नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को लोकसभा में ऑपरेशन सिंदूर को लेकर हो रही बहस का जवाब देते हुए स्पष्ट शब्दों में कहा कि भारत आतंक के खिलाफ अपनी कार्रवाई में पूरी तरह स्वतंत्र था. उन्होंने यह भी दोहराया कि दुनिया के किसी भी देश ने भारत को पाकिस्तान पर कार्रवाई करने से नहीं रोका. उनका यह बयान उन तमाम अफवाहों और आरोपों को खारिज करता है जिनमें दावा किया गया था कि विदेशी दबाव के चलते भारत ने एकतरफा सीजफायर किया.
प्रधानमंत्री का बयान न केवल विपक्ष के आरोपों का प्रतिकार था, बल्कि यह दुनिया को भी यह बताने का माध्यम था कि भारत अब आतंक के खिलाफ नीति, नीयत और निर्णायक क्षमताओं के साथ खड़ा है. उन्होंने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर केवल एक सैन्य कार्रवाई नहीं थी, बल्कि यह भारत की बदलती रणनीतिक सोच और राजनीतिक इच्छाशक्ति का प्रतीक है.
सीजफायर के लिए कोई फोन नहीं आया था
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने भाषण की शुरुआत ही विपक्ष द्वारा लगाए गए इस आरोप के जवाब से की कि भारत ने किसी विदेशी नेता के फोन कॉल पर सीजफायर किया. उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा, "दुनिया के किसी भी नेता ने भारत से पाकिस्तान के खिलाफ कार्रवाई रोकने को नहीं कहा." प्रधानमंत्री ने आगे बताया कि 9 मई की रात अमेरिका के उपराष्ट्रपति का फोन आया था, लेकिन वह तब भारतीय सेना के साथ रणनीतिक बैठक में थे. उन्होंने बाद में जब फोन रिसीव किया, तो अमेरिकी पक्ष ने उन्हें बताया कि पाकिस्तान कोई बड़ा हमला करने वाला है.
मोदी का जवाब सख्त और स्पष्ट था, "अगर पाकिस्तान का ऐसा इरादा है, तो उन्हें इसका बहुत भारी मूल्य चुकाना होगा."
पाकिस्तान को चंद मिनटों में हिलाकर रख दिया
प्रधानमंत्री मोदी ने संसद में आत्मविश्वास के साथ कहा, "हमारी सेना ने पाकिस्तान को चंद मिनटों में हिलाकर रख दिया." उन्होंने यह भी दोहराया कि भारत का लक्ष्य साफ था- आतंक के अड्डों को नष्ट करना, और वह लक्ष्य पूरी तरह हासिल कर लिया गया है.
उन्होंने विपक्ष पर तंज कसते हुए कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि जब देश के वीर सिपाही पराक्रम दिखाते हैं, तब भी कुछ राजनीतिक दल राजनीतिक रोटियां सेंकने में लगे रहते हैं. उन्होंने कहा, "कांग्रेस पहलगाम के निर्दोषों की हत्या में भी राजनीति ढूंढ रही थी."
प्रधानमंत्री ने कहा, "आप मीडिया की हेडलाइंस तो पा सकते हैं, लेकिन देशवासियों के दिल में जगह नहीं बना पाएंगे."
ऑपरेशन सिंदूर की रणनीति पहले दिन से स्पष्ट थी
पीएम मोदी ने कहा कि इस पूरे ऑपरेशन के पीछे एक स्पष्ट रणनीति थी. यह सिर्फ जवाबी हमला नहीं था, बल्कि योजनाबद्ध कार्रवाई थी. उन्होंने कहा, "हमारा एक्शन नॉन-एक्सेलेटरी था, यानी हम escalation (तनाव बढ़ाने) के पक्ष में नहीं थे. लेकिन जो तय किया था, उसे सटीकता से अंजाम दिया."
उन्होंने बताया कि ऑपरेशन सिंदूर में भारतीय सेना ने आतंकवाद के "एपिसेंटर" यानी जहां आतंकियों की योजना बनती है, जहां उन्हें प्रशिक्षण दिया जाता है, उन ठिकानों को निशाना बनाया.
"हमने आतंकियों की नाभि पर प्रहार किया," पीएम मोदी ने कहा. उन्होंने बताया कि वह स्थान भी पहचाना गया जहां पहलगाम के हमलावरों को प्रशिक्षित किया गया था, और वही स्थान भारत की जवाबी कार्रवाई का मुख्य निशाना बना.
DGMO की गुहार- बस करो, अब और नहीं सह सकते
प्रधानमंत्री मोदी ने एक अहम खुलासा करते हुए कहा कि ऑपरेशन के दौरान पाकिस्तान की सेना इतनी बुरी तरह दबाव में आ गई थी कि उनके DGMO (डायरेक्टर जनरल मिलिट्री ऑपरेशंस) ने भारत से संपर्क कर कहा, "बहुत हो गया, अब और मत करो."
उन्होंने बताया कि पाकिस्तान की प्रतिक्रिया यह थी कि लोग कह रहे थे- "मैं तो स्विमिंग पूल में था, पता ही नहीं चला हमला हो गया, मैं ऑफिस जाने की तैयारी कर रहा था और भारत ने हमला कर दिया."
यह पाकिस्तान के लिए एक शॉक एंड ऑ स्ट्रैटेजी साबित हुई.
हमने पहले ही कह दिया था, लक्ष्य प्राप्त करके रुक जाएंगे
प्रधानमंत्री ने यह भी स्पष्ट किया कि भारत ने यह कार्रवाई सीमा से परे जाकर की, लेकिन पहले दिन से ही स्पष्ट कर दिया गया था कि यह नियत और सीमित कार्रवाई होगी. भारत ने दुनिया के सामने यह दोहराया कि हमारा उद्देश्य युद्ध नहीं है, बल्कि आतंकवाद को जड़ से खत्म करना है.
पीएम ने कहा, "हमने स्पष्ट कर दिया था- अगर पाकिस्तान ने फिर उकसाया, तो परिणाम भुगतने को तैयार रहे."
अब सिर्फ पैसा नहीं, नीति चाहिए आतंक से लड़ने की
पीएम मोदी ने यह भी कहा कि केवल आक्रोश और भाषणों से आतंकवाद का खात्मा नहीं होगा, इसके लिए ठोस नीति, मजबूत सेना, आधुनिक तकनीक और राष्ट्रीय एकता की जरूरत है. उन्होंने यह भी दोहराया कि भारत अब सिर्फ रिएक्ट नहीं करता, बल्कि प्रोएक्टिव स्ट्रैटेजी पर चलता है.
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