मुस्लिम देशों में कौन किस तरफ! पाकिस्तान के साथ युद्ध में भारत का साथ कौन देगा? समझिए समीकरण

    सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात, ईरान और कतर जैसे देशों ने आतंकवाद के खिलाफ एक स्वर में भारत का समर्थन किया और हमले की तीव्र आलोचना की.

    Muslim countries Who will support India in war with Pakistan
    पीएम मोदी | Photo: ANI

    जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले ने देश को झकझोर कर रख दिया. 22 मार्च, मंगलवार को हुए इस हमले में 26 निर्दोष नागरिकों की जान चली गई. इस हमले के तुरंत बाद दुनियाभर से भारत के प्रति समर्थन और सहानुभूति के स्वर उठे. अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से लेकर रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन तक, कई वैश्विक नेताओं ने इस अमानवीय हमले की कड़ी निंदा की.

    हालांकि, जो समर्थन सबसे ज्यादा चौंकाने वाला और कूटनीतिक रूप से महत्वपूर्ण रहा, वह खाड़ी के उन मुस्लिम देशों का था जिन्होंने पहले भारत के पक्ष में इतना खुलकर कभी नहीं बोला था. सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात, ईरान और कतर जैसे देशों ने आतंकवाद के खिलाफ एक स्वर में भारत का समर्थन किया और हमले की तीव्र आलोचना की. यह संकेत देता है कि अंतरराष्ट्रीय राजनीति में एक नया संतुलन बन रहा है और भारत की कूटनीतिक ताकत बढ़ रही है.

    जब खाड़ी के अधिकांश देश खुलकर पाकिस्तान के पक्ष में थे

    घटना के समय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सऊदी अरब की यात्रा पर थे, लेकिन हमले की गंभीरता को देखते हुए उन्होंने अपनी यात्रा बीच में ही रद्द कर दी और भारत लौट आए. दिलचस्प बात यह रही कि भारत वापसी से पहले ही सऊदी अरब ने इस आतंकी हमले की निंदा कर दी थी. यह एक ऐसा दृश्य था जो कुछ दशक पहले सोचना भी मुश्किल था. 1965 और 1971 के भारत-पाक युद्धों के दौरान जब खाड़ी के अधिकांश देश खुलकर पाकिस्तान के पक्ष में थे, तब से अब तक के बदलाव को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता.

    शीत युद्ध के दौर में भारत गुटनिरपेक्ष रहा जबकि पाकिस्तान और सऊदी अरब अमेरिका के करीबी माने जाते थे. उस समय खाड़ी देशों में काम करने वाले लाखों भारतीयों के बावजूद पाकिस्तान के साथ उनके रिश्ते मजबूत थे, मगर अब परिस्थितियां बदल चुकी हैं.

    खाड़ी देशों का साथ जरूरी

    वरिष्ठ पत्रकार चारू सूदन कस्तूरी के अनुसार, भारत और खाड़ी देशों के बीच नजदीकियों की शुरुआत पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के समय में हुई थी, लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दौर में यह संबंध नई ऊंचाइयों पर पहुंचे हैं. बार-बार की गई यात्राएं, ऊर्जा सहयोग, निवेश और सुरक्षा मामलों में साझेदारी ने भारत को खाड़ी क्षेत्र में एक भरोसेमंद साझेदार के रूप में स्थापित किया है.

    खाड़ी देशों ने खुद भी इस्लामिक स्टेट जैसी आतंकी ताकतों का अनुभव किया है और वे अब स्थिरता के महत्व को पहले से बेहतर समझते हैं. ऐसे में भारत उनके लिए न केवल एक बड़ा बाजार है, बल्कि एक स्थिर और रणनीतिक साझेदार भी है.

    हालांकि, यह कहना जल्दबाजी होगी कि खाड़ी देश पूरी तरह पाकिस्तान से दूर हो गए हैं. सऊदी अरब और यूएई आज भी पाकिस्तान को आर्थिक सहायता प्रदान करते हैं, लेकिन भारत यह जानता है कि यदि उसे पाकिस्तान के खिलाफ कठोर कदम उठाने हों, तो खाड़ी देशों के साथ उसके रिश्ते खराब नहीं होंगे.

    यह भारत की विदेश नीति की परिपक्वता और प्रभावशीलता का प्रमाण है कि जिन देशों ने दशकों तक पाकिस्तान का पक्ष लिया, वे अब आतंकवाद के मुद्दे पर भारत के साथ खड़े हैं. लेकिन, भारत को यह भी सुनिश्चित करना होगा कि यह समर्थन बना रहे और उसे हल्के में न लिया जाए.

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