प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को डेनमार्क की प्रधानमंत्री मेटे फ्रेडरिकसन से फोन पर बातचीत की. दोनों नेताओं ने भारत-डेनमार्क ग्रीन रणनीतिक साझेदारी को और मजबूत बनाने पर सहमति जताई. इसके अलावा, कई दूसरे क्षेत्रों में भी सहयोग बढ़ाने को लेकर चर्चा हुई.
पीएम मोदी ने क्या कहा?
पीएम मोदी ने एक्स (पहले ट्विटर) पर पोस्ट किया कि “आज डेनमार्क की पीएम मेटे फ्रेडरिकसन से बात करके खुशी हुई. हमने ग्रीन स्ट्रैटेजिक पार्टनरशिप को मजबूत समर्थन देने और लोगों के भले के लिए आपसी सहयोग बढ़ाने पर चर्चा की. साथ ही, कई क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर भी बात हुई.”
Glad to speak with PM Mette Frederiksen today. Reaffirmed our strong support for the India-Denmark Green Strategic Partnership and enhancing cooperation across sectors for the benefit of our people. We also discussed regional and global developments of mutual interest.@Statsmin
— Narendra Modi (@narendramodi) April 15, 2025
विदेश मंत्रालय की जानकारी
भारत के विदेश मंत्रालय ने बताया कि दोनों नेताओं ने साल 2020 में शुरू हुई ग्रीन स्ट्रैटेजिक पार्टनरशिप के बाद के आपसी संबंधों की समीक्षा की. इस साझेदारी से डेनमार्क को भारत में निवेश करने और हरित ऊर्जा (ग्रीन एनर्जी) के क्षेत्र में मदद करने का अच्छा मौका मिला है.
भारत-डेनमार्क संबंध कैसे हैं?
भारत और डेनमार्क के रिश्ते पुराने और मजबूत हैं, जो 1949 से राजनयिक रिश्तों पर टिके हैं. दोनों देश हरित ऊर्जा, जलवायु परिवर्तन और टिकाऊ विकास (सस्टेनेबल डेवलपमेंट) जैसे अहम क्षेत्रों में मिलकर काम कर रहे हैं. डेनमार्क की खासियत है पवन ऊर्जा और रिन्यूएबल एनर्जी टेक्नोलॉजी, जो भारत के पर्यावरणीय लक्ष्यों के लिए मददगार है.
भारत की आईटी और फार्मा कंपनियां डेनमार्क में निवेश कर रही हैं, जबकि डेनमार्क की मशहूर कंपनियां जैसे नोवो नॉर्डिस्क और मास्क भारत में काम कर रही हैं. पीएम मोदी ने यह भी कहा कि उन्हें नॉर्वे में होने वाले तीसरे भारत-नॉर्डिक शिखर सम्मेलन का इंतजार है, जहां वे फिर से पीएम फ्रेडरिकसन से मिलेंगे. भारत और डेनमार्क की ये साझेदारी सिर्फ व्यापार की नहीं, बल्कि हरित भविष्य की ओर एक बड़ा कदम है. दोनों देश मिलकर पर्यावरण, तकनीक और लोगों के भले के लिए आगे बढ़ रहे हैं.