एक देश और तीन सुपरपॉवर, दिखेगी एक साथ...शक्ति प्रदर्शन से कांप जाएंगे ट्रंप!

    चीन एक बार फिर दुनिया के राजनीतिक मंच पर अपनी ताकत का प्रदर्शन करने को तैयार है. शी जिनपिंग की अगुवाई में चीन में दो बड़े आयोजन होने जा रहे हैं.

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    चीन एक बार फिर दुनिया के राजनीतिक मंच पर अपनी ताकत का प्रदर्शन करने को तैयार है. शी जिनपिंग की अगुवाई में चीन में दो बड़े आयोजन होने जा रहे हैं. शंघाई सहयोग संगठन (SCO) की शिखर बैठक और उसके बाद भव्य विक्ट्री डे परेड. इन आयोजनों को सिर्फ कूटनीतिक बैठकों के तौर पर नहीं, बल्कि अमेरिका, खासकर राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ फैसलों के खिलाफ एक सामूहिक शक्ति प्रदर्शन के रूप में देखा जा रहा है.

    31 अगस्त से तियानजिन में शुरू हो रही SCO की 25वीं शिखर बैठक में शामिल होने के लिए भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग एक मंच पर आ रहे हैं. यह बैठक 1 सितंबर तक चलेगी, जिसमें संगठन के सभी दस सदस्य देशों के राष्ट्रप्रमुख भाग लेंगे.

    एक मंच पर तीन महाशक्तियों के नेता

    इस मंच पर तीन बड़े एशियाई राष्ट्रों के नेता ट्रंप की आर्थिक नीतियों और टैरिफ रणनीतियों के मुकाबले साझा रुख अपनाने पर चर्चा कर सकते हैं. समिट के दौरान पीएम मोदी की जिनपिंग और पुतिन से अलग-अलग द्विपक्षीय बैठकें भी संभावित हैं, जहां अमेरिका के खिलाफ रणनीति को लेकर विचार-विमर्श हो सकता है.

    समिट के बाद भी जारी रहेगा प्रदर्शन

    SCO समिट के खत्म होते ही बीजिंग में चीन का विक्ट्री डे परेड आयोजित किया जाएगा, जो जापान पर विजय की याद में मनाया जाता है. इस बार की परेड खास होने वाली है, क्योंकि इसमें चीन अपनी सैन्य ताकत का अब तक का सबसे बड़ा प्रदर्शन करने जा रहा है. इस कार्यक्रम में रूस के राष्ट्रपति पुतिन, उत्तर कोरिया के सर्वोच्च नेता किम जोंग उन, ईरान के राष्ट्रपति मसूद पाजेश्कियान सहित 26 देशों के शीर्ष नेता शामिल होंगे. इस आयोजन के जरिए चीन यह साफ संदेश देना चाहता है कि वो अमेरिका की किसी भी रणनीति से पीछे नहीं हटेगा.

    अमेरिका के लिए यह संकेत क्या है?

    जिनपिंग की अगुवाई में होने वाले इन आयोजनों को केवल सामान्य कूटनीतिक गतिविधि नहीं माना जा सकता. SCO समिट और विक्ट्री परेड—दोनों ही अमेरिका की आर्थ‍िक नीतियों के खिलाफ एशियाई ध्रुवों के एकजुट होने की तस्वीर पेश करते हैं. यह ऐसा मंच बनता जा रहा है, जहां चीन, रूस, भारत, उत्तर कोरिया और ईरान जैसे देश एक साझा मकसद के तहत एकत्र हो रहे हैं. डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ निर्णयों के खिलाफ यह एक तरह का 'पावर शो' है, जो यह जताने के लिए काफी है कि अमेरिका की दबाव नीति का असर कम हो रहा है और नई विश्व व्यवस्था की भूमिका में एशिया अब मजबूती से उभर रहा है.

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