भारत कराएगा रूस-यूक्रेन में शांति? फ्रांस के राष्ट्रपति मैक्रों ने की पीएम मोदी से बात, जानें क्या कहा?

    रूस और यूक्रेन के बीच जारी जंग न केवल यूरोप बल्कि पूरे विश्व के लिए अस्थिरता और चिंता का बड़ा कारण बन चुकी है.

    French President Macron spoke to PM Modi over phone
    प्रतिकात्मक तस्वीर/ ANI

    नई दिल्ली: रूस और यूक्रेन के बीच जारी जंग न केवल यूरोप बल्कि पूरे विश्व के लिए अस्थिरता और चिंता का बड़ा कारण बन चुकी है. जहां कई वैश्विक नेता इस युद्ध को रोकने की कोशिश में लगे हैं, वहीं अब इस दिशा में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भूमिका एक निर्णायक मोड़ पर आती दिख रही है.

    हाल ही में पीएम मोदी और फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों के बीच हुई टेलीफोनिक बातचीत ने एक बार फिर दुनिया का ध्यान इस बात की ओर खींचा है कि भारत, वैश्विक शांति के प्रयासों में किस तरह से एक संतुलित और प्रभावी पक्ष निभा सकता है.

    पीएम मोदी और मैक्रों की बातचीत

    प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोशल मीडिया पर साझा किया कि उन्होंने फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों से विस्तृत बातचीत की. इस चर्चा में दोनों नेताओं ने द्विपक्षीय संबंधों की समीक्षा के साथ-साथ अंतरराष्ट्रीय मुद्दों विशेषकर यूक्रेन युद्ध पर विचार साझा किए.

    मोदी ने यह स्पष्ट किया कि भारत और फ्रांस, दोनों मिलकर यूक्रेन में शांति स्थापना की दिशा में काम करने के लिए प्रतिबद्ध हैं. उन्होंने यह भी कहा कि भारत-फ्रांस की रणनीतिक साझेदारी केवल द्विपक्षीय रिश्तों तक सीमित नहीं, बल्कि यह वैश्विक स्थिरता और शांति को मजबूत करने में भी सहायक है.

    मैक्रों ने भारत के साथ साझेदारी को बताया निर्णायक

    फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने भी सोशल मीडिया पर प्रधानमंत्री मोदी से हुई बातचीत का उल्लेख किया. उन्होंने बताया कि उन्होंने पीएम मोदी को पेरिस में हुई एक उच्चस्तरीय बैठक के परिणामों से अवगत कराया, जिसमें यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की और पश्चिमी सहयोगी देश शामिल थे.

    मैक्रों ने इस बात पर बल दिया कि फ्रांस और भारत, दोनों देशों की साझा प्रतिबद्धता है कि यूक्रेन में न्यायपूर्ण और स्थायी शांति स्थापित हो. उन्होंने यह भी संकेत दिया कि दोनों राष्ट्र भविष्य में भी इस दिशा में मिलकर कार्य करते रहेंगे.

    इस युद्ध को रोकना आसान नहीं है- डोनाल्ड ट्रंप

    अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण बयान देकर सभी को चौंका दिया. उन्होंने स्वीकार किया कि रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध को रोकना उनके कार्यकाल की सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक रहा. ट्रंप ने कहा कि उन्होंने कई युद्धों को समाप्त किया था, लेकिन उन्हें लगा था कि रूस-यूक्रेन संघर्ष को खत्म करना आसान होगा. हालांकि, ऐसा नहीं हो सका.

    उनके इस बयान ने यह स्पष्ट कर दिया कि अमेरिका जैसी महाशक्ति भी इस संघर्ष को रोकने में असफल रही है. ऐसे में भारत, जो कि रूस और पश्चिम दोनों से अच्छे संबंध रखता है, एक भरोसेमंद मध्यस्थ के रूप में उभर कर सामने आया है.

    भारत की भूमिका: संतुलनकारी शक्ति के रूप में

    भारत ने शुरू से ही इस युद्ध को लेकर एक निष्पक्ष और संतुलित दृष्टिकोण अपनाया है. न तो रूस के पक्ष में पूरी तरह झुका और न ही पश्चिमी देशों की रणनीति का आंख मूंदकर समर्थन किया. प्रधानमंत्री मोदी ने पहले भी रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से स्पष्ट रूप से कहा था, “आज का युग युद्ध का नहीं है.”

    भारत की इस नीति को वैश्विक स्तर पर सराहा गया. न केवल अमेरिका और यूरोपीय देश, बल्कि रूस भी भारत की बात को गंभीरता से लेता है. यही वजह है कि भारत को एक ऐसे देश के रूप में देखा जा रहा है जो संवाद और कूटनीति के माध्यम से युद्ध को समाप्त कराने की दिशा में वास्तविक योगदान दे सकता है.

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