खाने के लिए नहीं हैं पैसे, दुनिया के आगे फैलाता है हाथ... 18 फीसदी रक्षा बजट बढ़ाएगा कंगाल पाकिस्तान

    पाकिस्तान एक बार फिर अपने राष्ट्रीय बजट का बड़ा हिस्सा सेना और हथियारों पर खर्च करने की तैयारी में है. देश की गठबंधन सरकार ने अगले वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए रक्षा बजट में 18% की बढ़ोतरी की सिफारिश की है, जिससे यह आंकड़ा अब 2.50 लाख करोड़ रुपये के पार पहुंच जाएगा. यह निर्णय ऐसे समय लिया गया है जब भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव चरम पर है. 

    pakistan defence budget increase during tension
    प्रतीकात्मक तस्वीर | Photo: Internet

    पाकिस्तान एक बार फिर अपने राष्ट्रीय बजट का बड़ा हिस्सा सेना और हथियारों पर खर्च करने की तैयारी में है. देश की गठबंधन सरकार ने अगले वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए रक्षा बजट में 18% की बढ़ोतरी की सिफारिश की है, जिससे यह आंकड़ा अब 2.50 लाख करोड़ रुपये के पार पहुंच जाएगा. यह निर्णय ऐसे समय लिया गया है जब भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव चरम पर है. 

    पाकिस्तान की हालत खस्ता

    आपको बता दें कि पाकिस्तान के हालात दिन-प्रतिदिन बदतर होते जा रहे हैं. इस वक्त पाकिस्तान आर्थिक संकट के दौर से गुजर रहा है. जीवनयापन के लिए जरूरी चीजें जैसे आटा, चावल, दाल और फल सब्जियों के दाम आम आदमी की पहुंच से बाहर हो गए हैं. हालात ऐसे हैं कि पाक के लोग भूख से मरने की कगार पर हैं. महंगाई आसमान छू रही है. पाकिस्तान दुनिया के कंगाल देशों की सूची में शामिल है. 

    भारत से तनाव के बीच लिया निर्णय

    पाकिस्तान की मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, यह बढ़ोतरी भारत के साथ हालिया तनाव के चलते की जा रही है. खासतौर पर जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए आतंकी हमले के बाद दोनों देशों के बीच रिश्तों में फिर से खिंचाव देखा गया है. इसी को आधार बनाकर सरकार ने रक्षा क्षेत्र के लिए बजट बढ़ाने का फैसला लिया है.

    कर्ज में डूबा पाक, शिक्षा-स्वास्थ्य का हाल बेहाल

    अगर आंकड़ों की बात करें, तो पाकिस्तान को चालू वित्तवर्ष में सिर्फ कर्ज चुकाने के लिए 9.70 लाख करोड़ रुपये खर्च करने हैं. यानी कुल बजट का लगभग 50% हिस्सा कर्ज में जाएगा. इसके बाद दूसरे नंबर पर रक्षा बजट आता है. लेकिन सबसे चिंता की बात ये है कि शिक्षा और स्वास्थ्य, जो किसी भी देश की असली तरक्की की बुनियाद होते हैं, उन्हें मिलने वाला बजट सेना के एक दिन के खर्च से भी कम है.

    इस पूरे घटनाक्रम से साफ जाहिर होता है कि पाकिस्तान की मौजूदा सरकार विकास से ज्यादा फोकस सुरक्षा चिंताओं और भारत से प्रतिद्वंद्विता पर कर रही है. जबकि देश की ज़मीनी सच्चाई ये है कि आम नागरिकों को महंगाई, बेरोजगारी और कमजोर बुनियादी सुविधाओं का सामना करना पड़ रहा है.

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