Qasim exposes Pakistan: पाकिस्तान में आतंकवाद को लेकर एक बार फिर से अंतरराष्ट्रीय मंचों पर बहस तेज हो गई है. इस बार विवाद की जड़ में हैं लश्कर-ए-तैयबा के एक वरिष्ठ कमांडर कासिम, जिनका हाल ही में जारी हुआ एक वीडियो कई सनसनीखेज़ खुलासे कर रहा है. वीडियो में कासिम ने न केवल भारत के ऑपरेशन सिंदूर के प्रभाव को स्वीकार किया, बल्कि यह भी माना कि पाकिस्तान की सरज़मीं पर आतंकियों के ट्रेनिंग कैंप अब दोबारा से खड़े किए जा रहे हैं, और वो भी पहले से कहीं ज़्यादा बड़े पैमाने पर.
वीडियो में कासिम खुलकर बता रहा है कि मुरीदके स्थित "मरकज़ तैयबा", जो लश्कर-ए-तैयबा का मुख्यालय रहा है, वहां "दौरा-ए-सफ़्फ़ा" नाम की ट्रेनिंग दी जाती थी, जिसमें धार्मिक कट्टरता के साथ-साथ हथियारों का प्रशिक्षण भी शामिल था. उसका दावा है कि अब इस जगह को फिर से बनाया जा रहा है और इसे पहले से भी अधिक शक्तिशाली केंद्र के रूप में खड़ा किया जाएगा.
लश्कर-ए-तैयबा कमांडर क़ासिम ने पाकिस्तान की पोल खोली।
— Dinesh Sharma (@sdineshaa) September 19, 2025
👉 मुरिदके के तबाह हुए मरकज़-ए-तैयबा कैंप के सामने उसने कबूल किया कि यहां आतंकियों की ट्रेनिंग होती थी।#पाकिस्तान #Pakistan pic.twitter.com/dVAlcrmiQD
क्या है दौरा-ए-सफ़्फ़ा ट्रेनिंग?
"दौरा-ए-सफ़्फ़ा" नामक यह ट्रेनिंग प्रोग्राम लश्कर-ए-तैयबा द्वारा चलाया जाने वाला वह कोर्स है जिसमें युवाओं को ब्रेनवॉश कर कट्टरपंथी विचारधारा से जोड़ा जाता है और उन्हें हथियार चलाने, बम बनाने जैसे आतंकी गतिविधियों के लिए तैयार किया जाता है. यह प्रशिक्षण आमतौर पर धार्मिक शिक्षा की आड़ में दिया जाता है.
ऑपरेशन सिंदूर, भारत का जवाबी हमला
मई 2025 में भारतीय वायुसेना ने "ऑपरेशन सिंदूर" के तहत मुरीदके में स्थित इस मुख्यालय पर सटीक हवाई हमला किया था, जिसमें लश्कर का यह अड्डा बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया था. भारत सरकार ने यह ऑपरेशन उन खुफिया जानकारियों के आधार पर किया था जिनमें यह साफ़ था कि यहां आतंकियों को ट्रेनिंग दी जा रही है और यह भारत विरोधी गतिविधियों का प्रमुख केंद्र बना हुआ है.
आपदा में अवसर, पाकिस्तान की रणनीति?
सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि इस पुनर्निर्माण के लिए फंडिंग कहां से आ रही है. रिपोर्ट्स के मुताबिक, पाकिस्तान में 2005 के भूकंप और हालिया बाढ़ के दौरान मानवीय सहायता के नाम पर जुटाई गई धनराशि का इस्तेमाल अब आतंकी ढांचे के निर्माण में किया जा रहा है. कासिम की बातों से यह स्पष्ट होता है कि पाकिस्तान की सरकार और सेना इस पुनर्निर्माण में प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से सहयोग कर रही हैं.
5 फरवरी 2026, एक प्रतीकात्मक तारीख
लश्कर-ए-तैयबा के इस मुख्यालय के पुनर्निर्माण का काम ज़ोरों पर है और इसे 5 फरवरी 2026 को "कश्मीर एकजुटता दिवस" के दिन फिर से शुरू करने की योजना है. यह वही दिन है जब पाकिस्तान कश्मीर के समर्थन में कार्यक्रम आयोजित करता है. इससे यह संदेश देने की कोशिश हो रही है कि आतंक का नेटवर्क न केवल जीवित है, बल्कि और भी ताकत के साथ वापस आ रहा है.
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