मॉस्को में राष्ट्रपति पुतिन से मिले NSA अजीत डोभाल, इन मुद्दों पर हुई चर्चा, देखें वीडियो

    मॉस्को से एक अहम कूटनीतिक संदेश पूरी दुनिया की ओर भेजा गया है.

    NSA Ajit Doval met President Putin in Moscow
    प्रतिकात्मक तस्वीर/ ANI

    मॉस्को से एक अहम कूटनीतिक संदेश पूरी दुनिया की ओर भेजा गया है. भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजीत डोभाल और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच हुई मुलाकात को लेकर अंतरराष्ट्रीय राजनीति में हलचल बढ़ गई है. यह मुलाकात ऐसे समय पर हुई है जब अमेरिका और भारत के बीच तनाव अपने चरम पर है, खासतौर पर रूस से तेल खरीदने को लेकर.

    इस दौरे और बैठक को सिर्फ एक औपचारिक कूटनीतिक कार्यक्रम मानना गलती होगी. इसके पीछे कहीं गहरे रणनीतिक उद्देश्य हैं, जिनका असर न केवल एशिया, बल्कि वैश्विक भू-राजनीति पर भी पड़ सकता है.

    मेहमाननवाज़ी और भारत-रूस के रिश्तों की मजबूती

    गुरुवार को क्रेमलिन में अजीत डोभाल का स्वागत खुद रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने किया. यह नजारा बताता है कि भारत अब सिर्फ एक रणनीतिक सहयोगी नहीं, बल्कि रूस के लिए एक भरोसेमंद साझेदार बन चुका है.

    बैठक के बाद रूसी मीडिया की रिपोर्ट्स में इस मुलाकात को "गंभीर और दूरगामी रणनीतिक संवाद" बताया गया. हालांकि बैठक की पूरी रूपरेखा सार्वजनिक नहीं की गई है, लेकिन सूत्रों के हवाले से यह साफ हो रहा है कि दोनों नेताओं ने ऊर्जा सुरक्षा, रक्षा साझेदारी, वैश्विक व्यापार और अमेरिकी प्रतिबंधों जैसे कई ज्वलंत मुद्दों पर बातचीत की है.

    डोभाल-शोइगु बैठक: नई विश्व व्यवस्था की नींव?

    रूस के सिक्योरिटी काउंसिल के सेक्रेटरी सर्गेई शोइगु से अजीत डोभाल की मुलाकात भी बेहद अहम रही. इस बातचीत के दौरान दोनों देशों के बीच सुरक्षा, रणनीति और वैश्विक सत्ता-संतुलन पर गंभीर चर्चा हुई.

    शोइगु ने इस मौके पर कहा, "अब समय आ गया है कि हम एक ऐसी नई और निष्पक्ष विश्व व्यवस्था बनाएं, जहां बहुपक्षीयता को प्राथमिकता मिले और एकतरफा दबाव की नीति खत्म हो."

    इस पर डोभाल की प्रतिक्रिया भी उतनी ही दमदार रही. उन्होंने साफ कहा कि भारत हमेशा शांति, सुरक्षा और वैश्विक स्थिरता के पक्ष में खड़ा रहा है, लेकिन अपने हितों से समझौता किए बिना. उन्होंने पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले का ज़िक्र करते हुए रूस के समर्थन के लिए राष्ट्रपति पुतिन का विशेष धन्यवाद भी दिया.

    रूस से तेल खरीद पर भारत का स्टैंड

    बीते दिनों अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत के खिलाफ 50% तक के आयात शुल्क (टैरिफ) की घोषणा की थी. वजह? भारत रूस से सस्ते दाम पर तेल खरीद रहा है. ट्रंप का मानना है कि इस खरीदारी से रूस को युद्ध में “आर्थिक ऑक्सीजन” मिल रही है. भारत ने इस आरोप को सिरे से खारिज कर दिया.

    भारतीय विदेश मंत्रालय ने साफ किया, "भारत एक संप्रभु राष्ट्र है और अपनी ऊर्जा सुरक्षा की रक्षा के लिए जो आवश्यक होगा, वह करेगा."

    अजीत डोभाल का यह रूस दौरा इसी पृष्ठभूमि में हो रहा है. ऐसे में माना जा रहा है कि यह मुलाकात सिर्फ कूटनीतिक नहीं, बल्कि अमेरिका को एक रणनीतिक संदेश भी है- भारत किसी एक ध्रुव पर नहीं टिकेगा, बल्कि अपने हितों के मुताबिक हर कदम उठाएगा.

    तेल पर बनेगा बड़ा समझौता?

    सूत्रों के अनुसार, डोभाल-पुतिन बैठक के दौरान रूस से दीर्घकालिक ऊर्जा आपूर्ति समझौते पर चर्चा हुई. यह समझौता अमेरिका के प्रतिबंधों के बावजूद भारत को रियायती दर पर कच्चा तेल उपलब्ध कराने के लिए होगा.

    यदि यह डील होती है तो यह वैश्विक ऊर्जा बाज़ार के समीकरण बदल सकती है. भारत पहले ही चीन के बाद रूसी तेल का दूसरा सबसे बड़ा खरीदार बन चुका है. ऐसे में इस समझौते से न केवल भारत को ऊर्जा सुरक्षा मिलेगी, बल्कि डॉलर आधारित वैश्विक व्यापार ढांचे को भी चुनौती मिल सकती है.