अमेरिकी सेना में अब AI की एंट्री, OpenAI से लेकर Google तक को मिला बड़ा कॉन्ट्रैक्ट

    वॉशिंगटन: अमेरिका ने अपनी सैन्य ताकत को और आधुनिक बनाने की दिशा में एक बड़ा फैसला लिया है. अब युद्ध सिर्फ हथियारों से नहीं, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) से भी लड़े जाएंगे.

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    वॉशिंगटन: अमेरिका ने अपनी सैन्य ताकत को और आधुनिक बनाने की दिशा में एक बड़ा फैसला लिया है. अब युद्ध सिर्फ हथियारों से नहीं, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) से भी लड़े जाएंगे. इस दिशा में अमेरिकी रक्षा विभाग ने चार दिग्गज टेक कंपनियों – OpenAI, Google (Alphabet), Anthropic और xAI को विशेष अनुबंध (कॉन्‍ट्रैक्ट) सौंपे हैं. इन कंपनियों को कुल 200 मिलियन डॉलर (लगभग ₹1,660 करोड़ रुपये) का फंड आवंटित किया गया है ताकि वे अमेरिकी रक्षा प्रणाली में एडवांस्ड AI टेक्नोलॉजी को शामिल कर सकें.

    AI अब सिर्फ चैटबॉट तक सीमित नहीं रहेगा

    इस परियोजना का मकसद ऐसे एजेंटिक AI सिस्टम बनाना है, जो बिना इंसानी हस्तक्षेप के निर्णय लेने में सक्षम हों. यानी ऐसे AI टूल्स तैयार किए जाएंगे जो न केवल जंग के मैदान में काम आएं, बल्कि सेना और रक्षा मंत्रालय के रोजमर्रा के कामों को भी तेजी और सटीकता से निपटा सकें.

    इन चार कंपनियों को मिला है अहम जिम्मा

    OpenAI – वही कंपनी जिसने ChatGPT जैसा जनरेटिव AI बनाया और दुनिया को दिखाया कि मशीनें भी इंसानी सोच जैसी बन सकती हैं. Google DeepMind – जो वर्षों से AI में अनुसंधान कर रहा है और हेल्थ, रिसर्च व मिलिट्री सेक्टर में अपनी पकड़ बना चुका है. Anthropic – एक ऐसी कंपनी जो AI को सुरक्षित और जिम्मेदारी से इस्तेमाल करने की दिशा में काम कर रही है. xAI – एलन मस्क की हाल ही में लॉन्च की गई कंपनी जो तेज़ी से उभरते हुए AI इनोवेशन पर फोकस कर रही है.

    पेंटागन की मंशा क्या है?

    अमेरिका की Chief Digital and Artificial Intelligence Office (CDAO) ने बताया कि ये साझेदारियां देश की राष्ट्रीय सुरक्षा, तकनीकी आत्मनिर्भरता और AI नेतृत्व को नई दिशा देंगी. साथ ही, इन कंपनियों को ग्राउंड लेवल की चुनौतियों को समझने और उनके हल खोजने का भी मौका मिलेगा.व्हाइट हाउस की भी यही कोशिश है कि अमेरिका में AI आधारित एक मजबूत और प्रतिस्पर्धी इकोसिस्टम खड़ा हो जो तकनीक के साथ-साथ नागरिक हित और राष्ट्रीय सुरक्षा दोनों का ध्यान रखे.

    क्या बदलेगा आने वाले वक्त में

    इस सहयोग के बाद अमेरिका की सेना. मुश्किल फैसले तेज़ और सटीकता से ले सकेगी, ऑटोमेशन से युद्ध के हालात में इंसानी हस्तक्षेप कम होगा, AI की नैतिकता और सुरक्षा को लेकर भी ठोस कदम उठाए जाएंगे और सबसे अहम – तकनीक के वैश्विक मंच पर अमेरिकी बढ़त और मजबूत होगी.

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