इस्लामाबाद/नई दिल्ली: भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के एक बयान ने भारत-पाकिस्तान के रिश्तों में फिर से तल्खी घोल दी है. जहां मोदी ने अपने भाषण में पाकिस्तान को सख्त चेतावनी दी, वहीं इस पर पाकिस्तान ने तीखी प्रतिक्रिया देते हुए इसे "नफरत फैलाने वाला और क्षेत्रीय शांति के लिए खतरनाक" बताया है.
पीएम मोदी ने क्या कहा था?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को गुजरात की एक चुनावी सभा में कहा, "भारत की तरफ आंख उठाने वालों को बख्शा नहीं जाएगा. अपने हिस्से की रोटी खाओ, वरना मेरी गोली तो है ही."
इस बयान के तुरंत बाद ही पाकिस्तान की तरफ से तीखी प्रतिक्रिया आई. वहां के विदेश मंत्रालय ने इसे 'नाभिकीय ताकत रखने वाले देश के नेता के स्तर के अनुरूप नहीं' बताया और क्षेत्रीय स्थिरता के लिए खतरा बताया.
पाकिस्तान का पलटवार: हम शांति चाहते हैं
पाक विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा, "प्रधानमंत्री मोदी का बयान केवल उकसाने वाला नहीं, बल्कि दुर्भावना से प्रेरित है. इससे भारत सरकार की पाकिस्तान के खिलाफ रणनीतिक सोच जाहिर होती है."
पाकिस्तान ने यह भी आरोप लगाया कि भारत इस तरह के बयानों के जरिए जम्मू-कश्मीर में मानवाधिकार उल्लंघन से ध्यान भटका रहा है. साथ ही भारत को अपने आंतरिक मुद्दों जैसे धार्मिक असहिष्णुता और अल्पसंख्यकों पर हो रहे अत्याचार पर ध्यान देने की नसीहत दी.
शहबाज शरीफ बोले- बातचीत को तैयार
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने इस बयान के विपरीत एक शांतिपूर्ण स्वर में भारत के साथ बातचीत की पेशकश की है. तेहरान दौरे के दौरान ईरानी राष्ट्रपति के साथ प्रेस कॉन्फ्रेंस में शरीफ ने कहा, "कश्मीर और जल जैसे मुद्दों पर भारत से सकारात्मक संवाद की जरूरत है. ईरान ने हमेशा मुश्किल समय में पाकिस्तान का साथ दिया है, इसके लिए हम आभारी हैं."
शहबाज शरीफ 25 से 30 मई तक तुर्किये, ईरान, अजरबैजान और ताजिकिस्तान के दौरे पर हैं और इन देशों के साथ मिलकर भारत-पाक रिश्तों पर चर्चा की उम्मीद है.
भारत की कार्रवाई: एयर स्ट्राइक से जवाब
22 अप्रैल को कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले में 26 टूरिस्ट्स की जान जाने के बाद भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ कड़ा रुख अपनाया था. इसके जवाब में भारत ने:
7 मई को भारत ने 'ऑपरेशन सिंदूर' के तहत पाकिस्तान में आतंकियों के कई ठिकानों पर एयर स्ट्राइक की थी. इसके बाद 4 दिनों तक सीमा पर तनाव रहा, जिसे अंततः अमेरिका के दखल से 10 मई को थामा गया.
क्या है सिंधु जल संधि?
1960 में भारत के प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और पाकिस्तान के राष्ट्रपति अयूब खान के बीच हुई इस संधि के तहत सिंधु नदी प्रणाली की 6 नदियों (सिंधु, झेलम, चिनाब, रावी, ब्यास, सतलुज) का पानी दोनों देशों में बांटा गया.
हालांकि, हाल के वर्षों में भारत ने इस समझौते की समीक्षा और संशोधन की मांग उठाई है, खासकर पाकिस्तान में बढ़ती आतंकवादी गतिविधियों के संदर्भ में.
राजनीतिक बयानबाज़ी या रणनीतिक संदेश?
पीएम मोदी का बयान चुनावी मंच से आया, लेकिन इसके असर अंतरराष्ट्रीय कूटनीति तक पहुंचे हैं. एक ओर जहां भारत की जनता को मोदी की ‘कड़ा जवाब’ देने वाली छवि रास आती है, वहीं दूसरी ओर, पड़ोसी देश इसे उकसावे के रूप में देख रहे हैं.
विशेषज्ञों का मानना है कि भारत की कूटनीति अब “न्यूनतम प्रतिक्रिया” से “आक्रामक रणनीतिक संतुलन” की ओर बढ़ रही है.
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