ताइवान की प्रमुख ड्रोन निर्माता कंपनी DroneVision ने पाकिस्तान से किसी भी प्रकार के व्यावसायिक या सैन्य समझौते से साफ इनकार कर दिया है. यह बयान ऐसे समय आया है जब कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया जा रहा था कि कराची स्थित एक डिफेंस कंपनी और DroneVision के बीच ड्रोन खरीद को लेकर बातचीत चल रही है.
कंपनी का स्पष्ट बयान
DroneVision ने अपने आधिकारिक बयान में कहा है कि "हम न तो पाकिस्तान सरकार, सेना या उससे जुड़ी किसी भी संस्था के संपर्क में हैं और न ही कभी कोई सौदा हुआ है. अब तक पाकिस्तान की ओर से किसी भी प्रकार का ऑर्डर या प्रस्ताव हमें प्राप्त नहीं हुआ है." कंपनी ने साथ ही यह भी स्पष्ट किया कि उसके सभी अंतरराष्ट्रीय सौदे ताइवान सरकार की मंजूरी और दिशा-निर्देश के तहत होते हैं.
भारत के लिए बड़ी राहत
DroneVision भारत को डिफेंस ड्रोन और एंटी-UAV टेक्नोलॉजी की आपूर्ति करता रहा है. ऐसे में यह खबर कि कंपनी पाकिस्तान से जुड़ सकती है, भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा के लिहाज़ से चिंताजनक थी. हालांकि, कंपनी के बयान ने इस आशंका को सिरे से खारिज कर दिया है.
कौन है USMS और क्या थी चर्चा?
बताया जा रहा था कि पाकिस्तान की "यूनिवर्सल स्मार्ट मिलिट्री सिस्टम्स" (USMS), जो पाक एयरफोर्स की तकनीकी साझेदार है, DroneVision के Revolver 860 ड्रोन में रुचि दिखा रही थी. यह ड्रोन एक एडवांस्ड मल्टी-रोटर UAV है जो एक समय में आठ मोर्टार राउंड ले जाने में सक्षम है और सीमित दूरी से हमला कर सकता है.
DroneVision के ड्रोन कहां हुए इस्तेमाल?
Revolver 860 ड्रोन को यूक्रेन और रूस के बीच चल रहे युद्ध में यूक्रेनी सेना द्वारा प्रभावी रूप से इस्तेमाल किया गया है. ड्रोन की मारक क्षमता, उड़ान अवधि और सटीकता इसे आधुनिक युद्ध के लिए उपयुक्त बनाती है.
पाकिस्तान का ड्रोन प्रेम और चीन से नजदीकियां
पाकिस्तान हाल के वर्षों में ड्रोन टेक्नोलॉजी पर खासा निवेश कर रहा है. 2020 से 2025 के बीच पाक ने 200 से 500 मिलियन डॉलर तक ड्रोन खरीद में झोंक दिए हैं, जिनमें चीन और तुर्की से खरीदे गए UAV प्रमुख हैं. पाकिस्तान अब घरेलू स्तर पर भी ड्रोन निर्माण में हाथ आज़मा रहा है. ऐसे में DroneVision से किसी भी संभावित साझेदारी की खबर उसके लिए रणनीतिक तौर पर अहम मानी जा रही थी.
भारत-ताइवान सहयोग और चीन का समीकरण
DroneVision के इनकार को भारत-ताइवान के बीच बढ़ते विश्वास का प्रतीक माना जा सकता है. दोनों देश तकनीक, सेमीकंडक्टर और डिफेंस के क्षेत्र में एक-दूसरे के भरोसेमंद साझेदार बनते जा रहे हैं. वहीं पाकिस्तान की करीबी चीन से है, जिससे ताइवान के रिश्ते पहले से ही तनावपूर्ण हैं. ऐसे में DroneVision के इस इनकार को एक ‘साफ संदेश’ की तरह देखा जा रहा है.
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