BJP member In Rajyasabha: उपराष्ट्रपति पद के चुनाव से पहले भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने संसद के ऊपरी सदन राज्यसभा में अपनी स्थिति और मजबूत कर ली है. लंबे समय बाद एक बार फिर बीजेपी ने राज्यसभा में 100 का जादुई आंकड़ा पार कर लिया है, जो कि किसी भी दल के लिए एक महत्वपूर्ण राजनीतिक संकेत माना जाता है. इस बढ़त ने उपराष्ट्रपति चुनाव से पहले भाजपा को रणनीतिक और मनोवैज्ञानिक लाभ दिलाया है.
बीजेपी को यह बढ़त हाल ही में राष्ट्रपति द्वारा मनोनीत किए गए चार नए राज्यसभा सदस्यों में से तीन के बीजेपी में शामिल होने से मिली है.
कैसे बढ़ी बीजेपी की ताकत?
प्रख्यात वकील उज्ज्वल निकम
पूर्व विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला
सामाजिक कार्यकर्ता सी सदानंदन मास्टर
इन तीनों के भाजपा में शामिल होने के बाद पार्टी की राज्यसभा में सदस्य संख्या बढ़कर 102 हो गई है, जिसमें मनोनीत सदस्यों को भी शामिल किया गया है.
ऐसा दूसरी बार हुआ है
यह पहला मौका नहीं है जब बीजेपी ने राज्यसभा में 100 से अधिक सीटें हासिल की हैं. इससे पहले मार्च 2022 में भी बीजेपी ने यह उपलब्धि हासिल की थी, जब 13 सीटों पर हुए राज्यसभा चुनावों में जीत के बाद पार्टी की संख्या 101 हो गई थी. कांग्रेस को यह उपलब्धि 1988 से 1990 के बीच मिली थी, लेकिन उसके बाद किसी पार्टी को यह आंकड़ा छूने में सालों लग गए.
राज्यसभा की मौजूदा स्थिति क्या है?
राज्यसभा में कुल 245 सीटें होती हैं, जिनमें से इस समय 240 सांसद कार्यरत हैं. इनमें 12 सदस्य राष्ट्रपति द्वारा नामित होते हैं, और 5 सीटें फिलहाल रिक्त हैं. एनडीए के पास कुल 134 सांसद हैं. अकेले बीजेपी के पास 102 सांसद हैं, जिसमें नामित सदस्य भी शामिल हैं. मतलब ये कि बीजेपी राज्यसभा में बहुमत (121 सीटें) के काफी करीब पहुंच गई है.
कौन हैं ये नामित चेहरे जो बीजेपी में आए?
उज्ज्वल निकम
देश के चर्चित मामलों में सरकारी वकील की भूमिका निभा चुके हैं. वो 26/11 के मुंबई आतंकी हमले में कसाब को फांसी दिलाने वाले वकीलों में रहें. उन्हें 2016 में पद्मश्री से सम्मानित किया गया.
हर्षवर्धन श्रृंगला
इनका राजनयिक और विदेश नीति के क्षेत्र में समृद्ध अनुभव है. साल 2020 से 2022 तक भारत के विदेश सचिव भी रह चुके हैं. जी20 समिट के मुख्य समन्वयक और अमेरिका और बांग्लादेश में भारत के राजदूत रह चुके हैं.
सी सदानंदन मास्टर
केरल के सामाजिक कार्यकर्ता और शिक्षक हैं. कथित रूप से सीपीएम कार्यकर्ताओं के हमले में दोनों पैर गंवाए. भाजपा से जुड़कर सक्रिय सामाजिक काम में लगे रहे.
मीनाक्षी जैन (इन्होंने बीजेपी जॉइन नहीं की)
राजनीतिक इतिहासकार और लेखक
भारतीय ऐतिहासिक अनुसंधान परिषद की सदस्य
पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित (2020)
राजनीतिक संकेत क्या हैं?
बीजेपी की यह संख्या न सिर्फ उपराष्ट्रपति चुनाव में मददगार हो सकती है, बल्कि यह पार्टी की राज्यसभा में विधायी प्रक्रिया को तेज करने की भी ताकत देती है. इसके साथ ही यह विपक्ष को यह साफ संकेत है कि भाजपा की पकड़ निचले सदन के साथ-साथ अब ऊपरी सदन में भी मजबूत हो रही है.
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