पाकिस्तान ने वर्ष 2027 में होने वाले शंघाई सहयोग संगठन (SCO) शिखर सम्मेलन की मेजबानी की तैयारी शुरू कर दी है. प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने शुक्रवार को इसकी आधिकारिक घोषणा करते हुए राजधानी इस्लामाबाद में आवश्यक तैयारियों के निर्देश दिए.
वह रावलपिंडी के रावत क्षेत्र में एक सड़क निर्माण परियोजना के उद्घाटन कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे. अपने वक्तव्य में शरीफ ने कहा, “हमें अभी से इसकी तैयारी में जुट जाना चाहिए ताकि हम सफलतापूर्वक इस आयोजन की मेजबानी कर सकें.” हालांकि, शिखर सम्मेलन की सटीक तिथि अभी तय नहीं की गई है.
भारत ने एससीओ मंच से फिर उठाया आतंकवाद का मुद्दा
दूसरी ओर, भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में चीन के तियानजिन में हुए SCO शिखर सम्मेलन में आतंकवाद को लेकर एक बार फिर कठोर और स्पष्ट रुख अपनाया. सम्मेलन में चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग, रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ सहित अन्य सदस्य देशों के नेता मौजूद थे. प्रधानमंत्री मोदी ने अपने भाषण में कहा, आतंकवाद, अलगाववाद और उग्रवाद आज के समय की सबसे बड़ी वैश्विक चुनौतियों में से हैं. यह न केवल किसी एक देश, बल्कि पूरी मानवता के लिए खतरा बन चुका है.” उन्होंने हाल ही में जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले का उल्लेख करते हुए इसे मानवता पर सीधा हमला बताया. प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत इस दंश को पिछले चार दशकों से झेल रहा है.
आतंकवाद पर दोहरा मापदंड अब नहीं चलेगा
मोदी ने जोर देते हुए कहा कि आतंकवाद के खिलाफ केवल नीति नहीं, बल्कि एक नैतिक दृष्टिकोण की जरूरत है. उन्होंने कहा,अगर हम वाकई शांति, स्थिरता और विकास चाहते हैं, तो हमें आतंकवाद के सभी रूपों के खिलाफ एकजुट होना होगा. आतंक के समर्थन या प्रोत्साहन देने वाले देशों को स्पष्ट संदेश देना होगा कि अब कोई दोहरा मापदंड स्वीकार्य नहीं है. प्रधानमंत्री ने यह भी बताया कि भारत ने इस वर्ष SCO के तहत संयुक्त सूचना अभियान (जॉइंट इंफॉर्मेशन ऑपरेशन) की अगुवाई की, जिसका मकसद आतंकी संगठनों की गतिविधियों पर लगाम लगाना और टेरर फाइनेंसिंग को रोकना है.
SCO में भारत की भूमिका
SCO मंच पर भारत लगातार यह मुद्दा उठाता रहा है कि जब तक सदस्य देश आपसी मतभेद भुलाकर आतंकवाद के खिलाफ साझा रणनीति नहीं बनाते, तब तक इस क्षेत्र में स्थायित्व और विकास अधूरा सपना ही रहेगा. प्रधानमंत्री मोदी ने अपने संबोधन के अंत में कहा “जो देश आतंक को किसी भी रूप में समर्थन देते हैं, वह न केवल क्षेत्रीय बल्कि वैश्विक सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा हैं. समय आ गया है कि हम एकजुट होकर इस चुनौती का सामना करें.”
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