बम, पनडुब्बी, फाइटर जेट... दवा और शिक्षा के पैसे से हथियार खरीद रहा पाकिस्तान, गरीब हो रहे परेशान!

    एक ओर पाकिस्तान की आम जनता महंगाई, बेरोजगारी और भूख की मार झेल रही है, वहीं दूसरी ओर देश की सेना लगातार आधुनिक और महंगे सैन्य उपकरण खरीदने में व्यस्त है.

    Pakistan is buying weapons with the money of the poor
    प्रतिकात्मक तस्वीर/ Social Media

    इस्लामाबाद: एक ओर पाकिस्तान की आम जनता महंगाई, बेरोजगारी और भूख की मार झेल रही है, वहीं दूसरी ओर देश की सेना लगातार आधुनिक और महंगे सैन्य उपकरण खरीदने में व्यस्त है. देश की अर्थव्यवस्था गहरे संकट में है, लेकिन फिर भी हथियारों पर खर्चा रुकने का नाम नहीं ले रहा. हाल ही में चीन से आई हैंगोर श्रेणी की पनडुब्बी का भव्य स्वागत हुआ, जिसने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या पाकिस्तान की प्राथमिकताएं आम नागरिकों की जरूरतों से कहीं अधिक सेना की ताकत बढ़ाने पर केंद्रित हो गई हैं?

    भुखमरी, शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं का पतन

    पाकिस्तान की सड़कों पर आज लाखों लोग ऐसे हैं, जिनके लिए दो वक्त की रोटी भी मुश्किल होती जा रही है. सरकार की असफल नीतियों और लगातार गिरती आर्थिक स्थिति ने गरीबों की जिंदगी और मुश्किल बना दी है.

    • 36% से अधिक परिवार आज खाद्य असुरक्षा से जूझ रहे हैं.
    • देश में स्कूलों की भारी कमी है, और जो स्कूल हैं, वहां संसाधनों की भारी किल्लत है.
    • सरकारी अस्पतालों में इलाज के लिए लोग घंटों कतार में खड़े रहते हैं, लेकिन दवाइयों और डॉक्टरों की उपलब्धता सवालों के घेरे में है.
    • बिजली और पानी की कमी, और परिवहन व्यवस्था का चरमराना आम जनता की परेशानियों को और बढ़ा रहा है.

    इन सभी हालातों के बावजूद पाकिस्तान सरकार और सेना का ध्यान ऐसे क्षेत्रों पर केंद्रित है, जो सीधे तौर पर आम आदमी की भलाई से नहीं जुड़ते.

    दवा और किताब के पैसे से खरीदे हथियार?

    सरकार द्वारा चलाए जा रहे नकद सहायता कार्यक्रम, जैसे कि बेनजीर इनकम सपोर्ट प्रोग्राम (BISP), का मकसद था देश के गरीब तबके को सीधी आर्थिक मदद देना, जिससे वे अपनी बुनियादी ज़रूरतें पूरी कर सकें. लेकिन हालिया ऑडिट रिपोर्ट्स ने इस योजना की गंभीर खामियों और धांधली को उजागर किया है.

    BISP में गड़बड़ियाँ:

    • गरीबों के नाम पर जारी किए गए पैसे सरकारी अधिकारियों, पेंशनधारकों और उनके रिश्तेदारों के खातों में जा रहे हैं.
    • इस योजना का फंड सैन्य खर्चों या उच्च अधिकारियों के ऐशो-आराम में इस्तेमाल होने की आशंका जताई गई है.
    • यह न सिर्फ भ्रष्टाचार का मामला है, बल्कि यह भी दिखाता है कि गरीबों के हक का पैसा हथियारों की खरीद में लगाया जा रहा है.

    पनडुब्बियां: जनता की जरूरत या सैन्य दिखावा?

    पाकिस्तान सरकार ने चीन से आठ हैंगोर श्रेणी की पनडुब्बियाँ खरीदने का सौदा किया है, जिसकी अनुमानित लागत 4 से 5 अरब डॉलर है. ये पनडुब्बियाँ अत्याधुनिक तकनीक से लैस हैं और पाकिस्तान की नौसेना की ताकत बढ़ाने के उद्देश्य से खरीदी जा रही हैं.

    सवाल यह उठता है कि क्या जब देश की अर्थव्यवस्था आईएमएफ कर्ज पर चल रही है, और आम आदमी की थाली खाली है, तब ऐसी खरीदारी सही निर्णय है?

    रक्षा बजट में इजाफा, जनता को राहत नहीं

    वित्त वर्ष 2024-25 के लिए पाकिस्तान ने 2.12 ट्रिलियन पाकिस्तानी रुपये (करीब 7.6 अरब डॉलर) का रक्षा बजट घोषित किया है. यह पिछले साल के मुकाबले 16% अधिक है.

    इस राशि का उपयोग:

    • JF-17 ब्लॉक III फाइटर जेट्स के अधिग्रहण में
    • परमाणु हथियारों और मिसाइल सिस्टम के विकास में
    • सैन्य आधारभूत संरचना के विस्तार में

    दूसरी ओर, शिक्षा, स्वास्थ्य, और सार्वजनिक कल्याण के लिए आवंटन में कोई उल्लेखनीय बढ़ोतरी नहीं हुई है.

    परमाणु ताकत, लेकिन जनता भूखी

    पाकिस्तान को अक्सर "परमाणु शक्ति संपन्न इस्लामी देश" कहा जाता है. यह दुनिया का पाँचवाँ सबसे बड़ा परमाणु शस्त्रागार रखने वाला देश है. लेकिन यही देश अपनी आबादी के बड़े हिस्से को खाद्य सुरक्षा, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और बुनियादी स्वास्थ्य सेवाएं देने में असफल रहा है.

    यह एक गहरी विडंबना है- एक ओर विश्व के लिए खतरे मोल लेने वाले हथियारों का जखीरा, और दूसरी ओर रोटियों के लिए तरसते हुए लोग.

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