नई दिल्ली/मॉस्को: भारत और रूस के रिश्तों में एक बार फिर गर्माहट देखने को मिल रही है. इसी कड़ी में एक बड़ी खबर सामने आ रही है कि रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन इस महीने भारत आ सकते हैं. यह दौरा अगस्त के आखिरी सप्ताह में संभावित है और यह यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद पुतिन की भारत की पहली आधिकारिक यात्रा होगी. इंटरफैक्स न्यूज एजेंसी के अनुसार पुतिन का दौरा अगस्त के अंत में होने की संभावना है.
भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजित डोभाल इन दिनों रूस दौरे पर हैं, जहां उन्होंने रूसी रक्षा मंत्री सर्गेई शोइगु से विस्तृत वार्ता की. इस बातचीत के दौरान दोनों पक्षों ने द्विपक्षीय रक्षा और रणनीतिक साझेदारी को और मजबूत करने पर जोर दिया. बातचीत के बाद डोभाल ने संकेत दिया कि राष्ट्रपति पुतिन जल्द ही भारत यात्रा पर आ सकते हैं. उन्होंने कहा, "भारत और रूस के बीच अब बेहद मजबूत संबंध स्थापित हो चुके हैं. हम इस साझेदारी को लेकर बेहद गंभीर हैं और दोनों देश उच्च स्तर पर निरंतर संवाद कर रहे हैं."
डोभाल की यह मॉस्को यात्रा खास महत्व रखती है क्योंकि यह "ऑपरेशन सिंदूर" के बाद उनकी पहली रूस यात्रा है. साथ ही अमेरिका के . राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा भारत-रूस संबंधों पर की गई हालिया टिप्पणियों के बीच यह दौरा कूटनीतिक रूप से और भी अधिक प्रासंगिक बन गया है.
2021 के बाद पहली बार भारत आएंगे पुतिन
राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने पिछली बार दिसंबर 2021 में भारत का दौरा किया था. तब वे केवल चार घंटे के लिए भारत आए थे, लेकिन उस छोटी यात्रा में भी भारत और रूस के बीच 28 महत्त्वपूर्ण समझौते हुए थे, जिनमें सैन्य और तकनीकी सहयोग जैसे क्षेत्र शामिल थे. उस समय दोनों देशों ने 2025 तक आपसी व्यापार को 30 अरब डॉलर तक पहुंचाने का लक्ष्य रखा था.
अब जबकि वैश्विक राजनीति का परिदृश्य पूरी तरह से बदल चुका है, पुतिन की यह नई यात्रा भारत और रूस के बीच 2030 तक के लिए एक नए आर्थिक रोडमैप को आगे बढ़ाने का अवसर बन सकती है.
बढ़ते आर्थिक रिश्ते: 100 अरब डॉलर ट्रेड का लक्ष्य
हाल के वर्षों में भारत और रूस के बीच व्यापारिक संबंधों में जबरदस्त वृद्धि हुई है. दोनों देशों ने आपसी व्यापार को बढ़ाकर 100 अरब डॉलर से अधिक करने का संकल्प लिया है. फिलहाल यह आंकड़ा 60 अरब डॉलर के आसपास है, लेकिन ऊर्जा, रक्षा, और तकनीकी क्षेत्रों में हो रहे नए सहयोग इस लक्ष्य को साकार कर सकते हैं.
मोदी और पुतिन की लगातार बढ़ती निकटता
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति पुतिन के बीच व्यक्तिगत संबंधों की गर्माहट भी इस रणनीतिक साझेदारी को मजबूती देती है. मोदी ने वर्ष 2024 में दो बार रूस की यात्रा की, पहली बार जुलाई में और फिर अक्टूबर में BRICS समिट के अवसर पर. जुलाई की यात्रा के दौरान ही प्रधानमंत्री मोदी ने राष्ट्रपति पुतिन को भारत आने का औपचारिक न्योता दिया था.
अंतरराष्ट्रीय दबाव के बावजूद भारत यात्रा संभव
पुतिन की यह संभावित भारत यात्रा इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि मार्च 2023 में अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायालय (ICC) ने उनके खिलाफ युद्ध अपराधों के तहत गिरफ्तारी वारंट जारी किया था. अदालत ने यूक्रेन से बच्चों के अपहरण और जबरन स्थानांतरण के मामलों को आधार बनाते हुए यह फैसला सुनाया था.
इस वारंट के बाद पुतिन अंतरराष्ट्रीय यात्राओं से दूरी बनाए हुए हैं. उन्होंने पिछले साल भारत में आयोजित G20 शिखर सम्मेलन में भी भाग नहीं लिया था और इस साल ब्राजील में हो रहे सम्मेलन से भी अनुपस्थित रहे. दोनों ही अवसरों पर रूस की ओर से विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने प्रतिनिधित्व किया था.
ऊर्जा के क्षेत्र में भारत-रूस की मजबूती
भारत अब रूस से तेल आयात करने वाला दूसरा सबसे बड़ा देश बन चुका है. यूक्रेन युद्ध से पहले भारत रूस से कुल तेल आयात का मात्र 0.2% (लगभग 68,000 बैरल प्रतिदिन) तेल खरीदता था, लेकिन 2023 तक यह आंकड़ा 20 लाख बैरल प्रतिदिन तक जा पहुंचा.
2025 के पहले सात महीनों में भारत रोजाना रूस से औसतन 17.8 लाख बैरल तेल खरीद रहा है. यह दर्शाता है कि दोनों देशों के बीच ऊर्जा क्षेत्र में सहयोग कितनी तेजी से बढ़ा है. दो वर्षों से भारत हर साल लगभग 130 अरब डॉलर मूल्य का रूसी तेल खरीद रहा है, जो दोनों देशों के आर्थिक रिश्तों को नई ऊंचाइयों तक पहुंचा रहा है.
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