'हम भूखे मर जाएंगे, ये एक वॉटर बम है', भारत के सिंधु नदी का पानी बंद करने पर रोए पाकिस्तानी सांसद

    शुक्रवार को पाकिस्तान की संसद में इस मुद्दे पर जोरदार बहस हुई, जहां सांसद सैयद अली जफर ने भारत के कदम को "वॉटर बम" की संज्ञा दी और इसे 21वीं सदी की एक खामोश लेकिन विनाशकारी जंग करार दिया.

    Pakistani MP cries after India stops water from Indus river
    प्रतीकात्मक तस्वीर/Photo- ANI

    इस्लामाबाद: भारत द्वारा सिंधु जल समझौते को स्थगित किए जाने के बाद पाकिस्तान में राजनीतिक गलियारों में घबराहट का माहौल है. शुक्रवार को पाकिस्तान की संसद में इस मुद्दे पर जोरदार बहस हुई, जहां सांसद सैयद अली जफर ने भारत के कदम को "वॉटर बम" की संज्ञा दी और इसे 21वीं सदी की एक खामोश लेकिन विनाशकारी जंग करार दिया.

    यह पानी नहीं, हमारी जिंदगी है- पाक सांसद

    सीनेट में बोलते हुए सैयद अली जफर ने कहा, “पानी का यह संकट हमारे लिए किसी युद्ध से कम नहीं है. आतंकवाद जितना बड़ा खतरा है, उतना ही गंभीर यह जल संकट भी है. अगर हमने इसका हल नहीं निकाला, तो हमारी आबादी भूखे मरने की कगार पर पहुंच जाएगी.”

    उन्होंने चेताया कि पाकिस्तान पहले ही "वॉटर स्ट्रेस्ड" देशों की सूची में सबसे ऊपर है और अब "वॉटर स्कार्सिटी" की ओर बढ़ रहा है. जनसंख्या विस्फोट और जलवायु परिवर्तन इस संकट को और गंभीर बना रहे हैं.

    भारत के फैसले को बताया रणनीतिक हमला

    सैयद अली जफर ने भारत पर आरोप लगाया कि वह लंबे समय से पाकिस्तान को पानी के माध्यम से दबाव में लाने की कोशिश कर रहा है. उन्होंने रेडक्लिफ लाइन के अंतिम समय में बदले गए फैसलों और कश्मीर को पानी की राजनीति से जोड़ते हुए कहा, “जब पाकिस्तान बना, तभी से भारत ने यह रणनीति अपनाई कि पाकिस्तान को जल के जरिए जवाब देना है.”

    उन्होंने आगे कहा कि पाकिस्तान के अधिकतर पनबिजली परियोजनाएं, सिंचाई सिस्टम और खेती इंडस बेसिन पर निर्भर हैं, और देश की 90% से ज्यादा फसलें इसी पानी से सिंचित होती हैं.

    वॉटर बम हमारे सिर पर गिरा है- पाक सांसद

    जफर ने पूरे जोश में कहा, “यह एक वॉटर बम है, जो हमारे ऊपर गिर चुका है. हमें इसे डिफ्यूज करना ही होगा. अगर ऐसा न किया गया तो पाकिस्तान को खाद्य संकट, आर्थिक मंदी और सामाजिक अस्थिरता का सामना करना पड़ेगा.”

    उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि सिंधु जल समझौते को हल्के में नहीं लिया जा सकता, क्योंकि यह पाकिस्तान की भौगोलिक और आर्थिक स्थिरता का मूल आधार है.

    पलटी पाकिस्तान की रणनीति

    हाल के दिनों में जहां पाकिस्तान के कुछ नेताओं ने भारत को “खून बहाने” की धमकी दी थी (जैसे पीपीपी अध्यक्ष बिलावल भुट्टो), वहीं अब पाकिस्तान के सुर नरम होते दिखाई दे रहे हैं. संसद में अब “कूटनीतिक समाधान”, “जल सहयोग” और “अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता” जैसे शब्द सुनाई देने लगे हैं.

    इस बदलते रुख से यह स्पष्ट है कि भारत के फैसले ने पाकिस्तान को कूटनीतिक और घरेलू मोर्चे पर सोचने को मजबूर कर दिया है.

    भारत का कदम:

    भारत ने सिंधु जल संधि के तहत अपने अधिकारों का प्रयोग करते हुए ब्यास, रावी और सतलुज नदियों के जल प्रवाह को सीमित करना शुरू किया है, जो भारत के नियंत्रण में हैं. विशेषज्ञों का मानना है कि यह कदम पूरी तरह वैध है और इसका उपयोग भारत अपनी रणनीतिक स्थिति मजबूत करने के लिए कर रहा है.

    हालांकि, यह कदम पाकिस्तान के लिए चेतावनी की तरह है कि यदि आतंकी गतिविधियों पर रोक नहीं लगी और रिश्ते सुधारने की ईमानदार कोशिश नहीं हुई, तो भारत अब "नरम रुख" नहीं अपनाएगा.

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