जयपुर: राजस्थान में भजनलाल सरकार के आते ही पुलिस विभाग में एक अनूठा बदलाव देखने को मिला है. राज्य की पुलिस अब अपराधियों की गिरफ्तारी के दौरान अपनी पीठ कैमरे के सामने दिखाएगी, न कि अपना चेहरा. इस आदेश को राजस्थान के डीजीपी राजीव शर्मा ने जारी किया है, और अब पुलिसकर्मियों के लिए इसे अनिवार्य कर दिया गया है. कोटा सिटी की एसपी तेजस्विनी गौतम ने भी इस नए निर्देश का पालन सुनिश्चित किया है.
क्या है इस नए नियम का उद्देश्य?
हालांकि, इस बदलाव का कारण अब तक आधिकारिक रूप से स्पष्ट नहीं किया गया है, लेकिन यह माना जा रहा है कि पुलिसकर्मियों और उनके परिवारों की सुरक्षा को प्राथमिकता देने के लिए यह कदम उठाया गया है. पुलिसकर्मियों की पहचान सार्वजनिक होने से उन्हें और उनके परिवारों को संभावित खतरे का सामना करना पड़ सकता है.
कोटा में देखा गया नया आदेश
हाल ही में कोटा के रेलवे कॉलोनी पुलिस स्टेशन ने एक वृद्धा को ठगने के आरोप में तीन संदिग्धों को गिरफ्तार किया. गिरफ्तार आरोपियों की तस्वीरों में यह साफ नजर आया कि पुलिसकर्मियों ने अपने चेहरों की बजाय अपनी पीठ कैमरे की ओर की और आरोपियों के चेहरे पहले की तरह सामने दिखाए. यह कदम पुलिसकर्मियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए उठाया गया है.
पहचान से जुड़ा खतरा
जब पुलिसकर्मियों की पहचान सार्वजनिक होती है, तो अपराधी उन्हें या उनके परिवारों को नुकसान पहुंचा सकते हैं. यह एक गंभीर सुरक्षा चिंता बन सकती है, खासकर उन पुलिसकर्मियों के लिए जो सक्रिय रूप से अपराधों की जांच कर रहे होते हैं. इस नए नियम के तहत पुलिसकर्मी अब अपनी पहचान को छुपा सकेंगे, और अपराधियों के चेहरे आम जनता को दिखाए जाएंगे.
इस नए नियम का प्रभाव
राजस्थान पुलिस का यह कदम एक समय की जरूरत बन गया था, जहां अपराधी न सिर्फ खुद को बचाने की कोशिश करते हैं, बल्कि पुलिसकर्मियों को भी निशाना बना सकते हैं. अब इस बदलाव से पुलिसकर्मियों की सुरक्षा में और अधिक सुधार आएगा, और साथ ही, अपराधियों के चेहरे को सामने लाकर कानून व्यवस्था की पारदर्शिता भी बनी रहेगी.
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