भट्ठी जैसे क्षेत्रों में मंडियां सज चुकी हैं. सबसे बड़ी मंडी तोरा (ताजगंज) में लगाई गई है, जहां पर भारी संख्या में लोग खरीदारी के लिए पहुंच रहे हैं.
हिंदुस्तानी बिरादरी के अध्यक्ष डॉ. सिराज कुरैशी ने बताया कि कुर्बानी में उन्हीं जानवरों की कुर्बानी दी जाती है जो पूरी तरह से तंदुरुस्त हों और जिनमें कोई शारीरिक कमी न हो. कई लोगों के लिए महंगे बकरे खरीदना मुश्किल हो रहा है, ऐसे में कुछ लोग कुर्बानी के लिए भैंस भी खरीद रहे हैं, क्योंकि उसमें हिस्से अधिक निकलते हैं और यह आर्थिक रूप से सहज विकल्प है.
"कुर्बानी को न बनाएं दिखावे का ज़रिया"
नायब काजी मौलाना मोहम्मद उजैर आलम ने अपील की है कि कुर्बानी को दिखावे का ज़रिया न बनाएं. सोशल मीडिया पर जानवरों की तस्वीरें या वीडियो साझा न करें, और न ही सार्वजनिक स्थानों पर कुर्बानी करें. सपा नेता शब्बीर अब्बास ने भी सभी से अपील की कि कुर्बानी के दौरान साफ-सफाई रखें और दूसरे धर्मों की भावनाओं का भी सम्मान करें.
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