दक्षिण एशिया में बदलते कूटनीतिक समीकरणों के बीच अजरबैजान ने पाकिस्तान को लेकर एक अहम फैसला लिया है. हाल ही में लाचिन में आयोजित दूसरे त्रिपक्षीय सम्मेलन के दौरान अजरबैजान के राष्ट्रपति इल्हाम अलीयेव ने पाकिस्तान में दो अरब डॉलर के निवेश की घोषणा की है. यह निवेश रक्षा, व्यापार और बुनियादी ढांचे सहित कई क्षेत्रों में किया जाएगा. यह निर्णय ऐसे वक्त आया है जब पाकिस्तान भारी कर्ज के बोझ से जूझ रहा है और विदेशी निवेश की सख्त जरूरत है.
अर्थव्यवस्था पर असर अभी भी सवालों के घेरे में
हालांकि यह निवेश पाकिस्तान के लिए एक सकारात्मक संकेत है, लेकिन यह उसकी गंभीर आर्थिक स्थिति में कितनी राहत देगा, यह स्पष्ट नहीं है. वर्तमान में पाकिस्तान का कुल सार्वजनिक कर्ज और देनदारियां लगभग 62.88 ट्रिलियन पाकिस्तानी रुपये तक पहुंच चुकी हैं, जो कि देश के सकल घरेलू उत्पाद का 74.3 प्रतिशत है. इस भारी बोझ में IMF का कर्ज, घरेलू और बाहरी ऋण, तथा सार्वजनिक उपक्रमों की देनदारियां शामिल हैं.
अंतरराष्ट्रीय राजनीति में साझेदार बदल रहे हैं
अजरबैजान और पाकिस्तान की नजदीकी के पीछे केवल आर्थिक हित नहीं, बल्कि रणनीतिक हित भी हैं. अजरबैजान को आर्मेनिया के साथ अपने तनावपूर्ण रिश्तों में पाकिस्तान से सैन्य सहयोग मिल रहा है, जबकि भारत आर्मेनिया को समर्थन दे रहा है. इसी भू-राजनीतिक स्थिति के कारण अजरबैजान ने हाल के वर्षों में भारत के खिलाफ पाकिस्तान के रुख का समर्थन किया है.
लाचिन सम्मेलन में मजबूत होते संबंध
लाचिन में हुई बैठक के दौरान प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ और राष्ट्रपति इल्हाम अलीयेव ने दोनों देशों के बीच बढ़ते रक्षा, व्यापार और सांस्कृतिक सहयोग पर संतोष जताया. दोनों नेताओं ने रणनीतिक साझेदारी को और मजबूत करने की प्रतिबद्धता जताई. शहबाज शरीफ ने भारत-पाकिस्तान तनाव के दौरान अजरबैजान के समर्थन का सार्वजनिक रूप से धन्यवाद किया.
आने वाले समय में निवेश पर उच्चस्तरीय बातचीत
बैठक के दौरान दोनों देशों ने प्रतिनिधिमंडल स्तर की वार्ता आयोजित करने पर सहमति जताई है, ताकि अजरबैजान के निवेश की दिशा और योजनाओं को विस्तार से तय किया जा सके. उम्मीद है कि इस सहयोग से पाकिस्तान को आर्थिक और रणनीतिक स्तर पर कुछ राहत जरूर मिलेगी.
ये भी पढ़ेंः Elon Musk-Donald Trump: आखिर क्यों ट्रंप और मस्क की राहें हुई अलग? दोस्ती पर आई बात!