जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में निर्दोष नागरिकों पर आतंकी हमला हुआ, तब गोलियों से ज्यादा गूंज भारत की आत्मा की थी. 28 ज़िंदगियां खत्म कर दी गईं, और इन खामोश होती सांसों के साथ देश का सब्र भी खत्म होता दिखाई दिया. इस बार भारत सिर्फ शोक नहीं मना रहा, जवाब देने के मूड में है. और पाकिस्तान... वह एक बार फिर वही पुरानी भूमिका में है—सच से मुंह मोड़ने और सच्चाई से भागने वाली.
इस हमले ने भारत को झकझोर कर रख दिया. सड़कों पर नाराज लोग, न्यूज़ स्टूडियोज में तीखी बहसें, और सरकार की तरफ से तीव्र प्रतिक्रिया—सबने बता दिया कि अब की बार चुप्पी जवाब नहीं होगी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में सुरक्षा मामलों की कैबिनेट समिति (CCS) की जो बैठक हुई, उसने पाकिस्तान को यह साफ संदेश दे दिया कि भारत अब केवल शब्दों से नहीं, रणनीति से वार करेगा.
लाहौर से लेकर कराची तक पानी की तंगी
मोदी सरकार ने सिंधु जल संधि को तत्काल प्रभाव से स्थगित कर दिया. यह वही संधि है जिसने दशकों से पाकिस्तान की ज़रूरतों को पानी दिया, लेकिन अब यह ‘जीवनरेखा’ ही उसके लिए एक नब्ज पर वार बन गई है. सिंधु और इसकी सहायक नदियां—जिन पर पाकिस्तान की लगभग 80 प्रतिशत खेती निर्भर करती है—अब भारत की सख्त नीति के घेरे में हैं. लाहौर से लेकर कराची तक पानी की तंगी क्या होती है, यह आने वाले दिनों में महसूस होगा.
इतना ही नहीं, भारत ने कूटनीतिक स्तर पर भी पाकिस्तान को झटका दिया है. अटारी सीमा को बंद कर दिया गया है, पाकिस्तानी उच्चायोग में तैनात सैन्य सलाहकारों को देश छोड़ने को कहा गया है, और पाकिस्तानी नागरिकों के वीजा रद्द कर दिए गए हैं. विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने खुद इन फैसलों की घोषणा करते हुए कहा कि अब तक जो हुआ है, वो महज एक ट्रेलर है.
बालाकोट की यादें अभी धुंधली नहीं हुईं
पाकिस्तान की घबराहट साफ दिखने लगी है. उसकी सरकार से लेकर पूर्व राजदूत और रक्षा मंत्री तक अब यह स्वीकार कर रहे हैं कि भारत कोई बड़ा कदम उठा सकता है. बालाकोट की यादें अभी धुंधली नहीं हुईं, और अब खुद पाकिस्तान के पूर्व राजनयिक अब्दुल बासित ने अंदेशा जताया है कि भारत इससे भी बड़ी एयरस्ट्राइक की तैयारी में हो सकता है.
लेकिन भारत का जवाब सिर्फ सैन्य नहीं, रणनीतिक और मनोवैज्ञानिक भी है. इस बार हमला केवल सीमा पर नहीं, पाकिस्तान की नींव पर किया गया है—उसके संसाधनों, उसके आत्मविश्वास और उसकी विश्वसनीयता पर. जब उसकी अपनी ज़मीन से आवाज़ें उठने लगें—जैसे कि पाकिस्तानी क्रिकेटर दानिश कनेरिया की—तब समझ लेना चाहिए कि झूठ की नींव पर टिके मुल्क की दीवारें खुद-ब-खुद दरकने लगी हैं.
भारत ने साफ कर दिया है—अब आतंकवाद का समर्थन करने वालों को केवल निंदा से नहीं, नीति से नष्ट किया जाएगा, और पाकिस्तान को अब यह समझना होगा कि अब उसके लिए "आतंक" एक साधन नहीं, उसकी बर्बादी का कारण बनने जा रहा है.
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