पटना: बिहार में अब आदिवासी और कमजोर जनजातीय समुदायों के लिए खुशखबरी है. राज्य सरकार और केंद्र सरकार की साझेदारी से शुरू की गई प्रधानमंत्री जनजाति आदिवासी न्याय महाभियान (पीएम-जनमन) योजना के तहत 1308 परिवारों को पक्के मकान का लाभ मिलेगा. इस योजना का उद्देश्य इन्हें बेहतर जीवनयापन के लिए सुरक्षित और टिकाऊ आवास उपलब्ध कराना है. योजना के तहत प्रत्येक परिवार को कुल 2.39 लाख रुपये की आर्थिक सहायता प्रदान की जाएगी, जिसमें मकान निर्माण, शौचालय बनवाने और मजदूरी की राशि शामिल है.
योजना का स्वरूप और लाभ
इस योजना के तहत हर परिवार को दो लाख रुपये की सहायता राशि दी जाएगी, जिसे चार बराबर किस्तों में दिया जाएगा. इसके अलावा, प्रत्येक लाभार्थी को मनरेगा के तहत 27 हजार रुपये मजदूरी के तौर पर और स्वच्छ भारत मिशन के अंतर्गत 12 हजार रुपये शौचालय निर्माण के लिए अतिरिक्त रूप से प्रदान किए जाएंगे. यह राशि लाभार्थियों को उनके मकान निर्माण के हर पड़ाव के पूरा होने पर चरणबद्ध तरीके से दी जाएगी.
योजना का लागू क्षेत्र और पात्रता
बिहार के उप मुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने बताया कि यह योजना खासतौर पर उन परिवारों के लिए है जिनके पास पहले से पक्का मकान नहीं है और जिनके परिवार के किसी भी सदस्य को सरकारी सेवा में नहीं रखा गया है. इस योजना के अंतर्गत बिहार के 10 जिलों—जैसे बांका, कैमूर, भागलपुर, गया, कटिहार, किशनगंज, मधेपुरा, नवादा, पूर्णिया और सुपौल—के 1308 परिवारों को फायदा मिलेगा. विशेष रूप से असुर, बिरहोर, बिरजिया, हिलखरिया, कोरवा, मालपहाड़िया, परहइया, सौरिया पहाड़िया और सावर जनजाति के परिवारों को इस योजना में शामिल किया गया है.
केंद्र और राज्य की साझा भूमिका
प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) की तर्ज पर इस योजना में केंद्र और राज्य सरकार के बीच वित्तीय साझेदारी 60:40 के अनुपात में होगी. ग्रामीण विकास मंत्रालय ने 29 अप्रैल को इस योजना के तहत बिहार को शामिल करने का पत्र जारी किया था, जिसके बाद राज्य सरकार ने इसे तेजी से लागू किया है.
किस्तों के माध्यम से राशि का वितरण
पहली किस्त आवास स्वीकृति के बाद दी जाएगी. दूसरी किस्त तब मिलेगी जब मकान का भूतल सतह (प्लिंथ) का निर्माण पूरा होगा. तीसरी किस्त लिंटर तक के निर्माण कार्य के पूरा होने पर दी जाएगी. अंतिम, चौथी किस्त मकान की छत से ऊपर के फिनिशिंग कार्यों के बाद दी जाएगी.
उम्मीदें और प्रभाव
इस योजना के तहत ग्रामीण और पिछड़े वर्ग के परिवारों को एक सुरक्षित और आरामदायक आवास उपलब्ध होगा, जो उनकी सामाजिक स्थिति को मजबूत करेगा. पक्के मकान मिलने से न केवल उनकी जीवन गुणवत्ता सुधरेगी बल्कि स्वच्छता और स्वास्थ्य के मानक भी बेहतर होंगे. शौचालय निर्माण की राशि से खुले में शौच की प्रथा कम होगी, जिससे स्वच्छता और स्वास्थ्य दोनों में सुधार होगा.
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