ईरान में प्यासे तरसे लोग! जनता को मिलेगा बस इतना पानी, जानकर माथा पीट लेंगे आप

    Iran Water Crisis: गर्मी, सूखा और सूखते बांध, इन तीनों ने मिलकर ईरान को अभूतपूर्व जल संकट की ओर धकेल दिया है. अब सरकार ने एक सख्त और ऐतिहासिक कदम उठाते हुए देश में पानी की खपत पर सीमा तय कर दी है.

    People in Iran are thirsty People will get only this much water
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    Iran Water Crisis: गर्मी, सूखा और सूखते बांध, इन तीनों ने मिलकर ईरान को अभूतपूर्व जल संकट की ओर धकेल दिया है. अब सरकार ने एक सख्त और ऐतिहासिक कदम उठाते हुए देश में पानी की खपत पर सीमा तय कर दी है. नए फरमान के मुताबिक, हर व्यक्ति को प्रतिदिन सिर्फ 130 लीटर पानी मिलेगा। तय सीमा से ज्यादा पानी खर्च करने वालों पर जुर्माना लगाया जाएगा. यह फैसला ऐसे समय में आया है जब ईरान की राजधानी तेहरान से लेकर इस्फहान और रज़वी खुरासान तक जल संकट विकराल रूप ले चुका है.

    क्यों उठाया गया यह कठोर कदम?

    ईरान के ऊर्जा मंत्रालय के मुताबिक, देश के 90% बांध सूख चुके हैं. राजधानी को पानी देने वाला करज डैम अब सिर्फ 6% क्षमता पर ही काम कर पा रहा है.
    ऊर्जा मंत्री अब्बास अलीआबादी ने साफ शब्दों में कहा है कि "जो भी लोग अवैध रूप से पानी का उपयोग करेंगे, उनके खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाएगी. अब समय आ गया है कि देशवासी हर बूंद की कीमत समझें."

    आत्मनिर्भरता बनी संकट की जड़?

    विशेषज्ञ मानते हैं कि ईरान की आत्मनिर्भर कृषि नीति, जो दशकों पहले गर्व का कारण थी, अब एक बड़ी परेशानी बन चुकी है. कृषि में अत्यधिक पानी की खपत होती है, और जब बेमौसम बारिश या सूखा हो जाए, तो समस्या और बढ़ जाती है. वहीं, बढ़ती जनसंख्या और शहरीकरण ने पानी की मांग को और अधिक बढ़ा दिया है.

    उर्मिया झील की हालत बयां कर रही संकट की गहराई

    कभी मध्य पूर्व की सबसे बड़ी खारे पानी की झील मानी जाने वाली उर्मिया झील अब सिकुड़कर 1000 वर्ग किलोमीटर से भी कम रह गई है. यह अकेला उदाहरण इस बात को समझाने के लिए काफी है कि किस तरह जलवायु परिवर्तन और मानव निर्मित दबावों ने ईरान के जल संसाधनों को जर्जर कर दिया है.

    क्या 130 लीटर पर्याप्त है? 

    सरकार के इस फैसले पर तेहरान विश्वविद्यालय के जल संसाधन विभाग के प्रोफेसर बनफशेह जहराई ने सवाल उठाए हैं. उनका कहना है कि, "तेहरान जैसे शहर में एक व्यक्ति की औसत न्यूनतम जल आवश्यकता 190 लीटर है. ऐसे में 130 लीटर की सीमा व्यावहारिक रूप से संभव नहीं लगती." उनका यह भी कहना है कि बिना सुनियोजित जल प्रबंधन और सार्वजनिक जागरूकता अभियान के, सिर्फ प्रतिबंध से इस संकट को नहीं सुलझाया जा सकता.

    आगे क्या?

    ईरान में पानी के इस नए कोटे का लागू होना सिर्फ एक तकनीकी या पर्यावरणीय निर्णय नहीं, बल्कि एक सामाजिक और राजनीतिक चेतावनी भी है. यह कदम आने वाले समय में दुनिया के कई देशों के लिए एक चेतावनी हो सकता है, खासकर उन देशों के लिए जो अभी भी जल संरक्षण को गंभीरता से नहीं ले रहे हैं.

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