अमेरिका में इमिग्रेशन नीति के खिलाफ जनाक्रोश अब सड़कों पर साफ नजर आने लगा है. देश के कई बड़े शहरों में विरोध प्रदर्शन धीरे-धीरे हिंसक रूप ले चुके हैं. लॉस एंजिल्स, न्यूयॉर्क और कैलिफोर्निया जैसे राज्यों में हालात बिगड़ते जा रहे हैं, जहां प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच तीखी झड़पें हो रही हैं. हालात की गंभीरता को देखते हुए राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दंगाइयों से सख्ती से निपटने के निर्देश दिए हैं.
हिंसा बेकाबू, सड़कों पर आगजनी और तोड़फोड़
प्रदर्शनकारियों ने गाड़ियों को आग के हवाले कर दिया है और कई इलाकों में सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाया गया. कैलिफोर्निया में हालात सबसे अधिक बिगड़े, जहां पुलिस को भीड़ को नियंत्रित करने के लिए आंसू गैस और बल प्रयोग करना पड़ा. पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच कई बार हिंसक मुठभेड़ हुई.
नेशनल गार्ड की तैनाती, ट्रंप ने दिए कड़े आदेश
स्थिति को नियंत्रण में लाने के लिए ट्रंप प्रशासन ने कैलिफोर्निया में 2000 नेशनल गार्ड की तैनाती का आदेश दिया है. साथ ही, लॉस एंजिल्स में भी विशेष सुरक्षा बल भेजे गए हैं. राष्ट्रपति ट्रंप ने राज्यपालों को फटकारते हुए कहा कि “अगर आप हालात नहीं संभाल सकते तो संघीय सरकार सख्त कदम उठाएगी.”
विरोध की जड़: हालिया छापेमारी और गिरफ्तारी
यह आंदोलन उस समय तेज हुआ जब कुछ दिन पहले इमीग्रेशन एंड कस्टम्स एनफोर्समेंट (ICE) ने लॉस एंजिल्स में तीन अलग-अलग स्थानों पर छापेमारी कर 44 से अधिक लोगों को हिरासत में ले लिया. इस कार्रवाई में प्रसिद्ध यूनियन नेता डेविड ह्यूएर्टा को भी गिरफ्तार किया गया था. इसी गिरफ्तारी ने समुदायों में रोष की लहर पैदा कर दी.
प्रदर्शन का संदेश – ‘मानवाधिकार की अनदेखी’
प्रदर्शनकारियों का आरोप है कि सरकार की इमिग्रेशन नीति मानवाधिकारों का उल्लंघन कर रही है और निर्दोष लोगों को निशाना बनाया जा रहा है. वे चाहते हैं कि ICE की कार्रवाई बंद हो, और इमीग्रेशन सिस्टम में सुधार लाया जाए, जो ज्यादा मानवीय हो.
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