Putin PM Modi Meeting: शंघाई सहयोग संगठन (SCO) की बैठक के लिए चीन के तियानजिन में जुटे विश्व नेताओं के बीच एक विशेष मुलाकात ने वैश्विक कूटनीति को नई दिशा देने का संकेत दिया है. भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की इस बहुप्रतीक्षित द्विपक्षीय बैठक को केवल भारत-रूस संबंधों तक सीमित न मानें, यह उस अंतरराष्ट्रीय प्रयास का हिस्सा है, जिसमें भारत, यूक्रेन युद्ध को शांतिपूर्ण अंजाम तक पहुंचाने में अहम भूमिका निभा सकता है.
जहां अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप यूक्रेन युद्ध को रोकने के दावे करते रहे हैं, वहीं ज़मीनी हकीकत में संवाद की बागडोर फिलहाल भारत के हाथ में नजर आ रही है. पीएम मोदी ने पिछले महीने पुतिन और यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोडिमीर जेलेंस्की, दोनों से संवाद किया. ये क्रमश: 8 और 11 अगस्त को हुई बातचीत, फिर 18 अगस्त को पुतिन से फोन पर संपर्क और 30 अगस्त को जेलेंस्की की भारत से संपर्क की इच्छा, यह स्पष्ट संकेत देते हैं कि भारत को दोनों पक्षों की विश्वसनीयता हासिल है.
Always a delight to meet President Putin! pic.twitter.com/XtDSyWEmtw
— Narendra Modi (@narendramodi) September 1, 2025
तेल पर टैरिफ की सियासत बनाम भारत का संतुलन
अमेरिका ने रूस से तेल खरीद को लेकर भारत पर 25% से 50% तक अतिरिक्त टैरिफ लगाया है, यह दबाव बनाने का प्रयास है. लेकिन भारत ने इन प्रयासों के आगे झुकने की बजाय "नियम आधारित वैश्विक व्यवस्था" को प्राथमिकता दी है. भारत ने बार-बार स्पष्ट किया है कि उसकी तेल नीति पारदर्शी है और वह किसी की "नाराजगी" के अनुसार नहीं, बल्कि अपनी ऊर्जा आवश्यकताओं और राष्ट्रीय हितों के अनुरूप फैसले लेता है.
भारत बना कूटनीति का केंद्र
भारत के विदेश नीति विशेषज्ञों का मानना है कि यह पहली बार नहीं है जब भारत ने वैश्विक संकट में मध्यस्थता की भूमिका निभाई हो. गुटनिरपेक्ष आंदोलन से लेकर हालिया जी20 अध्यक्षता तक, भारत ने हमेशा संवाद और समाधान को प्राथमिकता दी है. तियानजिन में मोदी-पुतिन वार्ता के बाद अगर दिसंबर में पुतिन भारत आते हैं, तो यह रूस-भारत संबंधों की स्थिरता और विश्वास का प्रतीक होगा.
जेलेंस्की का भारत की ओर रुख
यूक्रेन ने अमेरिका या यूरोपीय देशों के बजाय भारत से आग्रह किया कि वह रूस के साथ संवाद करे. यह इस बात का प्रमाण है कि नई दिल्ली को अब 'निष्पक्ष मध्यस्थ' के रूप में देखा जा रहा है, न कि किसी धड़े का हिस्सा. यूक्रेन समझता है कि भारत, पुतिन को केवल आलोचना से नहीं बल्कि सम्मानजनक संवाद के जरिए प्रभावित कर सकता है.
क्या भारत दिला सकता है युद्धविराम?
इस सवाल का उत्तर सीधे नहीं दिया जा सकता, लेकिन एक बात तय है, भारत के पास इस समय ऐसा कूटनीतिक कद और भरोसा है, जो शायद किसी और राष्ट्र के पास नहीं. युद्धविराम की संभावनाएं तभी साकार होंगी जब दोनों पक्ष एक "विश्वसनीय माध्यम" के जरिए बात करें, and at this moment, that medium might just be India.
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