यरुशलम और वॉशिंगटन के बीच इन दिनों एक अलग किस्म की हलचल है, और इसकी गूंज दिल्ली तक सुनाई दे रही है. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत पर लगाए गए 50 फीसदी टैरिफ ने न केवल भारत-अमेरिका संबंधों में खटास घोली है, बल्कि वैश्विक व्यापार जगत की भी चिंता बढ़ा दी है. इसी तनावपूर्ण माहौल के बीच इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने भारत के प्रति अपना समर्थन जताया है और स्पष्ट कहा है कि इस मसले का समाधान दोनों देशों भारत और अमेरिका के हित में होगा.
गुरुवार, 7 अगस्त 2025 को नेतन्याहू ने भारत के राजदूत जेपी सिंह से यरुशलम में अपने कार्यालय में मुलाकात की. इस दौरान दोनों नेताओं के बीच सुरक्षा, आर्थिक सहयोग और द्विपक्षीय रिश्तों को नई ऊंचाई पर ले जाने पर चर्चा हुई. नेतन्याहू ने कहा कि भारत और इजरायल के बीच खुफिया जानकारी साझा करने, आतंकवाद से लड़ने और नई तकनीक के क्षेत्र में साझेदारी की असीम संभावनाएं हैं. उन्होंने यह भी संकेत दिया कि वह जल्द ही भारत की यात्रा करना चाहते हैं ताकि इन संभावनाओं को वास्तविक रूप दिया जा सके.
ट्रंप की नई नीति से रिश्तों में खिंचाव
पिछले दो दशकों से चली आ रही भारत-अमेरिका की रणनीतिक साझेदारी इन दिनों दबाव में है. वजह है — अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप की नई नीति, जिसके तहत रूस से भारत के कच्चे तेल के आयात को लेकर भारतीय सामानों पर भारी शुल्क लगा दिया गया है. खास बात यह है कि चीन के रूस के साथ ऊर्जा व्यापार पर अमेरिका ने अपेक्षाकृत नरमी दिखाई है, जबकि भारत पर 50 फीसदी का टैरिफ थोप दिया गया है.
27 अगस्त से लागू होगा 50% शुल्क
ट्रंप ने 6 अगस्त 2025 को भारत पर 25 फीसदी का अतिरिक्त टैरिफ लगाने की घोषणा की, जो पहले से मौजूद 25 फीसदी शुल्क के ऊपर जोड़ा गया है. इस तरह कुल शुल्क 50 प्रतिशत तक पहुंच गया — जो अमेरिका द्वारा किसी भी देश पर लगाए गए सबसे ऊंचे टैरिफ में से एक है. यह अतिरिक्त शुल्क 21 दिन बाद, यानी 27 अगस्त से प्रभावी होगा.
मोदी का दो टूक संदेश
इस विवाद पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी है. गुरुवार को उन्होंने कहा कि भारत अपने किसानों, मछुआरों और डेयरी क्षेत्र से जुड़े लोगों के हितों से किसी भी परिस्थिति में समझौता नहीं करेगा. मोदी ने साफ कहा कि देश इन हितों की रक्षा के लिए कोई भी कीमत चुकाने को तैयार है. भारत ने अमेरिकी कदम को “दुर्भाग्यपूर्ण” बताते हुए इस पर आपत्ति दर्ज कराई है.
वैश्विक नजरें टिकीं
भारत पर लगे इस अभूतपूर्व टैरिफ और इजरायल के समर्थन से यह स्पष्ट है कि यह मुद्दा केवल द्विपक्षीय नहीं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय महत्व का बन गया है. आने वाले हफ्तों में यह देखने लायक होगा कि क्या कूटनीति और बातचीत इस आर्थिक तनाव को कम करने में सफल होती है, या फिर यह व्यापार युद्ध किसी नए मोड़ की ओर बढ़ता है.
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