भारत से 'दगाबाजी' करेंगे 'दोस्त' पुतिन! पाकिस्तान की तरफ से बयानबाजी कर रहा रूस, राफेल पर क्या बोला?

    चाहे बात 1971 के युद्ध की हो या यूक्रेन संकट के दौरान रूस के समर्थन की — भारत और रूस ने एक-दूसरे को कभी भी पूरी तरह से नज़रअंदाज़ नहीं किया.

    Putin will betray India Russia making statements on Rafale
    पुतिन | Photo: ANI

    भारत और रूस के रिश्ते ऐतिहासिक रूप से बेहद मजबूत रहे हैं. शीतयुद्ध के दौर से लेकर आज तक, दोनों देशों ने एक-दूसरे का कठिन समय में साथ दिया है. चाहे बात 1971 के युद्ध की हो या यूक्रेन संकट के दौरान रूस के समर्थन की — भारत और रूस ने एक-दूसरे को कभी भी पूरी तरह से नज़रअंदाज़ नहीं किया. लेकिन, हाल ही में एक नया मोड़ सामने आया है, जो इस साझेदारी की पारंपरिक समझ को चुनौती दे रहा है.

    रूसी मीडिया का बदला रुख

    यूक्रेन युद्ध के बाद वैश्विक स्तर पर अलग-थलग पड़ चुके रूस के सरकारी मीडिया नेटवर्क RT (रशिया टुडे) ने अब भारत के ऑपरेशन सिंदूर के संदर्भ में अप्रत्यक्ष रूप से पाकिस्तान के दावों को तवज्जो देनी शुरू कर दी है. RT ने फ्रांस के राफेल फाइटर जेट की क्षमताओं पर सवाल उठाते हुए अपने फिफ्थ जनरेशन फाइटर जेट सुखोई-57E को ज्यादा बेहतर विकल्प के तौर पर पेश किया है. यह वही राफेल हैं जिनका भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ बेहद असरदार तरीके से इस्तेमाल किया था.

    क्या RT पत्रकार है या प्रचारक?

    यह सवाल अब जोर पकड़ने लगा है कि RT क्या सच में एक निष्पक्ष मीडिया संस्था है या फिर रूस की सैन्य और कूटनीतिक रणनीति का एक अनौपचारिक हिस्सा बन चुकी है. RT ने न सिर्फ भारत के राफेल पर सवाल उठाए, बल्कि इंडोनेशिया की संभावित राफेल डील को भी संदिग्ध बताया — एक ऐसा नैरेटिव जिसे पाकिस्तान ने भी सोशल मीडिया पर जमकर प्रचारित किया. यह संयोग नहीं हो सकता कि रूसी और पाकिस्तानी मीडिया एक ही सुर में बोल रहे हों.

    सुखोई-57E: रूस का नया दांव

    RT लगातार यह दावा कर रहा है कि रूस का सुखोई-57ई, न सिर्फ राफेल से बल्कि अमेरिकी F-35 से भी ज्यादा सक्षम है. रिपोर्ट्स में कहा गया है कि यह फाइटर जेट दक्षिण-पूर्व एशिया में एक "गेमचेंजर" साबित हो सकता है. साफ है कि रूस अपने पुराने हथियार बाजार को बनाए रखना चाहता है, खासतौर पर ऐसे समय में जब भारत और इंडोनेशिया जैसे देश अब पश्चिमी हथियारों में रुचि दिखा रहे हैं.

    भारत का संतुलित रुख

    भारत आज भी रूस का सबसे बड़ा रक्षा साझेदार बना हुआ है, लेकिन वह अब अपनी सैन्य खरीद में विविधता ला रहा है. अमेरिका, फ्रांस और इजराइल से मिल रही तकनीक ने भारत के डिफेंस इकोसिस्टम को व्यापक किया है. वहीं, भारत ने रूस से तेल और हथियारों की खरीद यूक्रेन युद्ध के बावजूद जारी रखकर स्पष्ट कर दिया है कि वह अपने हितों के आधार पर फैसले लेगा.

    ये भी पढ़ेंः छिड़ जाएगा परमाणु युद्ध? ट्रंप को ईरान का दो टूक जवाब- "यूरेनियम संवर्द्धन नहीं रुकेगा, समझौता हो या नहीं"