आतंकिस्तान के आका को कोई खबर नहीं! भूख से तड़प रही पाकिस्तान की 1 करोड़ आवाम; चौंका देगी आपको ये रिपोर्ट

    FAO Global Report: एक तरफ भारत है, जो वैश्विक मंच पर खाद्य सुरक्षा में अहम भूमिका निभा रहा है—जरूरत पड़ने पर दूसरों को अनाज भेजता है, तो दूसरी ओर पाकिस्तान है, जहां खुद की जनता ही दो वक्त की रोटी के लिए तरस रही है.

    Pakistan 11 million people facing shortage of food fao report
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    FAO Global Report: एक तरफ भारत है, जो वैश्विक मंच पर खाद्य सुरक्षा में अहम भूमिका निभा रहा है—जरूरत पड़ने पर दूसरों को अनाज भेजता है, तो दूसरी ओर पाकिस्तान है, जहां खुद की जनता ही दो वक्त की रोटी के लिए तरस रही है. हाल ही में संयुक्त राष्ट्र की एजेंसी FAO (फूड एंड एग्रीकल्चर ऑर्गनाइजेशन) की रिपोर्ट ने पाकिस्तान की गंभीर खाद्य संकट की स्थिति को उजागर किया है.

    FAO की ग्लोबल रिपोर्ट ऑन फूड क्राइसिस 2025

    संयुक्त राष्ट्र की ओर से शुक्रवार को जारी की गई इस रिपोर्ट में बताया गया है कि पाकिस्तान के करीब 1.1 करोड़ लोग भुखमरी की स्थिति में पहुंच चुके हैं. ये आंकड़े 68 ऐसे जिलों से आए हैं, जो बलूचिस्तान, सिंध और खैबर पख्तूनख्वा जैसे अशांत और पिछड़े इलाकों में स्थित हैं. इन क्षेत्रों में पिछले साल आई बाढ़ और जलवायु परिवर्तन के प्रभावों ने हालात और बदतर बना दिए हैं. रिपोर्ट में कहा गया है कि यहां की 22% आबादी को भूख से जान गंवाने का खतरा है.

    आपातकाल जैसी स्थिति में 17 लाख लोग

    FAO के अनुसार पाकिस्तान के 1.7 मिलियन यानी 17 लाख नागरिक ऐसी आपातकालीन स्थिति में हैं, जहां उन्हें तुरंत मानवीय सहायता की जरूरत है. साल 2024 और 2025 के बीच इस संकट में फंसी जनसंख्या का आंकड़ा 38% तक बढ़ चुका है. भले ही पिछले साल के मुकाबले कुछ क्षेत्रों में मामूली सुधार दिखा हो, लेकिन मौसम की मार और संसाधनों की कमी के चलते आजीविका और पोषण दोनों पर असर पड़ा है.

    2018 से लगातार कुपोषण का संकट

    रिपोर्ट में चेतावनी दी गई है कि 2018 से लेकर अब तक पाकिस्तान के कई इलाके लगातार गंभीर कुपोषण की चपेट में हैं. विशेष रूप से बलूचिस्तान और सिंध में ग्लोबल एक्यूट मालन्यूट्रिशन (GAM) की दर 10% से ऊपर बनी हुई है, और कुछ जिलों में यह 30% से ज्यादा है. गरीबी, अविकसित बुनियादी ढांचा और सरकार की उदासीनता इस संकट की मुख्य वजह मानी जा रही है.

    2.1 मिलियन बच्चे गंभीर कुपोषण से पीड़ित

    मार्च 2023 से जनवरी 2024 के बीच रिपोर्ट में सामने आया कि 2.1 मिलियन बच्चे, यानी 21 लाख मासूम, गंभीर कुपोषण से जूझ रहे हैं. इन्हें पर्याप्त पोषण, स्वास्थ्य सेवाएं और साफ पानी तक उपलब्ध नहीं है. सिंध, बलूचिस्तान और खैबर पख्तूनख्वा के ग्रामीण इलाकों में खराब स्वास्थ्य सुविधाएं, टूटी सड़कें और जलवायु संकट ने लोगों की तकलीफें और बढ़ा दी हैं.

    भारत से तुलना नहीं, आत्मनिरीक्षण जरूरी

    जहां भारत आज 'वसुधैव कुटुम्बकम' की भावना से दूसरे देशों को भी खाद्यान्न सहायता दे रहा है, वहीं पाकिस्तान की सरकार अपने ही नागरिकों को दो वक्त की रोटी नहीं दे पा रही. पाकिस्तानी प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ को भारत से तुलना करने से पहले यह देखना चाहिए कि देश के भीतर कितने लोग भुखमरी की कगार पर हैं. आंकड़े झूठ नहीं बोलते और ये आंकड़े दुनिया को दिखा रहे हैं कि पाकिस्तान आज एक गहरे मानवीय संकट के मुहाने पर खड़ा है.

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