जब दुनिया शांति की उम्मीद कर रही थी, तब अचानक एक ऐसी खबर सामने आई जिसने फिर से युद्ध की आंच को तेज़ कर दिया. अमेरिका और यूरोप के कुछ देश यूक्रेन में 10,000 से अधिक सैनिक तैनात करने की योजना बना रहे हैं. यह कदम ऐसे समय पर सामने आया है जब एक ओर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप युद्धविराम की बातें कर रहे हैं, तो दूसरी ओर रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने चेतावनी दे दी है कि यूक्रेन में किसी भी विदेशी सैनिक को रूस ‘वैध लक्ष्य’ मानेगा.
अब सवाल यह है कि क्या यह तैनाती वाकई शांति की ओर बढ़ने वाला कदम है, या फिर यह किसी और बड़े टकराव की तैयारी है?
अमेरिका और यूरोप की नई रणनीति
पश्चिमी देशों का दावा है कि वे यूक्रेन को युद्ध के बाद सुरक्षा गारंटी देना चाहते हैं, और इसके तहत एक अंतरराष्ट्रीय सेना की योजना बनाई जा रही है. वॉल स्ट्रीट जर्नल की रिपोर्ट के अनुसार, यूरोपीय सेना प्रमुखों ने एक विस्तृत प्लान तैयार किया है जिसमें 10,000 से अधिक सैनिकों को यूक्रेन में या उसके आसपास तैनात किया जाएगा.
इन सैनिकों में यूरोप के अलग-अलग देशों के सैनिक होंगे और इसमें अमेरिका के सैन्य अधिकारी भी इस योजना के हिस्सेदार माने जा रहे हैं. कहा जा रहा है कि एक हवाई इकाई को यूक्रेन के बाहर तैनात किया जाएगा, जो यूक्रेन के हवाई क्षेत्र की निगरानी करेगी.
इस योजना में फ्रांस की अहम भूमिका बताई जा रही है. राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने खुद कहा कि 26 देशों ने यूक्रेन को सुरक्षा गारंटी देने का वादा किया है. हालांकि बाद में उन्होंने यह स्पष्ट किया कि कुछ देश यूक्रेन की सीमा से बाहर रहकर ही यह गारंटी देंगे.
जो भी आएगा, वह निशाना बनेगा- पुतिन
इस पूरी रणनीति ने मास्को को तिलमिला दिया है. रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने सख्त लहजे में कहा है कि अगर यूक्रेन में विदेशी सैनिक दिखाई देते हैं, तो वे हमारे वैध लक्ष्य होंगे.
व्लादिवोस्तोक में एक आर्थिक मंच को संबोधित करते हुए पुतिन ने कहा, "अगर सैन्य अभियानों के दौरान विदेशी सैनिक यूक्रेन में मौजूद होते हैं, तो हम उन्हें पूरी तरह से वैध टारगेट मानेंगे. ऐसे समय में जब हम दीर्घकालिक शांति की ओर कदम बढ़ाने की बात कर रहे हैं, यूक्रेन में सैनिकों की उपस्थिति का कोई औचित्य नहीं है."
पुतिन का यह बयान न केवल अमेरिका और यूरोप के लिए चेतावनी है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि यह तैनाती युद्ध को और लंबा और भयानक बना सकती है.
डोनाल्ड ट्रंप की दोहरी नीति क्या है?
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप हाल के हफ्तों में यूक्रेन में युद्धविराम की बात करते आए हैं. उन्होंने पुतिन के साथ अलास्का में मुलाकात कर शांति का संदेश देने की कोशिश की थी. लेकिन अब जिस तरह से अमेरिकी अधिकारियों की सहमति से यह सैन्य योजना सामने आई है, उसने उनकी नीयत पर सवाल खड़े कर दिए हैं.
क्या ट्रंप वास्तव में युद्ध रोकना चाहते हैं? या फिर यह एक कूटनीतिक खेल है जिसमें एक तरफ शांति का मुखौटा है और दूसरी तरफ युद्ध की तैयारी?
यूरोप को भी यह विरोधाभास समझ में आ रहा है, लेकिन फिर भी वह अमेरिका के साथ मिलकर यह तैनाती आगे बढ़ाने को तैयार दिख रहा है.
यूरोप का डर या भरोसा?
यूक्रेन में सैनिकों की तैनाती को लेकर यूरोप की मंशा को लेकर भी सवाल उठ रहे हैं. क्या यूरोप सच में यूक्रेन की सुरक्षा चाहता है या वह किसी और रणनीतिक डर से ऐसा कर रहा है?
मैक्रों जैसे नेता यह दिखाना चाहते हैं कि यूरोप अब अमेरिका पर पूरी तरह निर्भर नहीं रहना चाहता. वे चाहते हैं कि यूक्रेन को न केवल सैन्य सहायता मिले, बल्कि उसे युद्ध के बाद स्थिरता और भरोसे की भी ज़रूरत है. लेकिन सवाल यह है कि क्या सैनिकों की मौजूदगी वास्तव में सुरक्षा देती है या फिर एक नई लड़ाई की भूमिका तैयार करती है?
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