वॉशिंगटन/तेहरान: अमेरिका द्वारा ईरान के तीन प्रमुख परमाणु ठिकानों पर किए गए हमलों को लेकर नए दावे सामने आए हैं. अमेरिकी प्रशासन ने बीते महीने दावा किया था कि ईरान की तीन न्यूक्लियर साइट्स — फोर्दो, नतांज और इस्फहान — को सफलतापूर्वक निशाना बनाया गया है. हालांकि, अब मीडिया रिपोर्ट्स में कहा जा रहा है कि केवल एक ठिकाने, फोर्दो, को ही वास्तविक नुकसान हुआ है.
क्या योजना अधूरी रह गई?
अमेरिकी समाचार चैनल NBC News की एक रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका की सेंट्रल कमांड ने ईरान पर एक विस्तृत और बहुस्तरीय अभियान की योजना बनाई थी. इस योजना के तहत सप्ताहों तक चलने वाले हमले की तैयारी थी, जिसमें तीनों परमाणु ठिकानों को अलग-अलग चरणों में निष्क्रिय करने का लक्ष्य था.
हालांकि, रिपोर्ट बताती है कि जब इस योजना को राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के समक्ष रखा गया, तो उन्होंने इस पर आपत्ति जताते हुए सीमित हमले का विकल्प चुना. ट्रंप की विदेश नीति के अनुरूप, प्रशासन एक पूर्ण युद्ध की स्थिति से बचना चाहता था.
सिर्फ फोर्दो को हुआ नुकसान
रिपोर्ट के मुताबिक, हमले में केवल फोर्दो साइट को ही वास्तविक क्षति हुई, जबकि नतांज और इस्फहान स्थित सुविधाएं बिना नुकसान के बच गईं. अमेरिकी खुफिया एजेंसियों और इजरायल के अधिकारियों के बीच इस बात को लेकर अभी भी आकलन चल रहा है कि वास्तव में कितनी क्षति हुई है और क्या ईरान दोबारा निर्माण कार्य शुरू कर रहा है.
क्या भविष्य में फिर हो सकता है हमला?
एक पूर्व अमेरिकी अधिकारी के हवाले से रिपोर्ट में कहा गया है कि अगर ईरान ने परमाणु कार्यक्रम पर पुनर्निर्माण के संकेत दिए, या अगर वह पूर्व परमाणु समझौते (JCPOA) को लेकर बातचीत में इच्छुक नहीं दिखा, तो नतांज और इस्फहान जैसी साइट्स को फिर से निशाना बनाने पर चर्चा संभव है.
इजरायल और अमेरिका के बीच भी रणनीतिक बातचीत चल रही है कि आगे की नीति क्या होनी चाहिए. हालांकि, इस संबंध में कोई सार्वजनिक या आधिकारिक बयान अभी तक सामने नहीं आया है.
ईरान का रुख
ईरानी सरकार लगातार यह दोहराती रही है कि उसका परमाणु कार्यक्रम पूरी तरह शांतिपूर्ण और नागरिक उद्देश्यों के लिए है. तेहरान का कहना है कि यह हमला न केवल उसकी संप्रभुता का उल्लंघन है, बल्कि क्षेत्रीय स्थिरता के लिए भी एक खतरा है.
ट्रंप का बयान और वास्तविकता में अंतर?
डोनाल्ड ट्रंप ने इस ऑपरेशन के बाद राष्ट्र को संबोधित करते हुए कहा था कि अमेरिका ने ईरान के तीनों परमाणु ठिकानों पर सफल हमले किए हैं. हालांकि अब सामने आई रिपोर्ट्स से सवाल उठ रहे हैं कि क्या राष्ट्रपति के दावे राजनीतिक बयानबाज़ी थे, या फिर उन्हें सही जानकारी नहीं दी गई थी.
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