कपड़े उतारे, ब्लेड से किया घायल... आयरलैंड में भारतीय व्यक्ति पर नस्लीय हमला, जानिए पूरा मामला

    40 वर्षीय भारतीय नागरिक पर उस वक्त हमला किया गया जब वह पार्क हिल रोड, टैलाघ्ट इलाके में मौजूद था.

    Racial attack on Indian man in Ireland
    Image Source: Social Media

    कल्पना कीजिए कि आप एक नई जगह पर बेहतर भविष्य की उम्मीद लेकर पहुंचे हों. एक हफ्ता भी नहीं हुआ और अचानक दिनदहाड़े 13 लोग आपको घेर लें, कपड़े फाड़ दें, ब्लेड से हमला करें, और आपको पूरी तरह बेइज़्ज़त कर जाएं. और फिर आपके ऊपर ही झूठा आरोप मढ़ दिया जाए — कि आपने बच्चों के सामने कुछ गलत किया. ये कहानी काल्पनिक नहीं है. ये सच्ची है. और ये हुई है आयरलैंड की राजधानी डबलिन में, एक भारतीय व्यक्ति के साथ.

    हमले की शुरुआत एक झूठ से

    40 वर्षीय भारतीय नागरिक पर उस वक्त हमला किया गया जब वह पार्क हिल रोड, टैलाघ्ट इलाके में मौजूद था. एक झूठे आरोप के जरिए उसके खिलाफ भीड़ को उकसाया गया — आरोप था कि वह बच्चों के सामने अनुचित हरकत कर रहा था. बाद में आयरिश पुलिस (गार्डा) ने इस आरोप को सिरे से खारिज कर दिया. गार्डा ने साफ कहा कि यह एक झूठी अफवाह थी, जिसे कुछ दक्षिणपंथी और अप्रवासी-विरोधी ग्रुप सोशल मीडिया पर फैला रहे थे.

    भीड़ ने न सिर्फ पीटा, कपड़े भी उतारे

    घटना की प्रत्यक्षदर्शी एक आयरिश महिला ने जो बताया, वह बेहद चौंकाने वाला और दिल दहलाने वाला है. उन्होंने बताया कि उन्होंने अपनी आंखों से देखा — करीब 13 लोग, जिनमें एक महिला भी शामिल थी, उस भारतीय व्यक्ति को घेरकर बुरी तरह पीट रहे थे.

    हमलावरों ने उसके सारे कपड़े उतार दिए. उसकी हालत इतनी खराब थी कि उसका पूरा शरीर खून से लथपथ था. महिला ने बताया कि हमलावरों ने अपने हाथों में ब्लेड बांध रखे थे, जिससे व्यक्ति के सिर और शरीर पर कई गहरे घाव हुए.

    ये कोई पहली घटना नहीं

    इस मामले ने आयरलैंड में नस्लभेद की बहस को दोबारा जिंदा कर दिया है. लेकिन हकीकत यह है कि यह पहला मामला नहीं है. प्रत्यक्षदर्शियों और स्थानीय निवासियों का कहना है कि बीते चार दिनों में चार भारतीयों को इसी तरह चाकू या ब्लेड से निशाना बनाया गया है. हमलावर किशोर गिरोह के सदस्य बताए जा रहे हैं, जो मोहल्लों में घूमते हैं और टारगेट करके खासतौर पर भारतीय नागरिकों पर हमला करते हैं.

    पुलिस की भूमिका और अस्पताल से छुट्टी

    घायल व्यक्ति को 19 जुलाई की शाम टैलाघ्ट यूनिवर्सिटी हॉस्पिटल ले जाया गया, जहां प्राथमिक उपचार के बाद 20 जुलाई को छुट्टी दे दी गई. पुलिस ने इस मामले की जांच हेट क्राइम यानी नफरत से प्रेरित अपराध के तौर पर शुरू कर दी है.

    वह महिला जो इंसानियत की मिसाल बनी

    जिस आयरिश महिला ने इस हमले को देखा, उन्होंने आगे आकर न सिर्फ घायल व्यक्ति को कंबल दिया, बल्कि पुलिस को पूरी घटना की सूचना दी. उनकी गवाही इस केस में बेहद अहम साबित हो रही है. भावुक होते हुए महिला ने कहा, “वह आदमी खुद को लेकर इतना शर्मिंदा था, जैसे वह समझ ही नहीं पा रहा था कि उसके साथ ऐसा क्यों हो रहा है. मैंने उसे इंसानियत के नाते जो मदद की, वो किसी की भी हो सकती थी.”

    न्याय मंत्री ने भी उठाई आवाज़

    आयरिश न्याय मंत्री जिम ओ’कैलाघन ने घटना पर बयान जारी किया. उन्होंने साफ कहा कि यह बात बिल्कुल गलत है कि आप्रवासी अपराधों के लिए जिम्मेदार होते हैं. उनके मुताबिक, जब उन्होंने जेलों के आंकड़े मंगवाए, तो पता चला कि जेलों में बंद आप्रवासियों का प्रतिशत समाज में उनकी कुल जनसंख्या से कम है. यानी नस्लीय पूर्वाग्रह और अफवाहें सच नहीं हैं — और इन्हीं के चलते ये हिंसा पनपती है.

    क्या भारत इससे कुछ सीखेगा?

    यह सवाल अब भारत के लिए भी बहुत अहम है. अगर हमारे देश के नागरिक बाहर जाकर इस तरह मारे जाएं, अपमानित किए जाएं और फिर चुपचाप वापस भेज दिए जाएं — तो हमें क्या करना चाहिए?

    और अगर यही कहानी हमारे अपने देश में घटे — किसी विदेशी नागरिक के साथ — तो क्या हम उतनी ही संवेदना दिखाएंगे? इस घटना ने एक बार फिर ये याद दिला दिया है कि नस्लभेद, अफवाहें और नफरत सिर्फ शब्द नहीं होते. ये किसी की ज़िंदगी बदल सकते हैं, या तबाह भी कर सकते हैं.

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