Mau News: उत्तर प्रदेश के मऊ जिले का छोटा सा गांव सहरोज इन दिनों चर्चा में है. भूधरिया बाबा शिव मंदिर के पास अचानक तेज धमाकों जैसी आवाजें गूंजने लगीं, जिससे गांव के लोग पहले तो घबरा गए, लेकिन बाद में पता चला कि यह कोई खतरा नहीं बल्कि ओएनजीसी द्वारा चल रही एक वैज्ञानिक सर्वे प्रक्रिया का हिस्सा है. देश में ऊर्जा संसाधनों की खोज को तेज़ करने की दिशा में यह एक अहम कदम माना जा रहा है.
ONGC की टीम जमीन के भीतर तलाश रही संभावित खनिज संपदा
ऑयल एंड नेचुरल गैस रिसोर्सेज कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लंबे समय से देशभर में पेट्रोल, डीज़ल, गैस और अन्य प्राकृतिक खनिजों की खोज कर रहा है. ऐसे ही संकेत मिलने पर मऊ जिले के सहरोज गांव में भी विस्तृत सर्वे शुरू किया गया है. टीम जमीन के भीतर बोरिंग कर विशेष तकनीक के जरिए धमाके जैसी प्रक्रिया अपनाती है, जिससे अंदर मौजूद खनिजों की संरचना और संभावनाओं का अध्ययन किया जा सके. शुरुआत में इन आवाज़ों ने ग्रामीणों को सशंकित कर दिया, लेकिन अधिकारियों ने स्पष्ट किया कि यह पूरी तरह सुरक्षित और एक मानक प्रक्रिया है.
ग्रामीणों में जिज्ञासा और उम्मीद
गांव के लोग जहां अचानक तेज आवाजों से डर गए, वहीं दूसरी तरफ उनके मन में उम्मीद भी जगने लगी है कि कहीं गांव की धरती के नीचे पेट्रोलियम या अन्य महत्त्वपूर्ण खनिज तो नहीं छिपे? ग्रामीणों को बताया गया है कि यह सर्वे काफी लंबी प्रक्रिया है और इसे पूरा होने में लगभग 6 से 7 महीने का समय लग सकता है. फिलहाल परीक्षण जारी है और रिपोर्ट आने के बाद ही कोई ठोस जानकारी सामने आएगी.
7 महीने का सर्वे
ओएनजीसी के कंपनसेशन इंचार्ज गौरव पहलवान ने बताया कि बोरिंग और ब्लास्ट की आवाजें सर्वे का हिस्सा हैं और इससे किसी को डरने की आवश्यकता नहीं है. इन्हीं तकनीकी गतिविधियों की मदद से पता लगाया जाता है कि जमीन के भीतर खनिज पदार्थ मौजूद हैं या नहीं. उन्होंने कहा कि जैसे-जैसे सर्वे आगे बढ़ेगा, टीम उन जगहों पर अधिक काम करेगी जहाँ खनिज मिलने की संभावना दिखाई देगी. अंतिम पुष्टि सर्वे रिपोर्ट से ही होगी.
कैसे बनता है क्रूड ऑयल?
क्रूड ऑयल धरती की गहराइयों में लाखों सालों में बनता है. समुद्री जीवों के अवशेष, भूवैज्ञानिक दबाव और तेज़ तापमान के प्रभाव से धीरे-धीरे तरल रूप में बदल जाते हैं. यही तेल आगे चलकर तेल रिग्स और कुओं के माध्यम से सतह तक लाया जाता है. भारत जैसे विशाल देश में ऐसे संसाधनों की खोज ऊर्जा सुरक्षा के लिए बेहद महत्वपूर्ण है.
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