नई दिल्ली: भारत और अमेरिका के बीच संभावित व्यापार समझौते (ट्रेड डील) को लेकर हाल ही में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा दिए गए बयान पर भारत सरकार ने पहली बार आधिकारिक प्रतिक्रिया दी है. केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा है कि भारत व्यापार सहयोग के लिए तैयार है, लेकिन यह साझेदारी कुछ जरूरी शर्तों और सीमाओं के अनुरूप ही होगी.
सीतारमण ने कहा, "हम अमेरिका के साथ एक अच्छा व्यापार समझौता करना चाहेंगे. लेकिन इस प्रक्रिया में भारत के प्रमुख क्षेत्रों विशेष रूप से कृषि और डेयरी सेक्टर की संवेदनशीलता को ध्यान में रखना जरूरी होगा."
समझौते की संभावनाएं और प्राथमिकताएं
यह बयान ऐसे समय आया है जब अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने संकेत दिया है कि भारत और अमेरिका के बीच व्यापार समझौते पर 8 जुलाई तक तस्वीर काफी हद तक स्पष्ट हो सकती है. उनके अनुसार, दोनों देशों के बीच आईटी, मैन्युफैक्चरिंग, सर्विस और ऑटोमोबाइल जैसे क्षेत्रों में समझौते की गुंजाइश है.
हालांकि, भारतीय पक्ष का जोर इस बात पर है कि कोई भी व्यापार समझौता भारत की घरेलू आवश्यकताओं और प्राथमिकताओं को ध्यान में रखकर ही किया जाएगा. वित्त मंत्री ने स्पष्ट किया कि भारत के लिए संतुलित और टिकाऊ व्यापारिक रिश्ते ही दीर्घकालिक हित में हैं.
भारत के लिए क्यों अहम है यह डील?
फाइनेंशियल एक्सप्रेस को दिए गए एक साक्षात्कार में सीतारमण ने कहा, "वर्तमान वैश्विक आर्थिक परिदृश्य में भारत जिस मुकाम पर खड़ा है, वहां मजबूत और स्थिर अर्थव्यवस्थाओं के साथ रणनीतिक व्यापार साझेदारी करना हमारे विकास के लक्ष्यों के लिए महत्वपूर्ण है."
उन्होंने यह भी जोड़ा कि भारत की वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं में भागीदारी बढ़ाने की नीति के तहत ऐसे समझौते भारत को निवेश आकर्षित करने, तकनीकी सहयोग बढ़ाने और निर्यात को प्रोत्साहित करने में मदद कर सकते हैं.
आगे की दिशा
भारत और अमेरिका के बीच व्यापारिक संबंध पहले से ही मजबूत हैं, लेकिन बीते वर्षों में टैरिफ, डेटा संरक्षण और बौद्धिक संपदा अधिकारों जैसे मुद्दों पर मतभेद भी देखने को मिले हैं. ऐसे में यह संभावित समझौता दोनों देशों को न केवल आर्थिक, बल्कि रणनीतिक सहयोग के स्तर पर भी और करीब ला सकता है.
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