Ukraine Drone Attack On Russia: S-400 ट्रायंफ, रूस द्वारा विकसित एक आधुनिकतम वायु रक्षा प्रणाली, पूरी दुनिया में अपनी सटीकता और मारक क्षमता के लिए जानी जाती है. यह सिस्टम 400 किलोमीटर की दूरी तक आने वाले किसी भी हवाई खतरे जैसे फाइटर जेट, क्रूज या बैलिस्टिक मिसाइल और ड्रोन—को ध्वस्त करने की क्षमता रखता है. लेकिन दिलचस्प बात यह है कि भारत में जहां यह प्रणाली शानदार प्रदर्शन कर रही है, वहीं रूस, जो इसका जनक है, यूक्रेन के हमलों को रोकने में नाकाम साबित हो रहा है.
भारत ने S-400 से कैसे रचा सुरक्षा का किला?
मई 2025 में जब पाकिस्तान ने जम्मू, पठानकोट, अमृतसर, लुधियाना और भुज जैसे शहरों को निशाना बनाकर ड्रोन और मिसाइल हमले किए, तब भारत ने त्वरित कार्रवाई करते हुए S-400 प्रणाली को सक्रिय किया. भारतीय वायुसेना ने 50 से अधिक पाकिस्तानी ड्रोनों और मिसाइलों को हवा में ही मार गिराया, वो भी बिना किसी बड़े नुकसान के. भारत ने इस सिस्टम को रणनीतिक रूप से संवेदनशील इलाकों में तैनात किया है, और इसके साथ छोटी दूरी की एयर डिफेंस प्रणालियों का भी नेटवर्क तैयार किया गया है, जिससे यह और ज्यादा प्रभावी बन गई है.
रूस में क्यों बार-बार हो रही हार?
अब नजर डालते हैं रूस की स्थिति पर, जहां यूक्रेन लगातार S-400 सिस्टम को निशाना बना रहा है और यह प्रणाली उम्मीदों पर खरी नहीं उतर रही.
रूस में S-400 पर यूक्रेन के बड़े हमले:
क्यों फेल हो रहा रूस का S-400?
सपोर्ट सिस्टम की कमी रूस ने कई जगहों पर S-400 को अकेले तैनात कर दिया, जबकि इसे छोटी रेंज की वायु रक्षा प्रणालियों जैसे Pantsir या Tor की मदद की ज़रूरत थी.
यूक्रेन की कूटनीति और तकनीक
यूक्रेन ने रडार और कम्युनिकेशन सिस्टम को पहले ड्रोन से निशाना बनाया, फिर बड़ी मिसाइलों से हमला किया. इस “डिसेबल एंड डेस्ट्रॉय” स्ट्रैटेजी से रूस की सुरक्षा चकनाचूर हो गई.
इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर का असर
यूक्रेनी सेना ने रेडार जामिंग और GPS स्पूफिंग जैसी तकनीकों से S-400 के रडार को भटका दिया.
ड्रोन की संख्या से दबाव
रूस पर एक साथ सैकड़ों सस्ते ड्रोन छोड़े गए, जिससे S-400 की ट्रैकिंग क्षमता पर भारी दबाव पड़ा और कई ड्रोन बच निकले.
तैनाती की लापरवाही
रूस ने न तो S-400 को ढकने के लिए कैमोफ्लाज तकनीक अपनाई, न ही लगातार स्थान बदले. नतीजा—सिस्टम बार-बार दुश्मन के निशाने पर रहा.
भारत की रणनीति क्यों बनी सफल?
मल्टी-लेयर डिफेंस सिस्टम भारत ने S-400 के साथ SHORADS, MANPADS और अन्य रडार सिस्टम जोड़े हैं, जिससे सभी ऊंचाई और दूरी पर खतरों को रोका जा सके.
स्थानीय अपग्रेड और तालमेल
भारतीय सेना ने S-400 को स्थानीय कम्युनिकेशन और सेंसिंग नेटवर्क से जोड़कर इसकी प्रतिक्रिया क्षमता को और मजबूत किया है.
रणनीतिक तैनाती और ट्रेनिंग
भारत ने S-400 को सटीक लोकेशन पर तैनात किया और ऑपरेटरों को उच्च स्तरीय प्रशिक्षण भी दिया.
हमले सीमित और अनुमानित थे
पाकिस्तान के हमले सीमित थे (50 ड्रोन), जबकि रूस को सैकड़ों ड्रोन और मिसाइलों का एक साथ सामना करना पड़ा.
क्या S-400 पर से भरोसा उठ गया?
बिलकुल नहीं S-400 अब भी दुनिया की सर्वश्रेष्ठ एयर डिफेंस प्रणालियों में से एक है. लेकिन इसकी प्रभावशीलता इस बात पर निर्भर करती है कि उसे किस रणनीति और तैयारी के साथ तैनात किया गया है. एक सिस्टम तब ही सफल होता है जब उसे सही स्थिति में, सही सपोर्ट के साथ और सही रणनीति के तहत इस्तेमाल किया जाए. भारत ने यही किया, जबकि रूस इस मोर्चे पर पिछड़ गया.
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