Operation Sindoor: 22 अप्रैल की सुबह बैसरन घाटी का हर कोना अपनी खुली गोद में सुकून बिखेर रहा था, लेकिन उसी दिन की रात बनाई गई कायराना घात ने 26 जीवनों को भोर से पहले ही अंधकार में डुबो दिया. आशिकी की वादियों में शहादत की राख भर देने वाले इस हमले ने पूरे देश को झकझोर दिया. तब एक संकल्प ने आकार लिया – आतंकियों को उनके ही किये की कीमत चुकानी होगी.
दर्द को बदला में बदलने का संकल्प
हमले के तुरंत बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने झंझारपुर से स्पष्ट कहा था, “आतंकियों को उनकी कल्पना से परे सजा दी जाएगी.” इस राजनीतिक इच्छाशक्ति ने सेना को ‘फ्री हैंड’ दे दिया और बदले की योजना तीव्र गति से बननी शुरू हो गई.
सिंदूर का प्रतीकात्मक महत्व
विवाहिता स्त्रियों के माथे पर सजने वाला सिंदूर भारतीय संस्कृति का पवित्र चिह्न है – जीवन, विश्वास और सम्मान का प्रतीक. पहलगाम के निर्दोष नवविवाहितों से छीना गया यह सिंदूर उस त्रासदी का सबसे बोलता साक्षी बना. इसलिए जब एयर स्ट्राइक का समय आया, इस नाम ने दर्द की गूंज को एक श्रद्धांजलि में बदल दिया.
ज्वाइंट स्ट्राइक: इंडियन आर्मी और एयरफोर्स का सामंजस्य
रात ढलकर 1:30 बजे के करीब, दोनों सेनाओं ने मिलकर ‘ऑपरेशन सिंदूर’ को अंजाम दिया. लक्ष्य: पाकिस्तान और PoK में फैले नौ आतंकी अड्डे (बहावलपुर, कोटली, मुजफ्फराबाद, बाघ, मुरीदके इत्यादि) रणनीति: सटीक इंटेलिजेंस (ड्रोन, सैटेलाइट, रडार फीड) से चुने गए ठिकानों का चयन वन-पॉइंट स्ट्राइक तकनीक से आसपास के नागरिक इलाक़ों में न्यूनतम प्रभाव राफेल विमानों द्वारा लॉन्च की गई स्कैल्प क्रूज़ मिसाइलों की घातक जोड़ी
‘ऑपरेशन सिंदूर’ की विशेषताएं
गहराई तक वार: स्कैल्प मिसाइल ने 300 किमी दूरी से दुश्मन ठिकानों में पैठकर मुख्य भवनों को तहस-नहस किया. कोलैटरल डैमेज न्यूनतम: GPS-लेजर गाइडेंस ने मुफ्त में बहते आंसुओं को भी रोक कर रखा. सीमा के भीतर से आक्रमण: भारत की हवाई सीमाएं पार किए बिना ही हमला, ताकि कार्रवाई की नीयत पर कोई शक न रहे.
मानवीय–रणनीतिक दोनों स्तर पर प्रभाव
‘ऑपरेशन सिंदूर’ ने सिर्फ आतंकियों को नहीं, उनकी सोची गई हर व्यूह रच को ध्वस्त किया. साथ ही यह संदेश भी दिया कि भारत की नीति में “न्यूनतम अप्रत्याशित क्षति” का पालन है—जहां नागरिक बचें, वहीं आतंक के गढ़ उड़ ख़ाक हों.
PM और रक्षामंत्री का सशक्त समर्थन
केन्द्र सरकार की कैबिनेट कमेटी फॉर सिक्योरिटी ने ऑपरेशन को मंजूरी देते ही सिंधु जल संधि रोक दी. रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने ट्वीट कर लिखा, “भारत माता की जय!” और देशवासियों को भरोसा दिलाया कि पहलगाम के शहीदों के लिए न्याय सुनिश्चित होगा.
‘ऑपरेशन सिंदूर’ सिर्फ एक सैन्य अभियान का नाम नहीं, बल्कि उस सिन्धूरी तिलक का बदला है जिसे डरपोक आतंकियों ने रातों-रात झगलावश धो दिया था. यह उन 26 सिसकियों की आवाज़ है जिन पर 15 दिन तक आंसुओं के निशान सूखते रहे. अब जब ये मिसाइलें दहाड़ कर लौटीं, तो पखेरू सी शहीदों की आत्मा को राहत मिली होगी—क्योंकि न्याय हुआ और देश ने दिखा दिया कि आतंकी हमलों का जवाब सिर्फ आश्वासन से नहीं, निर्णायक कार्रवाई से होता है.
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