नालंदा: जहां अधिकतर किशोर मोबाइल और गेम्स की दुनिया में खोए रहते हैं, वहीं बिहार के 16 वर्षीय मोहम्मद क़ामिल रज़ा ने तकनीक की दुनिया में एक ऐसी मिसाल कायम की है, जिस पर पूरा प्रदेश गर्व कर सकता है. मात्र ₹1200 की लागत में क़ामिल ने एक 'जेस्चर कंट्रोल्ड रोबोटिक कार' तैयार की है, जो बिना किसी रिमोट के हाथ के इशारों से नियंत्रित होती है. यह नवाचार न सिर्फ उसकी प्रतिभा का प्रमाण है, बल्कि भविष्य के भारत के सपने की एक झलक भी देता है.
राजगीर के छात्र का बड़ा सपना
क़ामिल, राजगीर स्थित केंद्रीय विद्यालय में 11वीं कक्षा का छात्र है. उसका सपना है कि वह भविष्य में IIT से कंप्यूटर साइंस की पढ़ाई कर एक सफल इंजीनियर बने. तकनीकी नवाचार के प्रति उसका झुकाव बचपन से ही रहा है, और अब वह अपने पहले प्रोजेक्ट से पूरे देश का ध्यान खींचने में सफल रहा है.
'आयरन मैन' से मिली प्रेरणा
क़ामिल को इस परियोजना की प्रेरणा हॉलीवुड फिल्म ‘Iron Man’ से मिली. फिल्म में दिखाए गए उच्च तकनीकी उपकरणों को उसने अपनी सोच से वास्तविकता का रूप दे दिया. कार को हाथ में पहने गए सेंसरयुक्त डिवाइस के जरिए नियंत्रित किया जाता है, जो हाथ की दिशा के अनुसार कार को आगे, पीछे या दाएं-बाएं घुमाता है.
ESP32 माइक्रो-कंट्रोलर बना कार का 'दिमाग'
इस रोबोटिक कार का संचालन एक ESP32 माइक्रो-कंट्रोलर से होता है, जो सेंसर से मिले इशारों को प्रोसेस कर BO मोटर को चलाने का निर्देश देता है. पूरी प्रणाली को ऊर्जा लिथियम आयन बैटरी से मिलती है. क़ामिल का मानना है कि यह तकनीक खनन क्षेत्रों या अन्य खतरनाक इलाकों में बहुत उपयोगी हो सकती है. यदि इसमें रोबोटिक आर्म जोड़ दी जाए तो यह और भी बहुउपयोगी बन सकती है.
शिक्षक पिता की आंखों में गर्व
क़ामिल के पिता, मोहम्मद एहसान रज़ा, जो एक सरकारी स्कूल में प्रधानाध्यापक हैं, ने बेटे की इस सफलता को परिवार के लिए गौरव का क्षण बताया. उन्होंने सरकार और प्रशासन से आग्रह किया कि ऐसे प्रतिभाशाली छात्रों को आर्थिक सहायता और राष्ट्रीय मंच प्रदान किया जाए ताकि वे आगे बढ़ सकें. क़ामिल ने अपनी रोबोटिक कार का प्रदर्शन दिल्ली के भारत मंडपम में हुए अखिल भारतीय शिक्षा समागम में किया, जहां केंद्रीय शिक्षा मंत्री ने भी इसकी प्रशंसा की.
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