राजनीति में कई बार अचानक कोई ऐसा चेहरा उभर आता है जो न सिर्फ अपनी बात अलग ढंग से कहता है, बल्कि उस आवाज़ को इतनी ताक़त मिलती है कि वो पूरे सियासी ढांचे को झकझोर देता है. जापान की राजनीति में फिलहाल ऐसा ही नाम तेजी से चर्चा में है — सोहेई कामिया.
उनकी पार्टी सांसेतो ने हाल ही में जापान के उच्च सदन में 14 सीटें जीतकर सभी को चौंका दिया. और अब उन्हें जापान का 'डोनाल्ड ट्रंप' कहा जाने लगा है. तो सवाल उठता है — ये कामिया हैं कौन?
सुपरमार्केट से लेकर संसद तक
कामिया की पृष्ठभूमि चकाचौंध से दूर, बिल्कुल आम ज़िंदगी की रही है. कभी वो एक सुपरमार्केट के मैनेजर थे. अंग्रेज़ी पढ़ाने का काम भी किया. शुरुआत अपने पिता के बिज़नेस में की, लेकिन कारोबार डूब गया और उन्हें नया रास्ता तलाशना पड़ा.
कुछ वक्त के लिए वो जापान की मुख्यधारा पार्टी एलडीपी (LDP) से जुड़े, लेकिन जल्द ही उससे नाता तोड़ लिया. वजह? कामिया के मुताबिक पार्टी सिर्फ़ पैसा बनाने का ज़रिया बन गई थी और उन्होंने उस पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए.
फिर बनाई अपनी पार्टी: संसेतो
2020 में जब दुनिया कोविड की मार झेल रही थी, कामिया ने सांसेतो पार्टी की नींव रखी. शुरुआत छोटे मंच से हुई, लेकिन पार्टी की आवाज़ तेज़ी से फैलने लगी — खासकर यूट्यूब और सोशल मीडिया के ज़रिए. आज पार्टी का यूट्यूब चैनल 3.6 लाख से ज्यादा सब्सक्राइबर्स के साथ खासा लोकप्रिय है. कामिया की पार्टी छोटे दानदाताओं पर निर्भर है, जो उनके लोकलुभावन और राष्ट्रवादी नारों से जुड़ाव महसूस करते हैं.
कामिया की ट्रंप-स्टाइल राजनीति
कामिया खुद को ट्रंप जैसी 'साहसी राजनीतिक शैली' से प्रेरित बताते हैं. उनके भाषणों में अभिजात वर्ग, विदेशी दबाव, टैक्स सिस्टम और अप्रवासी नीतियों के खिलाफ तीखा रुख साफ देखा जा सकता है. कागोशिमा की एक रैली में उन्होंने कहा: “अगर हम वैश्विक दबाव के सामने झुक गए, तो जापान एक उपनिवेश बन जाएगा.” उनका संदेश साफ है — जापान की नीतियां सिर्फ जापानियों के लिए होनी चाहिए, न कि बहुराष्ट्रीय कंपनियों या अंतरराष्ट्रीय संगठनों के इशारे पर.
युवा वर्ग में बन रही है पकड़
कामिया ने इस बार खुद चुनाव नहीं लड़ा, लेकिन उन्होंने 70 से ज्यादा उम्मीदवारों के लिए देशभर में प्रचार किया. नतीजा ये रहा कि उनकी पार्टी राष्ट्रीय स्तर पर तीसरे स्थान पर रही — एक नई पार्टी के लिए यह मामूली बात नहीं. खासतौर पर जापान के युवाओं में उनका बढ़ता समर्थन एक ट्रेंड की तरह देखा जा रहा है. एक ऐसा ट्रेंड जो आने वाले वर्षों में जापान की राजनीति को नया मोड़ दे सकता है.
तो क्या वाकई वो जापान के ट्रंप हैं?
कामिया को ट्रंप कहना शायद थोड़ा सरलीकरण हो, लेकिन कुछ समानताएं हैं जिन्हें नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता —
कामिया की राजनीति अभी अपने शुरुआती दौर में है, लेकिन इतनी बात तय है कि जापान की सत्ता गलियारों में अब उनकी गूंज अनसुनी नहीं की जा सकती.
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