मिडिल ईस्ट में तांडव मचाएंगे नेतन्याहू, अमेरिका-ईरान वार्ता के बीच कर दिया बड़ा 'खेला'; क्या करेंगे ट्रंप?

    इजरायल, जो वर्षों से ईरान के परमाणु कार्यक्रम को अपने लिए खतरा मानता आया है, अब उस पर सीधा हमला करने की योजना में जुट गया है.

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    प्रतीकात्मक तस्वीर | Photo: Freepik

    अमेरिका और ईरान की टेबल पर शांति की बातें हो रही हैं, वहीं दूसरी ओर खुफिया हलकों में एक और बड़ी आशंका सिर उठा रही है. इजरायल, जो वर्षों से ईरान के परमाणु कार्यक्रम को अपने लिए खतरा मानता आया है, अब उस पर सीधा हमला करने की योजना में जुट गया है. रायटर्स की एक ताज़ा रिपोर्ट के मुताबिक, इजरायल ने ईरान के परमाणु ठिकानों पर सैन्य कार्रवाई की तैयारी शुरू कर दी है. यह जानकारी आते ही अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बेचैनी बढ़ गई है, खासतौर पर उन देशों के बीच जो इस संकट को कूटनीति से हल करने की कोशिशों में जुटे हैं.

    इसी बीच, अमेरिका और ईरान के बीच लंबे अरसे के बाद बातचीत की दो अहम बैठकें हो चुकी हैं — पहली ओमान में और दूसरी रोम में. अमेरिका इन चर्चाओं से संतुष्ट नजर आया है, और अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) के प्रमुख राफेल ग्रॉसी ने भी इसे 'महत्वपूर्ण कदम' करार दिया है, मगर हालात जितने शांत दिखते हैं, असल में उतने हैं नहीं.

    शांति के प्रयासों के बीच जंग की आहट

    2015 के बाद यह पहली बार है जब अमेरिका और ईरान के बीच परमाणु कार्यक्रम पर संवाद का सिलसिला शुरू हुआ है. गौरतलब है कि डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन ने 2018 में इस समझौते से हाथ खींच लिए थे. ट्रंप ने तब दावा किया था कि मौजूदा समझौता अमेरिका के हितों के अनुरूप नहीं है. अब एक बार फिर बातचीत की कोशिशें हो रही हैं, लेकिन इनके समानांतर इजरायल की रणनीति सबकुछ उल्टा कर सकती है.

    खबरों की मानें तो इजरायल 2025 में ईरान के परमाणु रिएक्टरों पर हमले की योजना बना रहा है. इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने कई बार साफ तौर पर कहा है कि वह ईरान को किसी भी हाल में परमाणु हथियार विकसित नहीं करने देंगे. न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट बताती है कि नेतन्याहू ने डोनाल्ड ट्रंप को भी इस हमले की जानकारी दी थी, हालांकि ट्रंप ने उस समय प्रस्ताव को ठुकरा दिया था.

    संदेह और जवाबी चेतावनियों की जंग

    ईरान ने भी अब अपने इरादे जाहिर कर दिए हैं. उसका साफ कहना है कि अगर बातचीत विफल हुई, तो वह यूरेनियम संवर्धन को हथियार-योग्य स्तर तक ले जाने में हिचकेगा नहीं. यानी दोनों ओर अभी भी भरोसे की भारी कमी है. इजरायल की खुफिया एजेंसियां और डिफेंस नेटवर्क पहले से ही ईरान की गतिविधियों पर पैनी नजर बनाए हुए हैं. इससे पहले भी इजरायल ने मोहसिन फखरीजादेह जैसे परमाणु वैज्ञानिक की हत्या कर ईरान को स्पष्ट संकेत दे दिया था कि वह सिर्फ धमकी नहीं देता, कार्रवाई करता है.

    अमेरिकी नीति – दोराहे पर खड़ी

    वर्तमान अमेरिकी रणनीति कुछ हद तक ‘संतुलन’ साधने की कोशिश है. एक ओर वह इजरायल को सैन्य और तकनीकी मदद दे रहा है, वहीं दूसरी ओर वह ईरान के साथ बातचीत को आगे बढ़ा रहा है. ट्रंप प्रशासन के भीतर भी इस विषय पर दो अलग-अलग सोच सामने आई हैं – उपराष्ट्रपति जेडी वेंस जैसे नेता कूटनीति के पक्षधर हैं, तो कुछ अन्य सैन्य कार्रवाई को प्राथमिकता देने की वकालत कर रहे हैं.

    यह दोहरी रणनीति मिडिल ईस्ट में आग न भड़कने देने की कोशिश भी हो सकती है और अमेरिका के हितों की रक्षा करने का तरीका भी. हालांकि जानकारों का मानना है कि यदि इजरायल ने हमला किया, तो यह सिर्फ मिडिल ईस्ट नहीं, बल्कि वैश्विक स्तर पर ऊर्जा बाजार, राजनीतिक स्थिरता और सुरक्षा समीकरणों को भी हिला सकता है.

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