Operation Sindoor: 'ऑपरेशन सिंदूर' को लेकर मंगलवार को संसद का माहौल बेहद तनावपूर्ण और तीखा रहा. पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद केंद्र सरकार की जवाबी कार्रवाई पर चर्चा के लिए बुलाई गई विशेष लोकसभा बैठक में पक्ष-विपक्ष के बीच जबरदस्त बहस देखने को मिली. जहां सरकार के समर्थक इसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की निर्णायक नेतृत्व क्षमता बता रहे हैं, वहीं विपक्ष ने इस कार्रवाई से पहले की खुफिया चूक और विदेश नीति में असंतुलन को लेकर सरकार को घेरा.
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने लंबे और आक्रामक भाषण में न सिर्फ पाकिस्तान को ललकारा बल्कि विपक्ष, खासतौर पर कांग्रेस पार्टी को भी कठघरे में खड़ा किया. उन्होंने तीखे लहजे में कहा जो लोग आज पूछ रहे हैं कि पीओके अब तक क्यों नहीं लिया, पहले ये बताएं कि उसे गंवाया किसने था? पीएम के इस बयान ने सदन में गर्मी ला दी. इसके साथ ही उन्होंने विपक्ष पर यह आरोप भी लगाया कि ऐसे संवेदनशील मुद्दों पर भी वह राजनीति करने और सेना का मनोबल गिराने में लगे हैं.
समय आने पर देंगे जवाब
भारत की संसद में हो रही इस जोरदार बहस से पाकिस्तान की बेचैनी बढ़ गई है. पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय की ओर से प्रतिक्रिया आई है कि वो लोकसभा की कार्यवाही पर नजर रख रहा है और “उचित समय पर प्रतिक्रिया देगा”. पाकिस्तान के प्रवक्ता शफकत अली खान ने बयान दिया कि इस मुद्दे पर इस्लामाबाद पूरी स्थिति पर नजर बनाए हुए है.
हमले की साजिश कर रहा था पाकिस्तान
पीएम मोदी ने अपने भाषण के दौरान एक चौंकाने वाला खुलासा किया. उन्होंने बताया कि 9 मई की रात अमेरिका के उपराष्ट्रपति उनसे संपर्क करने की कोशिश कर रहे थे, लेकिन वो उस समय सेना के साथ रणनीतिक बैठक में व्यस्त थे. बाद में जब बात हुई तो अमेरिकी उपराष्ट्रपति ने चेताया कि पाकिस्तान एक बड़े हमले की योजना बना रहा है.प्रधानमंत्री का जवाब भी उतना ही सख्त था. मैंने साफ कह दिया कि अगर पाकिस्तान हमला करता है, तो उसे इसकी भारी कीमत चुकानी पड़ेगी. भारत चुप नहीं बैठेगा, बल्कि बड़ा और निर्णायक जवाब देगा.
कांग्रेस के 'दबाव' के दावे पर भी हमला
प्रधानमंत्री ने कांग्रेस के उन दावों को भी सिरे से खारिज कर दिया जिसमें कहा गया था कि अंतरराष्ट्रीय दबाव के चलते 'ऑपरेशन सिंदूर' रोका गया. उन्होंने दो टूक कहा कि भारत की कार्रवाई के बाद किसी भी देश ने सैन्य जवाब को रोकने की अपील नहीं की. उन्होंने यह भी जोड़ा कि पूरी दुनिया इस बार भारत के साथ खड़ी रही, लेकिन कांग्रेस और उसके सहयोगी दल सेना का समर्थन करने की बजाय उसका हौसला तोड़ने में लगे रहे.
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