अंतरराष्ट्रीय डिफेंस मार्केट में पाकिस्तान ने एक ऐसा दांव चला है, जिसने दोस्ती और सौदेबाज़ी के फर्क को सवालों के घेरे में ला दिया है. 'इस्लामी भाईचारे' की ओट में पाकिस्तान ने अजरबैजान के साथ 40 JF-17 थंडर फाइटर जेट्स की डील तो कर ली, लेकिन कीमत ऐसी वसूली कि लोग हैरान रह गए. दावा है कि पाकिस्तान ने इस डील में $4.6 बिलियन की भारी-भरकम रकम अजरबैजान से वसूल ली, जबकि वास्तविक लागत लगभग एक तिहाई ही थी.
सौदे की हकीकत क्या है?
अजरबैजान और पाकिस्तान के बीच हुई यह डील JF-17 फाइटर जेट्स की अब तक की सबसे बड़ी एक्सपोर्ट डील मानी जा रही है. JF-17 को पाकिस्तान और चीन ने मिलकर विकसित किया है. आमतौर पर एक JF-17 फाइटर जेट की लागत करीब 32 मिलियन डॉलर आंकी जाती है. इस हिसाब से 40 जेट्स की कुल कीमत लगभग $1.28 बिलियन होनी चाहिए थी, लेकिन पाकिस्तान ने अजरबैजान से इसके बदले $4.6 बिलियन ले लिए — यानी लगभग तीन गुना.
एडवांस वर्जन का हवाला
पाकिस्तान की ओर से दावा किया गया है कि यह कीमत इसलिए वसूली गई क्योंकि अजरबैजान को JF-17 के 'ब्लॉक-III' वर्जन मिले हैं, जो तकनीकी रूप से पहले से कहीं ज़्यादा उन्नत हैं. इनमें AESA रडार, एडवांस एवियॉनिक्स, लंबी दूरी की PL-15 मिसाइलें, टारगेटिंग पॉड्स और तुर्की की मिसाइल टेक्नोलॉजी का इंटीग्रेशन शामिल है. हालांकि रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि यह सभी अपग्रेड कीमत को दोगुना कर सकते हैं, लेकिन तीन गुना नहीं.
आलोचना और राजनीतिक बहस
अजरबैजान में इस डील को लेकर आलोचना शुरू हो गई है. राष्ट्रपति इल्हाम अलीयेव ने इन जेट्स की सराहना तो की, लेकिन देश के भीतर यह सवाल उठ रहे हैं कि क्या पाकिस्तान ने दोस्ती की आड़ में जरूरत से ज्यादा पैसा ऐंठ लिया? सोशल मीडिया पर भी इस डील को लेकर बहस तेज है कि "भाईजान ने चूना लगा दिया."
डिफेंस डील में तुर्की की भूमिका
डील की खास बात यह भी है कि इसमें तुर्की की तकनीकी साझेदारी है. अजरबैजान इन जेट्स में तुर्की के 'गोकदोगन' और 'बोज़दोगन' मिसाइल सिस्टम का इंटीग्रेशन चाहता है, जिससे तीनों देशों के बीच रक्षा साझेदारी मजबूत होगी. लेकिन इसी साझेदारी के चलते पाकिस्तान को भारी मुनाफा हुआ है, जो दोस्ती के भाव से कहीं ज्यादा एक सख्त कारोबारी रवैये को दर्शाता है.
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