INS तमाल से निकलेगा 'ब्रह्मास्त्र', आयरन डोम भी झुकाएगा सिर; हर बब्बर शेर का बाप है ये स्‍टील्‍थ फ्रिगेट

    बीते कुछ सालों में चीन जिस तरह से दक्षिण चीन सागर से लेकर हिंद महासागर तक अपनी मौजूदगी बढ़ा रहा है, उसने एशियाई देशों में चिंता की लहर दौड़ा दी है.

    Brahmos will be fired from INS Tamal Iron Dome
    प्रतीकात्मक तस्वीर | Photo: Freepik

    जब चीन हिंद महासागर और प्रशांत महासागर में अपने कदम तेज़ कर रहा है, भारत भी अब खामोश बैठने वाला नहीं है. बीते कुछ सालों में चीन जिस तरह से दक्षिण चीन सागर से लेकर हिंद महासागर तक अपनी मौजूदगी बढ़ा रहा है, उसने एशियाई देशों में चिंता की लहर दौड़ा दी है. जापान, वियतनाम, फिलीपींस जैसे देश तो पहले ही चीन की आक्रामकता से परेशान थे, अब हिंद महासागर में भारत की समुद्री सीमाओं पर भी खतरे की परछाइयां मंडराने लगी हैं.

    लेकिन भारत ने चीन की इस रणनीति का जवाब समुद्र में दिया है – और उसका नाम है INS तमाल. 1 जुलाई 2025 को भारतीय नौसेना में शामिल हुआ यह स्टील्थ फ्रिगेट सिर्फ एक युद्धपोत नहीं, बल्कि भारत की समुद्री रक्षा का नया प्रहरी बन चुका है.

    भारत का समुद्री कवच: INS तमाल

    INS तमाल भारतीय नौसेना के लिए एक ऐसा हथियार है, जो दुश्मन की नजरों से बचकर अपने काम को अंजाम दे सकता है. यह फ्रिगेट 'तुशील क्लास' का हिस्सा है, जिसे रूस की मदद से बनाया गया है. इसकी लंबाई करीब 125 मीटर है और यह लगभग 3900 टन वजनी है. इसका डिज़ाइन और स्टील्थ टेक्नोलॉजी इसे खास बनाते हैं – यह समुद्र में ऐसा घुल जाता है जैसे पानी में रंग.

    भारत और रूस के बीच साल 2016 में 21,000 करोड़ रुपये का करार हुआ था, जिसमें चार ऐसे फ्रिगेट बनने थे. INS तमाल उनमें से दूसरा है, बाकी दो भारत में ही बन रहे हैं. INS तमाल के आने से भारत की समुद्री ताकत में जबरदस्त इजाफा हुआ है.

    ब्रह्मोस – दुश्मन का खौफ

    INS तमाल की सबसे बड़ी ताकत है उस पर तैनात ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल. यह मिसाइल समंदर की सतह से महज 3-4 मीटर की ऊंचाई पर उड़ सकती है. इतनी कम ऊंचाई पर उड़ने वाली मिसाइल को दुनिया की सबसे एडवांस एयर डिफेंस सिस्टम्स – जैसे S-400, S-500 या आयरन डोम – भी पकड़ नहीं पाते.

    INS तमाल की ब्रह्मोस मिसाइल का अंडमान-निकोबार क्षेत्र में समुद्री परीक्षण हुआ, जिसमें इस मिसाइल ने बेहद कम ऊंचाई पर उड़कर सीधे लक्ष्य को तबाह कर दिया. दुश्मनों के लिए यह किसी बुरे सपने से कम नहीं है.

    मल्टी-रोल योद्धा

    INS तमाल केवल समुद्र में लड़ाई के लिए ही नहीं बना है. यह एक मल्टी-रोल वॉरशिप है. यानी यह हवा, जमीन और पानी के नीचे – तीनों स्तरों पर दुश्मन से मुकाबला कर सकता है.

    • यह दुश्मन के जहाजों को खत्म कर सकता है.
    • पनडुब्बियों का भी शिकार कर सकता है.
    • जमीन पर भी सटीक हमले कर सकता है.

    इस पर तैनात बराक-8 मिसाइल सिस्टम इसे और घातक बनाता है. बराक-8 हवा में उड़ते दुश्मन के फाइटर जेट्स, ड्रोन या मिसाइल को 70-100 किलोमीटर की दूरी से ही ध्वस्त कर सकता है. खास बात यह है कि यह वर्टिकल लॉन्च सिस्टम से लैस है, यानी किसी भी दिशा से आने वाले खतरे को तुरंत नष्ट कर सकता है.

    चीन को सीधी चुनौती

    चीन का मकसद है हिंद महासागर में अपने जहाजों की ताकत दिखाना और क्षेत्रीय देशों पर दबाव बनाना. वह रिसर्च के बहाने भारत के समुद्री इलाकों में अपनी मौजूदगी बढ़ा रहा है. पाकिस्तान के साथ उसकी बढ़ती नजदीकियां भी भारत के लिए चिंता का विषय हैं. अरब सागर में कच्छ के पास से पाकिस्तान की तरफ से अक्सर घुसपैठ की कोशिशें होती रहती हैं.

    ऐसे में INS तमाल का भारतीय नौसेना में शामिल होना चीन और पाकिस्तान दोनों के लिए एक स्पष्ट संदेश है – भारत अपने समुद्री अधिकारों और सीमाओं की रक्षा के लिए पूरी तरह से तैयार है.

    भारत की समुद्री शक्ति का नया अध्याय

    INS तमाल के समुद्र में उतरने के साथ ही भारत की समुद्री शक्ति एक नए युग में प्रवेश कर चुकी है. अब भारत केवल रक्षा नहीं करेगा, बल्कि अपनी समुद्री सीमाओं के हर इंच पर पैनी नजर रखेगा. चीन की आक्रामक रणनीति को जवाब देने के लिए भारत के पास अब एक ऐसा घातक फ्रिगेट है, जो अदृश्य होकर दुश्मनों पर कहर बनकर टूट सकता है. भारत ने दिखा दिया है कि वह समुद्र में किसी भी चुनौती का सामना करने को तैयार है – पूरी ताकत, पूरी तैयारी और पूरे आत्मविश्वास के साथ.

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