अफगानिस्‍तान आने के लिए गिड़गिड़ा रहा पाकिस्तान, तालिबान ने नहीं दिया वीजा, VIDEO जारी कर दिखाए तेवर

    अफगानिस्तान की तालिबान सरकार ने एक बड़ा और प्रतीकात्मक कदम उठाते हुए पाकिस्तान के शीर्ष अधिकारियों को काबुल यात्रा की अनुमति देने से इनकार कर दिया है.

    Pakistan is pleading to come to Afghanistan
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    काबुल: अफगानिस्तान की तालिबान सरकार ने एक बड़ा और प्रतीकात्मक कदम उठाते हुए पाकिस्तान के शीर्ष अधिकारियों को काबुल यात्रा की अनुमति देने से इनकार कर दिया है. यह फैसला ऐसे समय आया है जब अफगानिस्तान और पाकिस्तान के रिश्तों में अभूतपूर्व तनाव देखने को मिल रहा है. तालिबान के प्रवक्ता जबीहुल्लाह मुजाहिद ने पुष्टि की है कि पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ और खुफिया एजेंसी ISI के प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल मुहम्मद असीम मलिक की काबुल यात्रा की पेशकश को ठुकरा दिया गया है.

    पाकिस्तान पर क्यों भड़का अफगानिस्तान?

    पाकिस्तान द्वारा 9 अक्टूबर को अफगान क्षेत्र विशेष रूप से राजधानी काबुल और पक्तिका प्रांत पर किए गए हवाई हमलों ने तालिबान सरकार को गुस्से से भर दिया. इसके बाद तालिबान ने पाकिस्तान को सीधे तौर पर सैन्य जवाब भी दिया और अपनी सीमाओं की रक्षा के लिए कमर कस ली.

    तालिबान के प्रवक्ता जबीहुल्लाह मुजाहिद ने मीडिया को दिए बयान में कहा, “पाकिस्तान ने उच्च स्तरीय प्रतिनिधिमंडल को भेजने की अनुमति मांगी थी, लेकिन अफगानिस्तान सरकार ने इसे अस्वीकार कर दिया है. जब तक हमारी संप्रभुता और सीमा की अखंडता का सम्मान नहीं किया जाएगा, तब तक कोई कूटनीतिक संवाद संभव नहीं है.”

    प्रतिनिधिमंडल भेजना समाधान नहीं- तालिबान

    तालिबान ने साफ कर दिया है कि पाकिस्तान द्वारा केवल एक प्रतिनिधिमंडल भेजने से दोनों देशों के बीच पैदा हुए गंभीर मुद्दों का समाधान नहीं हो सकता. तालिबान प्रवक्ता ने कहा कि किसी भी कूटनीतिक पहल की बुनियाद पारस्परिक सम्मान, समानता और अहस्तक्षेप की नीति पर होनी चाहिए, न कि प्रतीकात्मक बयानों या औपचारिक दौरों पर.

    उन्होंने यह भी दोहराया कि अफगानिस्तान एक पूर्ण संप्रभु देश है, और उसकी सीमाओं का उल्लंघन या सैन्य कार्रवाई को वह किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं करेगा.

    क्या है हवाई हमलों का पूरा मामला?

    9 अक्टूबर 2025 को पाकिस्तान की ओर से अफगानिस्तान के काबुल और पक्तिका प्रांतों में हवाई हमले किए गए. पाकिस्तान का दावा था कि उसने यह कार्रवाई तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) के आतंकियों के खिलाफ की. हालांकि तालिबान ने इन हमलों को अपनी संप्रभुता के सीधे उल्लंघन के रूप में देखा.

    इसके जवाब में तालिबान ने भी जवाबी कार्रवाई की और बताया गया कि अफगान बलों ने पाकिस्तान की कई सैन्य चौकियों पर हमला किया. रिपोर्टों के अनुसार, तालिबान के हमलों में पाकिस्तान के कम से कम 58 सैनिक मारे गए. यह अब तक की सबसे गंभीर जवाबी कार्रवाई मानी जा रही है.

    तालिबान की सैन्य तैयारी और बयान

    अफगानिस्तान के रक्षा मंत्रालय ने भी इस मामले में आधिकारिक बयान जारी कर कहा है कि अफगान सेना हर स्थिति के लिए तैयार है और किसी भी प्रकार की बाहरी आक्रामकता का मुंहतोड़ जवाब दिया जाएगा.

    बयान में कहा गया, “हमारे देश की सीमाओं और संप्रभुता की रक्षा करना हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता है. अफगान राष्ट्र किसी भी विदेशी हस्तक्षेप को स्वीकार नहीं करेगा.”

    मुत्ताकी की भारत यात्रा से पाकिस्तान परेशान

    अफगान विदेश मंत्री आमिर खान मुत्ताकी का हाल ही में भारत दौरा हुआ था, जिसे भारत और अफगानिस्तान के रिश्तों के लिहाज़ से बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है. इस दौरे के दौरान मुत्ताकी ने भारत को “घनिष्ठ मित्र” बताया और पाकिस्तान की आलोचना की.

    विश्लेषकों का मानना है कि यही दौरा पाकिस्तान के लिए कूटनीतिक झटका बना और संभवतः इसी बौखलाहट में पाकिस्तान ने अफगान क्षेत्रों पर हवाई हमले किए. लेकिन तालिबान ने जिस तीव्रता से प्रतिक्रिया दी, उससे यह स्पष्ट हो गया कि अब अफगानिस्तान पाकिस्तान के किसी भी सैन्य या राजनीतिक दबाव को स्वीकार करने को तैयार नहीं है.

    ISI और रक्षा मंत्री की कोशिशें नाकाम

    पाकिस्तान के रक्षा मंत्री और ISI प्रमुख का दौरा इसीलिए प्रस्तावित किया गया था ताकि अफगानिस्तान के साथ बिगड़े रिश्तों को संभाला जा सके और किसी समझौते की संभावना तलाशी जाए. लेकिन तालिबान ने कड़ा रुख अपनाते हुए यह संदेश दिया कि जब तक पाकिस्तान सैन्य कार्रवाई बंद नहीं करता और अफगान क्षेत्र की संप्रभुता का सम्मान नहीं करता, तब तक किसी भी प्रकार की वार्ता का कोई औचित्य नहीं है.

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