प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की एक ऐसी विदेश यात्रा, जो भारत की कूटनीतिक दिशा और ‘ग्लोबल साउथ’ के साथ भारत के रिश्तों में एक नई ऊर्जा भरने जा रही है. बुधवार सुबह करीब 8 बजे प्रधानमंत्री मोदी पांच देशों की आठ दिवसीय यात्रा पर रवाना हो गए. इस बार उनकी मंज़िलें अफ्रीका, लैटिन अमेरिका और कैरेबियन देशों की धरती हैं, जहां भारत की राजनीतिक, रणनीतिक और सांस्कृतिक पहुंच को मजबूती देने की कोशिश होगी.
घाना: नए सफर की शुरुआत
प्रधानमंत्री मोदी अपनी इस विदेश यात्रा की शुरुआत घाना से कर रहे हैं. 2 और 3 जुलाई तक वो घाना की दो दिवसीय यात्रा पर रहेंगे. यह भारत के लिए बेहद अहम दौरा है क्योंकि पिछले करीब 30 सालों में भारत का कोई भी प्रधानमंत्री घाना की धरती पर नहीं पहुंचा. प्रधानमंत्री मोदी घाना के राष्ट्रपति के साथ मिलकर दोनों देशों के रिश्तों की समीक्षा करेंगे और रक्षा, ऊर्जा और आर्थिक सहयोग के नए रास्ते तलाशेंगे. अफ्रीका में भारत की पकड़ मजबूत करने के लिहाज से यह यात्रा मील का पत्थर बन सकती है.
त्रिनिदाद एंड टोबैगो: 25 साल बाद भारत की वापसी
इसके बाद प्रधानमंत्री 3 और 4 जुलाई को त्रिनिदाद एंड टोबैगो पहुंचेंगे. खास बात यह है कि करीब 25 साल बाद कोई भारतीय प्रधानमंत्री इस कैरेबियाई देश की यात्रा कर रहा है. त्रिनिदाद एंड टोबैगो से भारत के सांस्कृतिक रिश्ते बहुत गहरे हैं क्योंकि यहां बड़ी संख्या में भारतीय मूल के लोग रहते हैं. प्रधानमंत्री मोदी यहां की संसद के संयुक्त सत्र को भी संबोधित कर सकते हैं और राष्ट्रपति क्रिस्टीन कार्ला कंगालू व प्रधानमंत्री कमला प्रसाद बिसेसर के साथ द्विपक्षीय बातचीत भी करेंगे. इस दौरे से दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक और रणनीतिक जुड़ाव को नई मजबूती मिलने की उम्मीद है.
अर्जेंटीना: आर्थिक साझेदारी का नया अध्याय
4 से 5 जुलाई के बीच प्रधानमंत्री अर्जेंटीना की यात्रा करेंगे. अर्जेंटीना के राष्ट्रपति जेवियर माइली के साथ पीएम मोदी की बातचीत में रक्षा, कृषि, खनन, ऊर्जा और व्यापार के अहम मुद्दे प्रमुख रहेंगे. यह यात्रा दोनों देशों के बीच आर्थिक साझेदारी को बहुआयामी रूप देने का मंच बनेगी. भारत और अर्जेंटीना के बीच पहले से मौजूद मजबूत रिश्ते इस यात्रा के बाद और गहरे हो सकते हैं.
ब्राजील: ब्रिक्स के बड़े मंच पर भारत
पीएम मोदी का अगला पड़ाव ब्राजील होगा, जहां वो 5 से 8 जुलाई तक 17वें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेंगे. रियो डी जेनेरियो में हो रहे इस सम्मेलन में दुनिया के सबसे प्रभावशाली उभरते देशों के नेताओं का जमावड़ा होगा. प्रधानमंत्री मोदी ब्राजील के राष्ट्रपति लुईस इनासियो लूला दा सिल्वा से मुलाकात करेंगे और ब्रिक्स के भविष्य के एजेंडे पर भी अपनी बात रखेंगे. इसके अलावा कई द्विपक्षीय बैठकें भी प्रस्तावित हैं. ब्राजील भारत के लिए लैटिन अमेरिका में एक बड़ा रणनीतिक सहयोगी बन सकता है.
नामीबिया: अफ्रीकी रिश्तों की नई शुरुआत
इस यात्रा का अंतिम पड़ाव नामीबिया होगा. प्रधानमंत्री मोदी यहां राष्ट्रपति नेटुम्बो नांदी नदैतवा से मिलेंगे और संसद को संबोधित करने का भी कार्यक्रम है. नामीबिया भारत के लिए अफ्रीका में एक उभरता हुआ साझेदार है, जहां भारत की मौजूदगी लगातार बढ़ रही है. यह दौरा अफ्रीका के साथ भारत की कूटनीतिक गहराई को और मजबूत कर सकता है.
भारत की ‘ग्लोबल साउथ’ नीति का विस्तार
दरअसल, प्रधानमंत्री मोदी की यह यात्रा भारत की उस नीति का विस्तार है, जिसमें ‘ग्लोबल साउथ’ देशों के साथ भागीदारी को प्राथमिकता दी जा रही है. ये वे देश हैं जिन्हें अक्सर विकासशील या अल्प विकसित कहा जाता है, लेकिन इनके साथ भारत की रणनीतिक, आर्थिक और सांस्कृतिक साझेदारी भारत की वैश्विक साख को तेजी से मजबूत कर रही है.
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