'कोई भी हमारे ड्रोन को नहीं पकड़ सकता', जहां बनते हैं भारत के ब्रह्मास्त्र, वहां से दहाड़े राजनाथ सिंह

    भारत के रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता और अत्याधुनिक तकनीकी विकास की दिशा में एक अहम कदम उठाया गया है.

    Rajnath Singh roared from the place where India weapons are made
    प्रतिकात्मक तस्वीर/ ANI

    नोएडा: भारत के रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता और अत्याधुनिक तकनीकी विकास की दिशा में एक अहम कदम उठाया गया है. हाल ही में, भारतीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने नोएडा में स्थित एक ऐसे विशेष संयंत्र का दौरा किया, जहां भारत के ब्रह्मास्त्र जैसे आधुनिक हथियार, ड्रोन, और मिसाइलों का निर्माण हो रहा है. यह वह जगह है जहां 2800 डिग्री सेल्सियस तक के तापमान में तपकर धातु को रूपांतरित किया जाता है, जिससे दुनिया की सबसे सटीक और घातक रक्षा प्रणालियाँ बनती हैं.

    2800°C की भट्टियां: भारत के ब्रह्मास्त्र बनाने की जगह

    नोएडा स्थित इस संयंत्र की भट्टियां इतनी ऊँची गर्मी को सहन करने में सक्षम हैं कि यहां से निकलने वाली धातुएं किसी भी प्रकार की गंभीर स्थिति में विश्वस्तरीय हथियारों के निर्माण के लिए पूरी तरह से तैयार हो जाती हैं. इन भट्टियों में तपकर जो धातु तैयार होती है, वह न केवल ब्रह्मास्त्र और अत्याधुनिक मिसाइलों के निर्माण के लिए उपयोगी है, बल्कि यह भारत की रक्षा क्षमता को भी एक नया मुकाम देती है.

    राजनाथ सिंह ने इस फैक्ट्री का दौरा करते हुए यह कहा कि यह केवल एक कारख़ाना नहीं है, बल्कि आत्मनिर्भर भारत की एक महत्वपूर्ण मिसाल है. भारत अब न केवल अपनी सुरक्षा के लिए आत्मनिर्भर हो चुका है, बल्कि वह वैश्विक स्तर पर रक्षा निर्यातक राष्ट्र बनने की दिशा में भी बढ़ रहा है. यहां के उत्पादन केंद्र से निकलने वाली स्मार्ट मिसाइलें, ड्रोन और अन्य उच्च तकनीकी प्रणालियाँ भारत को भविष्य की लड़ाइयों में एक मजबूत स्थिति में रखेगी.

    आधुनिक हथियारों का निर्माण

    इस संयंत्र में रक्षा मंत्रालय द्वारा आयोजित किए जा रहे अभियानों में कई तरह के अत्याधुनिक हथियार और रक्षा उपकरणों का निर्माण हो रहा है. राजनाथ सिंह ने इस केंद्र में इंजन परीक्षण, धातु योजक निर्माण, उन्नत पॉलिमर केंद्र, और प्रिसीजन गाइडेड मिसाइल ड्रोन के निर्माण प्रक्रियाओं का निरीक्षण किया. इन प्रणालियों का विकास भारतीय सेना की ताकत को बढ़ाने के साथ-साथ भारत को विदेशी सुरक्षा तकनीक में भी एक अग्रणी राष्ट्र बना सकता है.

    इस केंद्र में पेलोड ड्रॉप ड्रोन से लेकर स्वार्म ड्रोन जैसी तकनीकों पर काम हो रहा है. ये स्वार्म ड्रोन भविष्य की लड़ाइयों का चेहरा बदल सकते हैं, क्योंकि ये तकनीक छोटे-छोटे ड्रोन को एक साथ जोड़कर बड़ी कार्यवाही को अंजाम दे सकती है. यही नहीं, यहां ड्रोन की बेजोड़ सटीकता और गति के कारण युद्ध क्षेत्र में प्रभावी तरीके से काम करने की संभावना है.

    भारत का आत्मनिर्भर रक्षा मिशन

    राजनाथ सिंह ने अपने दौरे के दौरान यह भी स्पष्ट किया कि भारत का लक्ष्य केवल अपनी सीमाओं की रक्षा करना नहीं है, बल्कि वैश्विक स्तर पर रक्षा उद्योग में एक प्रमुख योगदानकर्ता बनना भी है. उनका कहना था कि भारत हमेशा एक ऐसे देश के रूप में आगे बढ़ेगा, जो न केवल अपनी जरूरतों को पूरा करता है, बल्कि अन्य देशों को भी अपनी तकनीकी विशेषज्ञता के जरिए सहारा देता है.

    उन्होंने यह कहा कि, "हमारी आत्मनिर्भरता केवल हमारी सुरक्षा के लिए नहीं, बल्कि वैश्विक शांति और सुरक्षा के लिए भी एक महत्वपूर्ण कदम है. भारत अब एक ऐसे देश के रूप में उभर रहा है, जो न केवल रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर है, बल्कि वैश्विक स्तर पर भी सुरक्षा और तकनीकी सहयोग के लिए तैयार है."

    ऑपरेशन सिंदूर: एक मजबूत संदेश

    राजनाथ सिंह ने ऑपरेशन सिंदूर का उदाहरण देते हुए कहा कि जब संकल्प, साहस और विज्ञान का संगम होता है, तो असंभव भी संभव हो जाता है. भारत की रक्षा क्षमता में वृद्धि और नवाचार को इसी दृष्टिकोण से देखा जा सकता है. ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारत ने पाकिस्तान को कड़ा संदेश दिया था कि वह आतंकवाद को पनाह देने वाले देशों के खिलाफ किसी भी स्थिति में कार्रवाई करने से पीछे नहीं हटेगा. यही रणनीति अब भारत के नए रक्षा उपकरणों और प्रणालियों में देखी जा सकती है, जो देश को आत्मनिर्भर बनाने के साथ-साथ पूरी दुनिया में भारत की प्रतिष्ठा को बढ़ा रही है.

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