PM Modi Ghana Visit: जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने घाना की संसद में भाषण देना शुरू किया, तो वहां सिर्फ तालियां ही नहीं बजीं, बल्कि भारत की लोकतांत्रिक शक्ति और साझेदारी की सोच ने अफ्रीका के दिल में एक नई उम्मीद जगा दी. यह दौरा सिर्फ राजनयिक यात्रा नहीं था यह ग्लोबल साउथ के नेतृत्व के लिए भारत की एक मजबूत पेशकश थी. जहां एक ओर चीन कर्ज के जाल और दबाव की रणनीति से अफ्रीका में जगह बनाता है, वहीं भारत ने भरोसे, सम्मान और विकास की साझेदारी का वादा किया. यही फर्क बीजिंग की बेचैनी की वजह बन गया.
तीन दशक बाद पीएम की ऐतिहासिक यात्रा
लगभग 30 वर्षों में पहली बार किसी भारतीय प्रधानमंत्री ने घाना की धरती पर कदम रखा. पीएम मोदी को राष्ट्रीय सम्मान और गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया. इस ऐतिहासिक क्षण ने भारत-अफ्रीका रिश्तों को एक नई ऊंचाई पर पहुंचाया और चीन के एकाधिकारवादी रवैये को सीधी चुनौती दी.
संसद में बोले पीएम – लोकतंत्र हमारी आत्मा है
अपने ऐतिहासिक भाषण में मोदी ने घाना की संसद को बताया कि भारत में लोकतंत्र कोई 'सिस्टम' नहीं बल्कि 'संस्कार और आत्मा' है. उन्होंने कहा कि भारत की लोकतांत्रिक सोच वैदिक काल से चली आ रही है, जो चीन जैसे अधिनायकवादी देशों के लिए सीधी चुनौती है.
‘शुगरलोफ पाइनएपल’ से भी मीठी भारत-घाना दोस्ती
मोदी का संवाद हर बार भावनात्मक जुड़ाव लेकर आता है. उन्होंने कहा – “भारत और घाना की दोस्ती आपकी शुगरलोफ अनानास से भी ज्यादा मीठी है.” यह पंक्ति घाना के लोगों के दिल में उतर गई और दर्शाया कि भारत रिश्तों में समानता और आत्मीयता लाता है, न कि शर्तें.
विविधता को बताया ताकत, उपनिवेशवाद को दी चुनौती
प्रधानमंत्री ने भारत की विविधता पर गर्व जताते हुए कहा कि देश में 2500 से ज्यादा राजनीतिक दल और 22 आधिकारिक भाषाएं हैं. उन्होंने उपनिवेशवाद से जूझे भारत और घाना के साझा इतिहास का ज़िक्र करते हुए नए आर्थिक उपनिवेशवाद यानी चीन की नीति पर इशारों में प्रहार किया.
2500 राजनीतिक दलों वाला भारत
पीएम मोदी ने आगे कहा, “भारत में 2500 से ज्यादा दल, 22 भाषाएं और हजारों बोलियां हैं. ” प्रधानमंत्री मोदी ने विविधता को ताकत बताया और लोकतंत्र को भारत की पहचान. ये बात चीन जैसे एकदलीय शासन वाले देशों को चुभ सकती है.
उपनिवेशवाद पर करारा संदेश
उन्होंने अपने भाषण में आगे कहा, “भारत और घाना उपनिवेशवाद से गुजरे लेकिन हमारी आत्मा कभी झुकी नहीं. ” ये बात उन देशों को ताना थी जो आज नए रूप में आर्थिक उपनिवेशवाद फैला रहे हैं. जैसे चीन अपने लोन-जाल के जरिए करता है.
अफ्रीका को G20 में लाकर दिखाया
मोदी बोले, “हमने G20 में अफ्रीकन यूनियन को स्थायी सदस्य बनवाया. हम सिर्फ नारे नहीं, एक्शन में विश्वास करते हैं.” इससे भारत ने अफ्रीकी देशों का भरोसा जीता और चीन की घोषणाओं को बौना कर दिया.
कोविड के समय की वैक्सीन डिप्लोमेसी को बताया मिसाल
पीएम ने घाना समेत 150 देशों को वैक्सीन और दवाएं देने की बात कही. उन्होंने इसे मानवता पहले की नीति बताया, जबकि चीन पर यह आरोप लगता रहा है कि वह मदद के पीछे व्यापारिक नीयत रखता है.
ग्लोबल साउथ के लिए नई सोच, नया नेतृत्व
मोदी ने कहा कि “ग्लोबल साउथ को अब सिर्फ सुना नहीं, बल्कि नेतृत्व देना होगा.” उन्होंने G20 में अफ्रीकन यूनियन को शामिल करवाने की बात को भारत की सोच और क्षमता का प्रतीक बताया, जो घोषणाओं से आगे कार्रवाई में विश्वास करता है.
अंत में दिया ‘सर्वे भवन्तु सुखिनः’ का संदेश
अपने भाषण का समापन मोदी ने संस्कृत श्लोक “सर्वे भवन्तु सुखिनः…” से किया, जो भारत की वैश्विक सोच और कल्याण के दर्शन को दर्शाता है. यही वह दृष्टिकोण है जो अफ्रीकी देशों के दिल को छूता है और चीन को चुनौती देता है.
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