अमेरिका अपनी छठी पीढ़ी के फाइटर जेट F-47 के विकास में लगा है, जो युद्ध के मैदान में एक नई क्रांति ला सकता है. इस नए विमान के साथ अमेरिकी रणनीति में भी बदलाव नजर आ रहा है. पहले अमेरिका अपने सीमित सहयोगियों को ही F-35 लाइटनिंग II स्टील्थ फाइटर जेट बेचता था, लेकिन अब ऐसा लग रहा है कि वह मध्य पूर्व और भारत जैसे प्रमुख साझेदारों को भी इस अत्याधुनिक विमान की आपूर्ति करने के लिए तैयार है.
दरअसल, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पहले ही भारत को F-35 विमान खरीदने का प्रस्ताव दिया था, लेकिन भारत ने इस पर अभी तक आधिकारिक निर्णय नहीं लिया है. हालांकि, हाल ही में ऑपरेशन सिंदूर के बाद सुरक्षा परिदृश्य में बदलाव आया है, जिसके कारण भारत इस प्रस्ताव को गंभीरता से लेने के मूड में दिख रहा है. यह कदम पड़ोसी देशों पाकिस्तान और चीन के लिए चिंता का सबब बन सकता है.
F-35 लाइटनिंग II: आधुनिक युग का सबसे शक्तिशाली लड़ाकू विमान
F-35 लाइटनिंग II को विश्व के सबसे उन्नत, टिकाऊ और कनेक्टेड लड़ाकू विमानों में गिना जाता है. f35.com के मुताबिक, यह विमान पायलटों को हर स्थिति में श्रेष्ठता प्रदान करता है और उन्हें मिशन को सफलतापूर्वक पूरा कर सुरक्षित लौटने में मदद करता है. यह अमेरिका की सुरक्षा के साथ-साथ उसके वैश्विक गठबंधनों को मजबूत बनाता है और सहयोगी देशों की आर्थिक विकास को भी गति देता है. दुनिया भर में 12 देशों के वायुसेना बेड़े में F-35 विमान शामिल हैं और इसके 1,150 से अधिक विमान सक्रिय सेवा में हैं. स्टील्थ तकनीक के चलते यह विमान दुश्मन के रडार से पूरी तरह छुपा नहीं रहता, लेकिन उसे खोजने और निशाना बनाने में बेहद चुनौतीपूर्ण बना देता है.
अमेरिका का नया प्लान: F-47 के साथ F-35 का एक्सपोर्ट आसान
लॉकहीड मार्टिन के CEO जिम टाइक्लेट ने हाल ही में बताया कि अमेरिका अपने सहयोगियों को ‘टोंड-डाउन’ यानी सीमित क्षमता वाले संस्करण के F-35 विमान बेचने की योजना बना रहा है. इसके पीछे मकसद है कि F-35 का निर्यात ज्यादा देशों तक किया जा सके. इस सूची में पाकिस्तान का नाम भी सामने आ सकता है, हालांकि यह अभी स्पष्ट नहीं है. F-47 फाइटर जेट के लॉन्च होने के बाद F-35 की बिक्री और आसान हो जाएगी.
F-35 की खास तकनीकी खूबियां
डिफेंस विशेषज्ञ लेफ्टिनेंट कर्नल जेएस सोढ़ी के अनुसार, F-35 को ‘फिफ्थ-जनरेशन प्लस’ विमान कहा जा सकता है. इसमें नई कोटिंग, उन्नत डिजाइन, और स्वायत्त उड़ान की क्षमता जैसे कई अपडेट शामिल होंगे.
यह विमान बिना पायलट के भी उड़ाया जा सकेगा. इसके अलावा इसमें बेहतर रडार सिस्टम, इंफ्रारेड सेंसर्स, इलेक्ट्रॉनिक युद्ध तकनीक और नेटवर्किंग क्षमताएं भी होंगी. सेंसर फ्यूजन तकनीक की वजह से यह विमान दुश्मन के किसी भी खतरे का पता तेजी से लगा सकता है और उसे भेद सकता है.
भारतीय वायुसेना के लिए F-35 का महत्व
भारतीय वायुसेना के पास पहले से ही फ्रांस के राफेल विमान हैं, जो अपनी मारक क्षमता के लिए प्रसिद्ध हैं. राफेल 1915 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से उड़ सकता है और हवा से हवा तथा हवा से जमीन दोनों तरह के हमले कर सकता है. जबकि राफेल की स्पीड F-16 और चीन के J-20 से थोड़ी कम है, उसकी सटीकता और बहुआयामी क्षमताएं इसे बेहद खतरनाक बनाती हैं.
लेफ्टिनेंट कर्नल सोढ़ी का मानना है कि यदि भारत को F-35 मिलता है, तो यह राफेल के साथ मिलकर भारतीय वायुसेना की ताकत को कई गुना बढ़ा देगा. इससे भारत के दुश्मनों के लिए मुकाबला करना बहुत मुश्किल हो जाएगा. खासकर परमाणु हमलों में भी इस संयोजन की भूमिका निर्णायक हो सकती है, जहां चीन का J-35 विमान फिलहाल सक्षम नहीं है.
सुरक्षा परिदृश्य में बदलाव और भारत के लिए अवसर
ऑपरेशन सिंदूर जैसे हालिया घटनाक्रमों ने भारत के लिए अपनी वायु सुरक्षा प्रणाली को और मजबूत करने की जरूरत को उजागर किया है. ऐसे में F-35 का विकल्प भारत के लिए बेहद फायदेमंद साबित हो सकता है.
यह विमान न केवल भारत की हवाई सुरक्षा को सुदृढ़ करेगा, बल्कि क्षेत्रीय सामरिक संतुलन में भी महत्वपूर्ण बदलाव लाएगा. इस कदम से भारत को वैश्विक सुरक्षा मंच पर एक मजबूत खिलाड़ी के रूप में स्थापित होने का अवसर मिलेगा, साथ ही पड़ोसी देशों के लिए यह एक स्पष्ट चेतावनी भी होगी कि भारत अपनी सुरक्षा के लिए किसी भी हद तक जाने को तैयार है.
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