भोपाल: मध्य प्रदेश पुलिस विभाग ने अपने नए रंगरूटों के लिए एक अनोखी पहल शुरू की है. अब, पुलिस ट्रेनिंग के दौरान हर शाम रंगरूटों को रामचरितमानस का पाठ सुनाया जाएगा. इस पहल का उद्देश्य रंगरूटों को घर से दूर रहने की मानसिकता से जुड़ा संदेश देना है. कई रंगरूटों ने अपने ट्रेनिंग सेंटर को घर के पास स्थानांतरित करने के लिए आवेदन किया था, लेकिन पुलिस विभाग का मानना है कि यह सही नहीं है, खासकर नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में काम करने के संदर्भ में.
रंगरूटों की बढ़ती मांग
पुलिस विभाग के आंकड़ों के अनुसार, लगभग 300 नए रंगरूटों ने अपने गृह जिले में ट्रेनिंग केंद्र बदलने के लिए आवेदन किया है. अधिकारियों का कहना है कि अगर इस तरह की मांगों को माना गया, तो ट्रेनिंग सेंटर के स्थानांतरित करने का सिलसिला बढ़ जाएगा. फिलहाल, 4000 रंगरूट नौ महीने के बेसिक ट्रेनिंग कोर्स में हिस्सा ले रहे हैं, और इनका हर दिन रामचरितमानस का पाठ सुनना तय किया गया है.
रामचरितमानस से सीख
एडीजी (ट्रेनिंग) राजा बाबू सिंह ने इस पहल को भारतीय संस्कृति के आधार पर समझाया. उन्होंने कहा कि राम का 14 साल का वनवास एक प्रेरणा का स्रोत है. राम ने वनवास के दौरान जंगल में रहना सीखा, कठिनाइयों का सामना किया और एक सेना बनाई. इसी तरह, रंगरूटों को भी अपनी सीमाओं को पार करते हुए, किसी भी कठिन परिस्थिति में काम करने की आदत डालनी चाहिए.
धार्मिक और सांस्कृतिक परंपराओं का उपयोग
यह पहली बार नहीं है जब राजा बाबू सिंह ने पुलिस प्रशिक्षण में धार्मिक और सांस्कृतिक परंपराओं का समावेश किया हो. इससे पहले, ग्वालियर जोन के एडीजी रहते हुए उन्होंने "गीता ज्ञान अभियान" चलाया था, जिसमें जेलों में गीता की प्रतियां बांटी गई थीं.
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