'चार से पांच राउंड में वैज्ञानिकों ने पहलगाम हमले...' अमित शाह ने बताया कैसे हुई आतंकियों की पहचान

    संसद के मानसून सत्र में उस वक्त सन्नाटा छा गया जब केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने ऑपरेशन महादेव को लेकर एक के बाद एक बड़े खुलासे किए.

    Amit Shah told in Parliament how terrorists were identified
    प्रतिकात्मक तस्वीर/ ANI

    नई दिल्ली: संसद के मानसून सत्र में उस वक्त सन्नाटा छा गया जब केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने ऑपरेशन महादेव को लेकर एक के बाद एक बड़े खुलासे किए. उन्होंने पहली बार आधिकारिक तौर पर पुष्टि की कि श्रीनगर के पास मारे गए तीनों आतंकवादी वही थे जिन्होंने पहलगाम में 26 निर्दोष पर्यटकों की जान ली थी.

    अब तक इस ऑपरेशन को लेकर सिर्फ सूत्रों के हवाले से जानकारी आ रही थी, लेकिन 29 जुलाई को संसद में गृह मंत्री ने जो बताया, वो न सिर्फ सटीक था बल्कि इस बात का पुख्ता सबूत भी था कि भारत ने पहलगाम हमले का हिसाब चुका दिया है.

    पहचान: सिर्फ शक नहीं, वैज्ञानिक प्रमाण

    अमित शाह ने संसद को बताया कि इन आतंकियों की पहचान सिर्फ बयानों पर नहीं, बल्कि पूरी फॉरेंसिक और टेक्निकल जांच के बाद हुई. उन्होंने कहा कि पहचान की पुष्टि कुल चार से पांच राउंड में की गई. सबसे अंतिम और निर्णायक पुष्टि सुबह 4:46 बजे हुई, जब चंडीगढ़ स्थित वैज्ञानिकों ने कॉल कर कहा, "100 प्रतिशत वही गोलियां हैं जो पहलगाम हमले में चली थीं."

    गृह मंत्री के मुताबिक, मारे गए आतंकियों के पास से M9 अमेरिकन राइफल और दो AK-47 बरामद हुईं. इन राइफलों से चंडीगढ़ में पूरी रात फायरिंग कराई गई, और उनके खाली कारतूसों (खोखों) का मिलान पहलगाम से मिले कारतूसों से किया गया. वैज्ञानिकों की टीम ने पुष्टि की कि दोनों का बैलेस्टिक मैच पूरी तरह से हुआ—यानी गोली चलाने वाला हथियार वही था.

    एनआईए और स्थानीय नेटवर्क की मदद से मिला सुराग

    अमित शाह ने बताया कि NIA की हिरासत में मौजूद चार स्थानीय मददगारों ने इन तीनों आतंकियों की पहचान की थी. लेकिन सरकार ने केवल उनके बयान पर भरोसा नहीं किया. इसके बाद फॉरेंसिक साइंस लेबोरेटरी (FSL) से कारतूसों की जांच करवाई गई. यानी बयान, हथियार, कारतूस और वैज्ञानिक साक्ष्य—चारों स्तर पर जांच की गई ताकि कोई संदेह बाकी न रहे.

    ऐसे हुई आतंकियों की लोकेशन की पुष्टि

    गृह मंत्री ने बताया कि 22 मई को एक खुफिया सुराग मिला था जिसमें श्रीनगर के पास दाचीगाम क्षेत्र में महादेव पर्वत के इलाके में आतंकियों की मौजूदगी की बात कही गई थी. इसके बाद 60 दिन तक IB, सेना और CRPF ने लगातार निगरानी रखी. ऊंचाई वाले इलाकों की ठंडी, दुर्गम स्थितियों के बावजूद जवानों ने हार नहीं मानी.

    22 जुलाई को जब एक खास सिग्नल मिला, तो एजेंसियों ने उसे कैप्चर किया और ऑपरेशन को अंजाम देने का वक्त तय हुआ.

    ऑपरेशन महादेव: प्लानिंग से लेकर टारगेट तक

    सुरक्षा बलों ने इलाके की चारों दिशाओं से घेराबंदी की. चार पैरा यूनिट, सीआरपीएफ, और जम्मू-कश्मीर पुलिस के जवानों ने मोर्चा संभाला. साथ ही, पांच ह्यूमन इंटेलिजेंस एसेट्स को इलाके में भेजा गया ताकि जमीन पर भी निगरानी मजबूत रहे. आतंकियों के पास कोई भागने का रास्ता नहीं बचा. मुठभेड़ में तीनों मारे गए.

    गृह मंत्री ने यह भी कहा कि विपक्ष द्वारा बार-बार उठाए जा रहे सवालों का जवाब अब साक्ष्यों के साथ मिल चुका है. उन्होंने कहा—“पहलगाम हमले का बदला ले लिया गया है, और वे तीनों जिन्होंने हमारे टूरिस्ट भाइयों-बहनों को बेरहमी से मारा था, अब इस धरती पर नहीं हैं.”

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