खुली गाड़ी में शपथ के लिए पहुंचे पोप, जेलेंस्की-मेलोनी समेत 200 वर्ल्ड लीडर मौजूद

    सेंट पीटर स्क्वायर आज एक ऐतिहासिक क्षण का साक्षी बना, जब पोप लियो-14 ने कैथोलिक चर्च के सर्वोच्च पद की जिम्मेदारी औपचारिक रूप से ग्रहण की.

    Pope arrived for oath in an open car
    प्रतीकात्मक तस्वीर/Photo- Internet

    वेटिकन सिटी: सेंट पीटर स्क्वायर आज एक ऐतिहासिक क्षण का साक्षी बना, जब पोप लियो-14 ने कैथोलिक चर्च के सर्वोच्च पद की जिम्मेदारी औपचारिक रूप से ग्रहण की. इस पवित्र अवसर पर दुनियाभर से आए लगभग 200 अंतरराष्ट्रीय नेता, जिनमें इटली की प्रधानमंत्री जियोर्जिया मेलोनी और यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की प्रमुख थे, मौजूद रहे. वहीं, लगभग 2.5 लाख श्रद्धालुओं की भीड़ ने इस समारोह को ऐतिहासिक बना दिया.

    शपथ से पहले प्रार्थना, भव्य समारोह

    भारतीय समयानुसार दोपहर 1:30 बजे शुरू हुए इस आयोजन में, पोप लियो-14 ने चर्च की पारंपरिक परंपराओं का पालन करते हुए सबसे पहले सेंट पीटर की समाधि पर प्रार्थना की. यह परंपरा इस बात का प्रतीक मानी जाती है कि पोप चर्च के पहले पोंटिफ (संत पतरस) की विरासत को आगे बढ़ा रहे हैं.

    इसके बाद उन्होंने शपथ ली और उन्हें धार्मिक वस्त्र और "रिंग ऑफ फिशरमैन" (मछुआरे की अंगूठी) प्रदान की गई, जो पोप के अधिकार और उत्तराधिकार का प्रतीक होती है.

    भाइयों और बहनों, यह प्रेम का समय है- पोप

    पोप लियो-14 ने अपने पहले संदेश में पूरी दुनिया को शांति, प्रेम और एकता का संदेश दिया. उन्होंने कहा: "मैं एक भाई के रूप में आपके सामने खड़ा हूं, न कि एक राजा की तरह. मेरे पास कोई विशेष योग्यता नहीं थी, फिर भी आपने मुझे चुना."

    उन्होंने कहा, "आज का युग संघर्षों का नहीं, बल्कि प्रेम का है. आइए, हम सब मिलकर एक ऐसे चर्च का निर्माण करें, जो प्रेम, करुणा और भाईचारे की मिसाल बने."

    धर्म के नाम पर नफ़रत नहीं, प्रेम का मार्ग अपनाएं

    पोप ने अपने भाषण में धार्मिक कट्टरता और जबरन धर्मांतरण की निंदा करते हुए कहा कि चर्च की ताकत किसी प्रोपेगैंडा या ज़बरदस्ती में नहीं, बल्कि ईसा मसीह के प्रेम में निहित है.

    उन्होंने आगे कहा, "ईसाई धर्म कभी भी किसी को डरा कर, मजबूर कर या बहला कर अपना अनुयायी नहीं बनाता. यीशु ने प्रेम किया, और हमारा धर्म उसी प्रेम को आगे बढ़ाता है."

    संपूर्ण मानवता के लिए एक पुकार

    पोप लियो-14 ने अपने उपदेश में यह भी कहा कि दुनिया आज अनेक सामाजिक, आर्थिक और नैतिक चुनौतियों से जूझ रही है. ऐसे समय में चर्च को न केवल एक आध्यात्मिक केंद्र बल्कि मानवता के लिए एक नैतिक मार्गदर्शक बनना होगा.

    "कार्डिनल्स ने एक ऐसे चरवाहे की तलाश की थी जो अतीत की विरासत को सम्मान दे, और भविष्य की ओर उम्मीद से देख सके. मैं उस जिम्मेदारी को दिल से स्वीकार करता हूं."

    ऐतिहासिक समारोह में उमड़ा जनसागर

    वेटिकन अधिकारियों के अनुसार, यह समारोह हालिया वर्षों के सबसे बड़े आयोजनों में से एक रहा. अनुमान है कि करीब ढाई लाख श्रद्धालुओं ने इस समारोह में भाग लिया. इनमें युवा, बुजुर्ग, परिवार, धार्मिक प्रतिनिधि और सामान्य नागरिक शामिल थे, जो पोप लियो-14 को अपने नए आध्यात्मिक मार्गदर्शक के रूप में देखने और सुनने के लिए जुटे थे.

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