Gaza Peace Plan: गाजा पट्टी में जारी संघर्ष और शांति वार्ता के बीच एक नई और विवादास्पद योजना सामने आई है. एक ताजा रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका गाजा को दो हिस्सों में बांटने की योजना बना रहा है. इस योजना के तहत गाजा को एक 'ग्रीन जोन' और एक 'रेड जोन' में विभाजित किया जाएगा. ग्रीन जोन में इजराइल और अंतरराष्ट्रीय सेना का नियंत्रण होगा, जबकि रेड जोन में रहने वाले लाखों फिलिस्तीनियों को एक तरह की मानवीय आपदा का सामना करना पड़ेगा. इस कदम को लेकर न केवल क्षेत्रीय बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी प्रतिक्रिया आ रही है.
अमेरिका द्वारा प्रस्तावित यह नई योजना गाजा के बंटवारे को लेकर एक बड़ी घटना साबित हो सकती है. रिपोर्ट्स के मुताबिक, गाजा को 'ग्रीन जोन' और 'रेड जोन' में बांटने का प्रस्ताव है, जहां ग्रीन जोन को पुनर्निर्माण के लिए तैयार किया जाएगा और इसे इजराइल और इंटरनेशनल फोर्सेज के नियंत्रण में रखा जाएगा. वहीं, रेड जोन में फिलिस्तीनियों की पूरी आबादी खतरनाक और नष्ट हो चुकी स्थितियों में रहने को मजबूर होगी. यह विवादास्पद योजना फिलिस्तीनी नागरिकों के भविष्य पर गंभीर सवाल खड़ा करती है, क्योंकि लगभग 20 लाख फिलिस्तीनी इस रेड जोन में रहते हैं, और वे मूलभूत आवश्यकताओं के लिए संघर्ष कर रहे हैं.
क्या भविष्य में यही होगा गाजा का नया बॉर्डर?
यह विभाजन 'येलो लाइन' के आधार पर किया जाएगा, जो वह सीमा है जहां इजराइली सेना को युद्धविराम के तहत पीछे हटने का आदेश दिया गया था. इस सीमा को लेकर फिलिस्तीनियों में एक बड़ा डर है कि यह रेखा भविष्य में गाजा के नए बॉर्डर के रूप में काम करने लगेगी. फिलिस्तीनी नेता और यूरोपीय देशों ने चिंता जताई है कि अगर ऐसा हुआ, तो यह गाजा को स्थायी रूप से दो हिस्सों में बांट देगा, जिससे फिलिस्तीनी आवासीय और कृषि क्षेत्र का एक बड़ा हिस्सा इजराइल के कब्जे में रह जाएगा.
अमेरिका की 'स्टेबलाइजेशन फोर्स' की योजना पर वैश्विक विरोध
अमेरिका ने एक और प्रस्ताव दिया है जिसमें गाजा में एक अंतरराष्ट्रीय स्टेबलाइजेशन फोर्स (ISF) को तैनात किया जाएगा. हालांकि, रूस, चीन और कुछ अरब देशों ने इस प्रस्ताव का कड़ा विरोध किया है. इन देशों को चिंता है कि इस योजना में गाजा के अस्थायी शासन के लिए बनाए जाने वाले एक नए 'पीस बोर्ड' का गठन होगा, जो इजराइल और फिलिस्तीन के बीच विवादों को सुलझाने का काम करेगा. रूस और चीन चाहते हैं कि इस बोर्ड को पूरी तरह से हटाया जाए और गाजा के भविष्य का फैसला फिलिस्तीनियों की स्वतंत्रता और अधिकारों के आधार पर किया जाए.
अरब देशों की जिम्मेदारी बढ़ी
गाजा के पुनर्निर्माण की चर्चा भी इस विवाद का अहम हिस्सा है. रिपोर्ट्स के मुताबिक, गाजा के पुनर्निर्माण में करीब 70 अरब डॉलर का खर्च आ सकता है, और यह धन सऊदी अरब, कतर और यूएई जैसे अमीर अरब देशों से प्राप्त किया जा सकता है. हालांकि, यूरोपीय देशों और अरब देशों ने यह सवाल उठाया है कि क्या गाजा में स्थायी शांति और पुनर्निर्माण के साथ-साथ फिलिस्तीन को एक स्वतंत्र राष्ट्र बनाने का रास्ता भी तैयार किया जाएगा. कतर और मिस्र जैसे देशों ने यह भी पूछा है कि गाजा से इजराइल कब पूरी तरह हटेगा और फिलिस्तीन को क्या स्वतंत्रता मिलेगी?
क्या गाजा की पूरी जनसंख्या के लिए कोई हल है?
गाजा के फिलिस्तीनी नागरिकों के लिए यह योजना सवाल उठाती है कि उनका भविष्य क्या होगा? वर्तमान में, गाजा के लगभग 15 लाख लोग इमरजेंसी शेल्टर और टेंट में रहने को मजबूर हैं. गाजा के पुनर्निर्माण के साथ-साथ अगर येलो लाइन को स्थायी सीमा के रूप में स्वीकार कर लिया जाता है, तो फिलिस्तीनी लोगों को अपनी जमीन और अधिकारों से वंचित किया जा सकता है. इस स्थिति को लेकर गाजा में रहने वाली जनता के बीच असंतोष और अविश्वास बढ़ रहा है.
किसी दीर्घकालिक समाधान की उम्मीद?
अमेरिकी प्रस्तावों को लेकर फिलिस्तीनी नेताओं और अंतरराष्ट्रीय समुदाय में गहरी चिंता है. क्या इस योजना से गाजा में शांति और स्थिरता आएगी या फिर यह स्थिति को और जटिल बना देगा? फिलिस्तीनियों के अधिकारों की रक्षा करते हुए, क्या कोई स्थायी समाधान संभव होगा, जिसमें वे अपनी जमीन और स्वतंत्रता रहे? ये वो सवाल हैं, जो आने वाले दिनों में गाजा के भविष्य का निर्धारण करेंगे.
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